क्या दिलीप मंडल अंबेडकर के नए ‘ठेकेदार’ है ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
कई पत्र-पत्रिकाओं में संपादक रहे दिलीप मंडल इनदिनों बाबा साहब भीम राव अंबेडकर और संविधान को लेकर नए ‘ठेकेदार’ के रूप में उभरने का प्रयास कर रहे हैं. इनकी ओर से रोजाना एक्स पर न केवल नैतिकता बघाराने वाले अनेक ट्विट किए जाते हंै, बाबा भीम राव अंबेडकर और आरक्षण को लेकर उल-जुलूल दलीलें भी दी जाती हैं ताकि यह आभास कराया जा सके कि ‘अंबेडकर’ और दलित-पिछड़ों के असली लड़ईया यही हैं. हद तो यह कि ध्रुव राठी भी इन्हें तनिक भी नहीं भाता. राठी के वीडियो भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले होते हैं, पर इसे गलत साबित करने का पहला प्रयास दिलीप मंडल का होता है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लगातार संविधान बदलने और समाप्त करने का दावा कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री और इनके शीर्ष नेता इन पर कुछ कारवाई करने की बजाय इसके बदले उन्हें ईनाम स्वरूप चुनाव लड़वा रहे है।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) April 15, 2024
ये BJP वाले चाहते क्या हैं? इन्हें संविधान, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और ग़रीबों से… pic.twitter.com/jJyOuhLK1B
सत्तारूढ़ दल की आईटी सेल के लोग इनके बाद सक्रिया होते हैं. अभी ध्रुव ने चुनावी चंदे और बीफ एक्सपोर्ट को लेकर एक वीडियो बनाया था. इस वीडियो की शुरुआत उन्होंने गाय को साथ में रखकर की थी, जबकि उन्हांेने गाय के मांस के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था. बावजूद इसके दिलीप मंडल उन्हें सांप्रदायिकता फैलाने वाला करार देने लगे. हालांकि दिलीप मंडल को भी पता है कि ध्रुव राठी के मुकाबले सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति उंट के मुंह में जीरा के बराबर है. मंडल के एक्स पर तकरीबन पौने छह लाख फॉलोअर्स हैं, जबकि धु्रव के दो मिलियन. इसी तरह ध्रुव के यूट्यूब पर डेढ़ करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं.
सेक्यूलर खेमे के सवर्ण यूट्यूबर क्या मुस्लिम दर्शकों पर निर्भर हो चुके हैं? होली और ईद की बधाई देने वाले इन यूट्यूबर्स ने बाबा साहब की जयंती को क्यों भुला दिया? कहींं ऐसा तो नहीं कि आंबेडकरवादी SC, ST, OBC इन चैनलों को देखते ही नहीं हैं और ये बात वे जान चुके हैं? pic.twitter.com/yoRj80jYLw
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 15, 2024
तुमने ईद दीपावली की बधाई दी ?
— Abrar Ansari 🇮🇳 🐦 (@Abrarkbd00) April 15, 2024
अगर नही दी तो रोओ मत ।
बहरहाल, एक्स एक दिलीप मंडल इनदिनों इतने आत्ममुग्ध नजर आते हैं कि उन्हें अपने सिवा किसी की बात अच्छी ही नहीं लगती. किसी यूट्यूबर ने अंबेडकर जयंती पर कोई सामग्री नहीं बनाई तो, उन्हें ही कोसने लगे कि ऐसे लोगों को पता चल गया है कि उनके वीडियो केवल ईद मनाने वाले ही देखते हैं.
संविधान बदलना मतलब लोकतंत्र खत्म, इस देश में एक भी दलित नेता नहीं।
— Aviator Amarnath Kumar (@aviatoramarnath) April 15, 2024
सबको सिर्फ सत्ता चाहिए, सबको अपने बेटा, दामाद, बेटी, भतीजा और जीजा को एमपी एमएलए और मंत्री बनाना है।
लोकतंत्र के दुश्मनों के साथ हाथ मिलाकर दलितों का नुकसान कर रहे हैं।#DemocracyinDanger #Elections2024 #Modi pic.twitter.com/ScQcqmaHP1
इसी तरह एक साहब ने जब कुरान को लेकर एक्स पर यह लिख दिया कि यह मेरा संविधान है तो दिलीप मंडल उसपर भी पिल पड़े. दूसरी तरफ अब तक उन्होंने एक भी ऐसा कोई वीडियो नहीं बनाया है जिसमें बताया गया हो कि संविधान को बनाने के लिए बनाई गई समिति में अध्यक्ष बाबा साहब के अलावा और कितने लोगों का योगदान रहा है. यहां तक कि दिलीप मंडल ने संविधान सभा में शामिल किसी मुस्लिम लीडर पर करम-ए-अनायत नहीं की है.
हरियाणा के जाट ओबीसी यानी पिछड़ा बनने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. पर उनका हुआ नहीं है. किसी भी पार्टी की सरकार ने उनकी मांग को सही नहीं माना.
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 15, 2024
अब तो उनको EWS आरक्षण मिल ही रहा है. वे भी कोटे वाले हो गए. तो बात ही खत्म हो गई.
मंडल कमीशन के समय ये आरक्षण के प्रबल विरोध में थे.… https://t.co/Q5ayNnsFe3
1947 में संविधान सभा का गठन किया गया था उसमें 389 सदस्य थे. उसमें सैयद मोहम्मद जैसे लोग भी शामिल थे. दिलीप मंडल को सभा के सारे नाम याद हैं, उनकी सोशल मीडिया संदेश देखकर तो ऐसा नहीं लगता.हद यह है कि ध्रुव राठी से खुन्नस खाए बैठे दिलीप मंडल अब हरियाणा के जाटों को लेकर भी उल्टी-सीधी बातें करने लगे हैं.कई बार तो दिलीप मंडल की सोशल मीडिया पर भाषा ऐसी होती है, जिसे पढ़कर नहीं लगता कि यह शख्स कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादक रहा होगा.
दिलीप मंडल के कई ट्विट् मुसलमानों में फूट डालने वाले होते हैं. बीजेपी इनदिनों पसमांदा की राजनीति कर इस प्रयास में है ताकि कुछ प्रतिशत मुस्लिम वोट उसके पक्ष में पड़ जाए. इसके लिए उसकी ओर से कई ‘भाड़े के पसमांदा’ नेता भी खड़े किए गए हैं. बावजूद इसके मुसलमानों में एकता बरकरार है. ईद के मौके पर मस्जिदों में उमड़ने वाली भीड़ ने इसे एक बार फिर साबित किया है. मगर दिलीप मंडल अपने ट्विट में जुलाहा, धुनिया, कसाई जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर उन्हें ललकार कर फूट डालना चाहते हैं.
जिन ओबीसी हिंदुओं ने धर्म परिवर्तन नहीं किया वे फायदे में रहे.
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 12, 2024
उनके अब तक तीन दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री बन गए. दो ओबीसी हिंदू तो प्रधानमंत्री बन गए. केंद्र में 27 मंत्री हैं.
ओबीसी हिंदू बड़े बिजनेस में हैं. देश का तीसरा सबसे अमीर आदमी शिव नाडार ओबीसी हिंदू है. सिविल सर्विस…
आरएसएस की तरह दिलीप मंडल इनदिनों धर्मपरिवर्तन के खिलाफ भी अभियान चलाए हुए हैं. वह सोशल मीडिया पर संदेश देकर बताने का प्रयास करतेहैं कि धर्मपरिवर्तन से कुछ नहीं मिलने वाला उन्हें जो अधिकार मिले हुए हैं वे भी छिन जाएंगे. धर्म परिवर्तन को लेकर आजकल सख्त कानून हैं. जबरन ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रवधान है. इसके बारे में सजग करने की जगह दिलीप मंडल उन्हें अधिकार छीनने की धमकी दे रहे हैं.