मुरारी बापू ने ‘ अल्लाह हू ’ कहा तो पीछे पड़ गया नफरती गैंग, पायल रोहतगी कर रहीं अगुवाई
स्टाफ रिपोर्टर।
भारत की गंगा-जमुनी तहजीब में पलीता लगाने वाला नफरती गैंग इनदिनों रामकथा वाचक मुरारी बाबू के पीछे हाथ धोकर पड़ा हुआ है। बापू का कसूर मात्र इतना है कि वह अपने सतसंग में भगवान राम के साथ अल्लाह और शिव के साथ सूफी-फकीरों की भी बातें करते हैं। वह कहते हैं कि राम और अल्लह एक हो जाएं तो हर तरफ शांति ही शांति हो। यह समय की मांग भी है। मगर नफरती गैंग को उनकी ऐसी बातें पसंद नहीं, इसलिए उनके खिलाफ देशभर में हिंदू विरोधी होने का माहौल बनाया जा रहा है। इसकी अगुवाई कर रही हैं बॉलीवुड की निम्न दर्जे की एक्ट्रेस पायल रोहतगी ।
रोहतगी के ट्वीटर हैंडल पर जाएं, वह और उनके समर्थक मुरारी बाबू के उन वीडिया को दनादन पोस्ट कर रहे हैं, जिनमें बापू अल्ला या किसी पीर-पैगंबर की शान में तारीफ करते नजर आ रहे हैं। अपने ऐसे ही एक पोस्ट में मुरारी बाबू के वीडिया शेयर करते हुए पायल रोहतगी व्यंगात्मक लहजे में लिखती हैं, यह हिंदुत्व है। हमारे संत ने रामकथा में अल्लाह का नाम लेने का साहस किया। हमें कट्टरवाद से हिंदुत्व को बचाने वाला चाहिए। उनके हिसाब से ऐसे साधु संत किसी काम के नहीं जो सांप्रदायिक सौहर्द की बातें करते हों।
पायल के ही ट्वीटर एकाउंट पर खुद को परम पूजनीय गोरख पीटाधीश्वर महंत का शिष्य बताने वाले पंकज हिंदू ने मुरारी बापू के एक सतसंग का वीडिया शेयर करते हुए लिखा है कि इनके साथ किनते ही माताएं और बहनें ‘अली मौलता’ पर झूम रही हैं। षड़यंत्र को वक्त रहते समझ जाओ तो ठीक, नहीं तो हिंदू वैसे ही सिमटता जा रहा है हर जगह।
पायल रोहतगी और उनके नफरती गैंग के सदस्यों को या तो देश की परंपरा का ज्ञान नहीं अथवा देश का मौहाल बिगाड़ने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं। मालू हो कि भारत को यूं ही गंगा-जमुनी तहजीब का गुलदस्ता नहीं कहा जाता। यह संत, फकीरों का देश है। कुछ अपवादों को छोड़ दें, यहां के सभी लोग सभी धर्मों के मोल और महत्व को समझते हैं। मुरारी बापू जैसे आज भी सैकड़ों संत-फकीर हैं, जिन्हांेने ईश्वर और अल्लाह को अपस में लड़ाने का कभी साधन नहीं बनाया। इसी तरह रसखान, आलम शेख, नजीर अकबर इलाहाबादी, मुसाहिब लखनवी, अमीर खुसरो, वाजिद अली शाह, मौलाना हसरत मुहानी जैसे कई मुस्लिम शायर इस देश की मिट्टी में जन्मे हैं जिन्होंने अपनी शायरी को रामभक्ति में रंग दिया। औरंगजेब को नफरती गैंग गालियां देता है। मगर उनके लिए यह जानना भी जरूरी है कि औरंगजेब के काल में ही वालीमिकी रामायण का फारसी पद्यानुवाद हुआ था। अकबर के कालखंड में पहली बार वाल्मीकि रामायण फारसी में लिखी गई थी।
मगर देश की पुरातन परंपरा को दरकिनार कर आजकल नफरती गैंग अल्लाह, पैगंबर का नाम लेने वालों के पीछे पड़ा है। अपने प्रवचन में मुरारी बापू मुंबई के हाजी अली का जिक्र करते हुए कहते हैं कि ‘वह बहुत बड़े मानवता और गोभक्त थे’। मगर नफरती गैंग को उनकी यह बात भी पसंद नहीं। उनके इस प्रवचन पर नफरती गैंग के आशु सैनी, संतोष कुमार, मोहित तोमर, नीरू यादव जैसे दर्जनों सदस्यों ने सोशल मीडिया पर गालियां की बौछार कर दी है। खुद को योगी भक्त बताने वाले एक शख्स ने तो मुरारी बापू को ‘कुत्ता’ कहने में भी संकोच नहीं किया। पता नहीं क्यों सरकारों ने सोशल मीडिया पर धर्म-जाति के नाम पर विद्वेष फैलाने वालों को कैसे छोड़ रखा है। हर समय अनर्गल प्रलाप करने वाली दोयम दर्जे की सिने कलाकार पायल रोहतगी को सबसे पहले अंदर करना चाहिए। इन बातों से बेपरवाह मुरारी बापू कहते हैं,‘‘साधु दरबार में नहीं दरगाह में जाते हैं।’’
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संपादक