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सती, विधवा पुनर्विवाह इस्लामी आक्रमण के कारण: आरएसएस नेता के बिगड़े बोल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह जैसी सामाजिक बुराइयां को लेकर विवादास्पद बयान आया है. उन्हांेने कहा कि इस्लामी आक्रमण के कारण भारतीय समाज में ये बुराईयां पनपीं, जिससे महिलाओं को गुलाम बनाया गया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल ने दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित नारी शक्ति संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्ययुगीन काल में महिलाओं और लड़कियों को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे.

उन्होंने कहा कि मध्यकाल बहुत ही कठिन समय था. पूरा देश पराधीनता से जूझ रहा था. मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया, बड़े विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया और महिलाएं खतरे में थीं.”

दुनिया भर में लाखों महिलाओं का अपहरण किया गया. उन्हें बाजारों में बेच दिया गया. चाहे वह (अहमद शाह) अब्दाली हो, (मुहम्मद) गौरी हो, (महमूद) गजनी हो, इन सभी ने यहां से महिलाओं को ले जाकर दुनिया भर के बाजारों में बेचा. गोपाल ने कहा, यह बहुत अपमान का युग था.

उन्होंने कहा, इसलिए, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए, हमारे समाज द्वारा उन पर कई प्रतिबंध लगाए गए और परिणामस्वरूप, उन्होंने स्कूलों, गुरुकुलों में जाना बंद कर दिया. अशिक्षित हो गईं.आरएसएस नेता ने यह भी दावा किया कि बाल विवाह की प्रथा तब शुरू हुई जब लोग अपनी बेटियों को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए कम उम्र में ही उनकी शादी कर देते थे.

उन्हांेने कहा कि “हमारे देश में सती प्रथा नहीं थी,लेकिन जौहर (आत्मदाह) होने लगा, स्त्रियाँ सती होने लगीं. उन्होंने दावा किया, विधवाओं के पुनर्विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया और बड़ी संख्या में पुरुष युद्धों में मारे गए, जिसके परिणामस्वरूप पुरुषों की कमी हो गई.

गोपाल ने कहा, इस्लामी आक्रमण से पहले, महिलाएं शास्त्रार्थ (विद्वानों की बहस) में भाग लेती थी. यहां तक ​​कि वेदों की ऋचाएं भी देती थीं.आरएसएस नेता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति बदल गई है. आज लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा योगदान दे रही हैं.

हालांकि, उन्होंने महिलाओं को पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित होने के प्रति आगाह किया. उन्हें अपने बच्चों तक पहुंचाने के लिए भारतीय मूल्यों को याद रखने का आह्वान किया.उन्हांेने कहा कि हमारे देश की महिलाओं को पश्चिमी प्रभाव से सावधान रहना होगा.प्रौद्योगिकी का उपयोग करें, हवाई जहाज उड़ाएं, इसरो में काम करें, वैज्ञानिक, डॉक्टर या इंजीनियर बनें – जो चाहें करें, लेकिन एक महिला बने रहें.

उन्होंने कहा, एक महिला अपने परिवार की धुरी होती है. इसे याद रखें. उन्होंने कहा कि एक महिला ही है जो अपने बच्चों में मूल्यों को आत्मसात करती है.आरएसएस नेता ने यह भी कहा कि परिवार की देखभाल करना और घर में रसोई का प्रबंधन करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि किसी वांछित क्षेत्र में करियर बनाना.

उन्हांेने कहा,क्या आप जानते हैं कि जब नेहरूजी (इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू) प्रधानमंत्री थे तो इंदिराजी (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी) अपनी रसोई खुद संभालती थीं?.हमारे देश में महिलाएं सम्मानजनक पदों पर हैं. हमें अपना अतीत देखना चाहिए, वर्तमान को देखना चाहिए, जो अच्छा है उसे बरकरार रखना चाहिए, जो सही नहीं है उसे सुधारना चाहिए.

हालांकि उनकी इस्लामी आक्रमणकारियों की आलोचना करने पर लोग सवाल कर रहे हैं कि वे महाभारत और रामायण की महत्वपूर्ण घटनाएं भूल गए जिसमें एक नारी का अपमान किया गया और खुद को सति साबित करने के लिए कई तरह की परीक्षाओं से गुजरना पड़ा.