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सफूरा जरगर को बेल, विरोधी तिल मिलाए

स्टाफ रिपोर्टर।
#जामिया_मिलिया की छात्रा और इस विश्वविद्यालय की #मीडिया_कोऑर्डिनेटर #सफूरा_जरगर को जेल में एड़ियां रगड़ते देखने वालों को इस खबर से जरूर सदमा पहुंचा होगा। #दिल्ली_हाई_कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। यह बात विशेष तौर से वे लोग बिल्कुल नहीं पचा पा रहे होंगे, जिन्होंने#दिल्ली_दंगे के दौरान 20 से अधिक मस्जिदें और दरगाह ढहा दिए, 40 से अधिक मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया और सैंकड़ों घर फूंक दिए। फिर  भी आज सड़कों पर छुट्टा घूम रहे हैं।

 कोर्ट ने सफूरा जरगर को मानवता के आधार पर जमानत दी है। साथ ही दिल्ली नहीं छोड़ने और किसी ऐसे कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की हिदायत दी है जिससे उनके खिलाफ चल रही जांच प्रभावित हो। उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़काने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने उन्हें 10 अप्रैल को यूपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया था। तब वह गर्भवती थीं। सफूरा नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ चलने वाले आंदोलनों में भी सक्रिय रही हैं। तभी से नफरती गैंग उनके पीछे पड़ा है। सफूरा बोलने में बेहद कड़ हैं और पूरे तर्क के साथ अपनी बातें रखती हैं। उनकी यही बात मुस्लिम विरोधी नहीं पचा पाते। सफूरा की गिरफ्तारी की खबर जब आई । उस समय का सोशल मीडिया संदेश देखिए। पता चल जाएगा कि मुस्लिम विरोधी उनके बारे में कितनी घिनौती राय रखते हैं। विडंबना है कि जब कोई हक-हकूक की बातें करता है तो उसे देशद्रोही ठहरा दिया जाता है। सफूरा की गिरफ्तारी के समय उनके खिलाफ क्या-क्या नहीं कहा गया। जेल से उनके गर्भवती होने की खबर आई तो उनके विरोधी उन्हें बदचलन कहने से भी नहीं चूके। जबकि उनके शादीशुदा होने की बात आम है।

उनकी गिरफ्तारी के समय दिल्ली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर सवाल उठाए गए थे। उनपर दिल्ली दंगे में घी डालने का आरोप है। इसी कड़ी में भाजपा के दो-एक नेता और हैं। मगर सभी जेल के बाहर हैं। तौकीर कुरैशी ने सोशल मीडिया पर दंगे के समय कपिल मिश्रा, भाजपा नेता रागनी तिवारी और इसी पार्टी के पार्षद कन्हैया लाल की गतिविधियों को लेकर सवाल उठाए हैं।

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक यूट्यूब चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में दिल्ली दंगे के समय कुछ नेताओं के अलावा दिल्ली पुलिस और सफूरा जरगर की गिरफ्तारी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। बावजूद इसके अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हद तो तब हो गई जब कोराना और जरगर के गवर्ती होने को लेकर उनकी जमानत की अर्जी तीन बार ठुकराई गई। इसमें दिल्ली पुलिस ने खूब अड़ंगा डाला। आतंकवादियों को पनाह देने के अतिगंभीर आरोप में फंसे जम्मू कश्मीर के डीएसपी रविंदर सिंह को लेकर दिल्ली पुलिस ने समय पर चार्जशीट जमा नहीं की जिससे वह छूट गया। मगर हर बार जरगर के मामल में पुलिस मुस्तैद दिखी। बावजूद इसके 23 जून को सफूरा जरगर को कोर्ट से बेल मिल गई।


हालांकि, इसके बाद भी नफरती गैंग के कलेजे में ठंड नहीं पड़ी है। इस गैंग से ताल्लुक रखने वाले देवालो डे ने सोशल मीडिया पर जरगर को बेल मिलने पर कहा है कि आज आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की आत्मा रो रही होगी, जबकि इस मामले में जरगर नहीं एक सियासी दल के नेता आरोपी हैं। ऐसा भ्रम जान बूझकर फैलाया जाता है ताकि मुसलमान जलील होते रहें। एक वेबसाइट  @OpIndia_in  ने सफूरा जरगर के बेल मिलने की खबर पर व्यंग्यात्मक लहजे में खबर लिखते हुए उनकी वकालत करने वाले पत्रकारों को गैंग की संज्ञा दी है।समझ सकते हैं कि मुसलमानों के खिलाफ नफरती गैंग कितना सक्रिय है। इधर जमानत मिली, उधर वीडियो जारी कर सवाल उठा दिया।

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