Politics

22 Countries एनआरआई अंबेडकर वादी उत्तर प्रदेश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से गम-ओ गुस्से में


अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, आयरलैंड, स्पेन, स्वीडन, जापान, कोरिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, बेल्जियम, हंगरी, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, ओमान, कतर, सऊदी अरब, बहरीन और मलेशिया के एनआरआई अंबेडकर वादियों ने जताई चिंतित

22 देशों के एनआरआई अम्बेडकरवादी संगठन उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति की महिलाओं से बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर गम और गुस्से में हैं। उनका आरोप है कि जातिगत घृणा के कारण जानबूझकर एससी-एसटी लोगों को निशना बनाया जा रहा। इस समुदाय के साथ जघन्य अपराधों की रोक-थाम के कानून में बदलाव करने से अब यह पता लगाना भी मुश्किल है कि प्रत्येक वर्ष कितने मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

pic sicial media

विदेश में बसे भारतीय अम्बेडकरवादी विशेष तौर से दलित महिलाओं से बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनकी ओर से कहा गया, जाति एवं धर्म को लेकर फैलाई जा रही घृणा से इस तरह के अपराधों में इज़ाफा हुआ है। उन्होंने हाथरस की अनुसूचित जाति की 19 वर्षीय बच्ची से सामूहिक बलात्कार और फिर क्रूर तरीके से हत्या करने एवं बिना परिजनों को विश्वास में लिए आधी रात को दाह-संस्कार करने पर रोष, दर्द एवं दुख का जताया है।

हाथरस की बेटी की दूसरी मौत

एनआरआई(NRI का मतलब क्या होता है ?)   अम्बेडकरवादी की ओर से कहा गया कि वे हाथरस की अपनी बहन के परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। पखवाड़े तक जीवन के लिए संघर्ष करने के बाद हाथरस की बिटिया की 29 सितंबर को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में मौत हो गई। अम्बेदकरवादियों की ओर से कहा गया कि उसके साथ बलात्कार किया गया। उसकी जीभ काटी गई। रीढ़ की हड्डी तोड़ी गई। और मरने के लिए आरोपी उसे तड़पता छोड़ गए। सभी आरोपी ठाकुर समुदाय से हैं। सबूत मिटाने के लिए यूपी पुलिस ने बल पूर्वक लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया, जो उसकी दूसरी मौत है। परिवार की इच्छाओं के विपरीत किया गया। वे अपनी बेटी का चेहरा देखने के लिए अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे, पर उन्हें उनके घर में बंद कर दिया गया।

छुपाए जा रहे अपराधों के आंकड़े

एनआरआई अंबेडकर वादियों का कहना है कि  हाथरस की बच्ची की चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी कि बलरामपुर, आजमगढ़ एवं बुलंदशहर सें दलित बच्चियों से हैवानियत की खबरें सामने आईं। इससे भी ज्यादा शर्मनाक है कि पीड़ितों की उम्र 8 साल से कम है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कहते हैं कि भारत में 2006 से 2016 के बीच दलितों के खिलाफ अपराधों में 746 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दलित महिलाओं से बलात्कार एवं हत्या के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसे 99 प्रतिशत मामलों की जांच लंबित है। पुलिस मदद नहीं करती। यह वह आंकड़े हैं जिनकी थानों में प्राथमिकी दर्ज की गई, जबकि वास्तविक मामलों की संख्या इससे कहीं अधिक है।

अपराधियों को बचाता है शासन-प्रशासन

एनआरआई अम्बेडकरवादियों की ओर से कहा गया कि 2016 के बाद से, एससी-एसटी समुदाय से होने वाले अपराध एनसीआरबी पीओए, 1989 और समग्र अपराधों के तहत दर्ज किए जा रहे हैं। इसलिए 2016 के बाद से, दलित अपराधों से संबंधित समग्र आंकड़े नहीं मिल पा रहे। वास्तविक डेटा छुपाया जा रहा। दलितों को लेकर जातिवादी हिंदुओं की मानसिकता बढ़ने से ऐसे अपराध बढ़े। न्याय में बाधा डालने, पुलिस द्वारा एफ़आईआर दर्ज करने से इनकार करने, पीओए अधिनियम, 1989 का उपयोग करने से मना करने, अपराधियों द्वारा पीड़ित के परिवारों को धमकाने एवं पीड़ित को न्याय से रोकने के दुर्भावनापूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।उदाहरण के लिए, 17 वर्षीय उन्नाव की दलित बलात्कार पीड़ित को अदालत में सुनवाई के दौरान जला दिया गया था। दोषी सत्तारूढ़ दल के सदस्य थे। अंबेडकर वादियों का आरोप है कि इस तरह का प्रयास, अक्सर न्याय में बाधा डालने के लिए प्रशासन एवं सरकार की मिली भगत से होता है। हाथरस मामले में स्थानीय जिलाधिकारी का रवैया उसी ओर इशरा करता है!

जातिवादी मानसिकता से बढ़े दलितों पर अत्याचार

एनआरआई अंबेडकर वादियों का आरोप है कि दलित महिलाओं से बलात्कार के आरोपी पुरुषों की सजा की दर लगभग शून्य है। 2018 में, जातिगत जघन्य अपराधों एवं दलितों के खिलाफ अत्याचारों से संबंधित अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत गिनती के मामले सर्वाेच्च न्यायालय तक पहुंचे। दलितों के खिलाफ बलात्कार, हत्या एवं अन्य अपराधों एवं दूसरे समुदाय  लोगों के खिलाफ इस तरह के अपराधों में खास अंतर है। दलितों के खिलाफ अपराध जातिगत घृणा से किए जाते हैं, जो जातिवादी हिंदुओं की मानसिकता का परिणाम है। इस तरह के अपराध ईर्ष्या का प्रतिबिंब हैं। दलितों को प्रगति से रोका जा रहा है।

एससी-एसटी महिलाओं की सुरक्षा की गुहार

एनआरआई अम्बेडकरवादियों ने केंद्र एवं यूपी सरकार से दलित महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने एवं अपराधियों को संरक्षण नहीं देने की मांग की हैं। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई और दलितों, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की भी मांग। भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का आग्रह किया। उनकी ओर से कहा गया कि अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को न केवल अपने मूल स्वरूप में लाने की जरूरत है। दलितों के खिलाफ बढ़ते जातिगत घृणा अपराधों से निपटने व दलित महिलाओं एवं पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत है। अम्बेडकरवादियों ने पत्र लिखकर भारत सरकार को यूपी एवं देश के अन्य हिस्से में जाति उन्मूलन, कानून व्यवस्था को बहाल करने और महिलाओं को सुरक्षित प्रदान करने के लिए ठोस पहल करनी की सलाह दी है।

List of endorsing organization :-

– Ambedkar Association of North America (AANA)
– Ambedkar Buddhist Association of Texas ,USA (ABAT)
– Ambedkar International Mission-USA (AIM)
– Ambedkar International Mission, Japan (Japan)
– Ambedkar International Center-USA (AIC)
– Ambedkar King Study Circle -USA (AKSC)
– Ambedkar Times ,USA
– Ambedkar International Coordination Society(AICS),Canada
– Ambedkar Mission Toronto, Canada
– Ambedkar International Mission Society, Canada
– Begumpura cultural society of New York USA
– Boston Study Group, (BSG), USA
– Coalition of Seattle Indian-American
– International commission of Dalit rights (ICDR),USA
– Indian Civil Watch (ICW)
– Jaibhim Atlanta, USA
– Periyar Ambedkarite Study Circle (PASC) ,USA
– Periyar International ,USA
– Shri Guru Ravidas Sabha of New York, USA
– Shri Guru Ravidas Sabha of Bay Area, USA
– Samaj Weekly of United Kingdom
– Federation of Ambedkarite and Buddhist, United Kingdom
– Anti Caste Discrimination alliance (ACDA),UK
– Dr Ambedkar Mission Society, Europe (Germany)
– Ambedkar Buddhist Society of Spain
– The Asian Independent of United Kingdom
– Dr. Babasaheb Ambedkar International Association for Education, Japan

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक