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शुक्र है संसद की सुरक्षा तोड़ने वाले मुसलमान नहीं I Thankfully, it is not the Muslims who broke the security of the Parliament!

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

देश की सुरक्षा को लेकर जितने लंबे-चैड़े दावे किए जाते हैं और मुल्क को खतरा बताकर पिछले चार-पांच सालों में जितने मुस्लिम रहनुमा और मुस्लिम संगठन को बंद किया गया है, इसके उलट एक घटना ने न केवल पूरे देश को चैंका दिया, बल्कि एक बार फिर यह साबित हुआ कि आतंकी हरकतें करने वाले किसी भी धर्म के हो सकते हैं. देश में जहर बोने वाले चाहे जिस कौम और संगठन के हों, उनका सलाखों के पीछे होना ही ठीक है. अन्यथा ये कभी भी देश की शांति-व्यवस्था में सेंध लगा सकते हैं.

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संसद सुरक्षा में चूक

बुधवार को ऐन उस समय ऐसी कोशिश की गई, जब देश तकरीबन 23 साल पहले संसद पर आतंकी हमले का शोक मना रहा था. देश के नए संसद भवन में संसद चल रही थी. ठीक उसी समय दो युवक दर्शकदीर्घा से सदन में कूदे और उत्पात मचाया. उनके हाथों में पीला धूआं छोड़ेने वाले कैन थे. अगर उनके हाथ में कैन की जगह कोई घातक हथियार होता तो ? इससे बड़ी देश की सुरक्षा में चूक और क्या हो सकती है ?

अंदर घुसने वाले दोनों युवकों के दो से तीन साथी संसद के बाहर भी पीला धुंआ छोड़ने वाले कैन के साथ मौजूद थे. इन सभी को पकड़ कर हिरासत में ले लिया गया और सुरक्षा एजेंसियां उनसे पूछताछ कर रही हैं.जाहिर सी बात है. उनसे पूछताछ से क्या निकला यह सुरक्षा घेरा से बाहर नहीं आएगा. इसके बावजूद अब यह देखना बाकी है कि इस सुरक्षा की बड़ी चूके लिए कितने लोग जिम्मेदार ठहराए जाते हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होती है ? या पुलवामा की तरह इस बड़ी घटना के मामले को भी बिना किसी को जिम्मेदार ठहराए रफा-दफा कर दिया जाता है.

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सभी आरोपी हिंदू

जो जानकारियां मिल रही हैं उनके अनुसार,पकडे़ गए सभी आरोपी हिंदू की बड़ी जातियों और विभिन्न राज्यों से हैं. इनमें से कोई मुसलमान नहीं है. यदि कोई एक भी होता तो न जाने अब तक कितने मुस्लिम रहनुमा और मुस्लिम संगठनों पर गाज गिर चुकी होती. रातों रात दर्जनों लोग उठा लिए जाते. आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद इतने बड़े स्तर का सुरक्षा एजेंसियों का अभियान अभी कोई चल रहा है ? जाहिर नहीं हुआ है.

न्यूज एजेंसियों ने पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा है कि बुधवार को संसद की सुरक्षा में सेंध अच्छी तरह से समन्वित, सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से की गई. इसे छह आरोपियों ने अंजाम दिया , जिनमें से पांच को पकड़ लिया गया है.

एक आरोपी ग्ररूग्राम से गिरफ्तार

सागर शर्मा और मनोरंजन डी जिन्हें लोकसभा कक्ष के अंदर पकड़ा गया, और अमोल शिंदे और नीलम – संसद के बाहर पकड़े गए, अभी पुलिस हिरासत में हैं.ललित और विक्रम पर उनके साथी होने का संदेह है. सूत्रों ने बताया कि विक्रम को गुरुग्राम से हिरासत में लिया गया है, जबकि ललित को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस की टीमों को विभिन्न स्थानों पर भेजा गया है.

सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए. कनस्तरों से पीली गैस छोड़ी और सांसदों द्वारा पकड़े जाने से पहले नारे लगाए.लगभग उसी समय, अमोल शिंदे और नीलम ने संसद परिसर के बाहर तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाते हुए कनस्तरों से रंगीन गैस का छिड़काव किया.

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संसद पर हमले की योजना बनी सोशल मीडिया पर

पुलिस सूत्रों ने कहा कि संसद सुरक्षा उल्लंघन छह लोगों द्वारा की गई एक सुनियोजित और अच्छी तरह से समन्वित घटना थी. पीटीआई की एक न्यूज के अनुसार, ये सभी इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर एक-दूसरे के संपर्क में थे, जहां उन्होंने योजना बनाई.

उन्होंने बताया कि आरोपियों ने कुछ दिन पहले योजना तैयार की. बुधवार को संसद आने से पहले उन्होंने रेकी की.“संसद में आने से पहले उनमें से पांच लोग गुरुग्राम में विक्रम के आवास पर रुके. योजना के मुताबिक, सभी छह लोग संसद के अंदर जाना चाहते थे लेकिन केवल दो को ही पास मिला.अमोल शिंदे से पूछताछ में पता चला कि छह आरोपी एक-दूसरे को पिछले चार साल से सोशल मीडिया के जरिए जानते थे.

उनकी विचारधारा एक थी.इसलिए उन्होंने सरकार को संदेश देने का फैसला किया. सुरक्षा एजेंसियां ​​यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इन्हें किसी ने या किसी संगठन ने निर्देश दिया था. पुलिस सूत्र ने बताया, पूछताछ के दौरान अमोल ने कहा कि वे किसानों के विरोध, मणिपुर संकट, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से परेशान हैं, इसलिए उन्होंने यह कृत्य किया. अब सवाल देश की उस खुफिया एजेंसी से है जो देश में विद्वेश फैलाने के नाम पर सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म तो बंद करा देती है, पर संसद पर हमले की योजना सोशल मीडिया पर बनती रही है डिजीटल क्रमाम पर नजर रखने वाले सोते रहे.