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सबरीमाला में वावर मस्जिद का इतिहास क्या है I What is the history of Vavar Masjid in Sabarimala?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मस्जिद-मंदिर को लेकर बहुत विवाद है. एक संप्रदाय का कट्टरवादी संगठन तो इसी प्रयास में रहता है कि कैसे भारत की तमाम मस्जिदों को मंदिर बताकर विवाद खड़ा किया जाए ताकि वह जिस पार्टी से संबंधित है, उसे चुनाव में लाभ पहुंचा सके.

राम मंदिर की जगह रहेगी बाबरी मस्जिद

अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद इस जैसे तमाम कट्टरवादी संगठन वाराणसी और मथुरा की प्राचीन मस्जिदों को विवाद में घसीट कर अब उसे कब्जाने की फिराक में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अध्योध्या पर जिस तरह का निर्णय दिया है, उससे दूसरा पक्ष आज भी संतुष्ट नहीं. इस पक्ष के सदस्यों में से एक एआईएमआईएम के सदर ओवैसी कहते हैं कि रहती दुनिया तक वह जगह बाबरी मस्जिद कहलाएगी जहां भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और अगले साल 22 जनवरी को भव्य तरीके से वहां रामलला स्थापित करने की तैयारी चल रही है.

केरल की सबरीमाला की मस्जिद पेश कर रही मिसाल

इन्हीं विवादों के बीच केरल की सबरीमाल मस्जिद एक अलग तस्वीर पेश कर रही है.इस देश में जब कट्टरवादी संगठन हर दम मस्जिद-मंदिर का झगड़ा पैदाकरने में लगे हैं सबरीमाला की वावर मस्जिद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव के पुल का काम कर रही है. जहां अयप्पा के भक्त सबरीमाला की तीर्थयात्रा करने आते हैं, वहीं मुसलमान पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं. कहते हैं सबरीमाला की वावर की मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनोखी परंपरा है. यहां तक कि अयप्पा के भक्त सबरीमाला में उनके दर्शन करने से पहले मस्जिद में माथा जरूर टेकते हैं.

भगवान अयप्पा की इच्छा से बनी वावर मस्जिद

सबरीमाला से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर एरुमेली के मध्य में निनार मस्जिद है, जिसे वावर मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है. इस पवित्र इबादत स्थल की एक अनूठी परंपरा है कि अयप्पा के भक्त प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर की यात्रा शुरू करने से पहले यहां श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. कहते हैं कि भगवान अयप्पा की इच्छा के अनुसार यह मस्जिद बनाई गई है.

ऐसी मान्यता है कि भगवान अयप्पा पंडालम के राजा के सपने में आए और उन्हें वावर के लिए एक मस्जिद बनाने का निर्देश दिया.उसके बाद इस मस्जिद का निर्माण कराया गया है. इस्लामी शिक्षाओं का पालन करते हुए, इस मस्जिद का निर्माण कराया गया है. यहां कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि वावर के देवता का प्रतीक एक नक्काशीदार पत्थर की पटिया है, जो दीवारों में से एक पर हरे रंग के रेशमी कपड़े की उपस्थिति पवित्र स्थान की श्रद्धा को बढ़ाती है.

इरुमेली पश्चिमी घाट के बहुत करीब स्थित है और यहां सुखद जलवायु का अनुभव होता है. यह इडुक्की, कोल्लम, कोट्टायम और अलाप्पुझा जिलों से घिरा हुआ है, जो पर्यटक की दृष्टि से अपने आप में अद्वितीय हैं. यहां पर्याप्त वर्षा होती है और यहां विविध वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं.

एरुमेली के वावर मस्जिद का क्या है इतिहास

जहां तक वावरपल्ली (मस्जिद को मलयालम में पल्ली कहा जाता है) इरुमेली में स्थित मस्जिद ( ERUMELI VAVAR MOSQUE) के इतिहास की बात है, तो इतिहास बताता है कि यह हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए एक पवित्र स्थान है. मस्जिद अयप्पा मंदिर के बहुत करीब स्थित है, जहां जाति और धर्म के बावजूद बड़ी संख्या में लोग आते हैं. जो लोग सबरीमाला जाते हैं, वे अपनी यात्रा पर आगे बढ़ने से पहले वावरस्वामी को समर्पित मस्जिद के दर्शन अवश्य करते हैं.

मस्जिद में एक भव्य संरचना है जिसमें बड़े गुंबद और कई मीनारें हैं. इस मस्जिद में इसकी वास्तुकला की भव्यता और सादगी के लिए बहुत सारे पर्यटक आते हैं. मस्जिद में दैनिक पांच वक्त की नमाज पढ़ाने के लिए एक इमाम हैं. वावर इस्लाम धर्म का पालन करता था. मस्जिद में कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन एक पत्थर की पटिया है जिस पर शिलालेख है. ठीक वैसे ही जैसे अन्य मस्जिदों में होते हैं. दीवारें हरे रेशमी कपड़े से ढकी हुई हैं और वहां एक तलवार भी है जो वावर की बताई जाती है. तलवार उसकी वीरता का प्रतीक है.
केरल के पर्यटन विभाग ने इरुमेली वावर मस्जिद को सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्रों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है.

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वावर मस्जिद और किवदंतियां

इरुमेली वावर मस्जिद के अस्तित्व के बारे में कई किंवदंतियां हैं. प्रसिद्ध किंवदंतियों में से एक यह है कि वावर इस क्षेत्र को लूटने के लिए एक समुद्री डाकू जहाज में केरल पहुंचा था. भगवान अयप्पा ने उनसे युद्ध किया और जीत हासिल की. उस युवक की प्रतिभा से आश्चर्यचकित होकर वह भगवान अयप्पा के साथ शामिल हो गया और विभिन्न मोर्चों पर युद्ध जीतने में उसकी मदद की. बाद में वह भगवान अयप्पा के करीबी सहयोगी और प्रबल भक्त बन गया. माना जाता है कि भगवान अयप्पा राजा के सपने में आए और उन्हें वावर के लिए एक मस्जिद बनाने का निर्देश दिया. तब से वावर मस्जिद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव के प्रतीक के रूप में खड़ी है, जहां अयप्पा के भक्त सबरीमाला की तीर्थयात्रा शुरू करने से पहले अपना सम्मान व्यक्त करते हैं.वावर को स्वामी के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी वीरता और मित्रता की कहानियां युगों-युगों तक कायम हैं.

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