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हामिद अंसारी क्यों न्यूज में हैं जिससे बीजेपी की बढ़ गई परेशानी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ का कथित तौर पर मजाक उड़ाने का मुद्दा उठाकर विपक्षी दलों को घेरने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब ऐसे ही एक मामले में घिर गए हैं.पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विदाई के समय सदन की लाइब्रेरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया बयान अब विपक्षी दलों का हथियार बन गया है और धनखड़ का मजाक उड़ाने के मामले में विपक्ष उनपर पलटा वार कर रहे हंै.

इसका एक वीडियो एक्स पर साझा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता जयराम रमेश ने लिखा, ‘‘10 अगस्त 2017 को श्री हामिद अंसारी की विदाई का दिन था. हामिद अंसारी, जो दस साल के लंबे कार्यकाल के बाद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति पद से सेवानिवृत्त हो रहे थे. तब यह सबसे चैंकाने वाली बात थी कि प्रधानमंत्री ने उनका मजाक उड़ाया.’’

जयराम रमेश ने अपने बयान में आगे लिखा, ‘‘ भारत के सबसे प्रतिष्ठित राजनयिकों में से एक अंसारी ने अपनी पहचान को अपने धर्म तक सीमित कर लिया और वास्तव में आरोप लगाया कि उनकी संपूर्ण व्यावसायिक और राजनीतिक उपलब्धियां उनकी धार्मिक पहचान के कारण थीं. पीएम ने शाम को संसद पुस्तकालय सभागार में विदाई समारोह में भी यही गीत गाया.’’

उन्होंने लिखा, ‘‘संवैधानिक अधिकारियों के अपमान की बात करने वाले ऐसे तुच्छ प्रधानमंत्री और उनके ढोल बजाने वाले निकृष्ट प्रकार के पाखंडी और अवसरवादी हैं.’’वह लिखते हैं, ‘‘यह संसद से 144 सांसदों के अलोकतांत्रिक निलंबन और 13 दिसंबर को लोकसभा में चौंकाने वाले सुरक्षा उल्लंघन से ध्यान भटकाने के अलावा और कुछ नहीं है.

इसी मुददे पर अंसार इमरान ने लिखा, ‘‘जो भाजपाई इस समय उपराष्ट्रपति पद की गरिमा के नाम पर जगदीप धनखड़ के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, वे आपको बताएंगे कि प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को इस सदन में कितना अपमानित किया था.’’

हामिद अंसारी की विदाई पर क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने ?

पीएम मोदी ने विदाई समारोह पर हामिद अंसारी को लेकर क्या कहा था पीएम इंडिया की साइट से उठाकर यहां हू-ब-हू प्रस्तुत किया जा रहा है.
आदरणीय सभापति जी,

एक दीर्घकालीन सेवा के बाद, आज आप नई कार्यक्षेत्र की तरफ प्रयाण करेंगे ऐसा मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि physically आपने अपने आपको काफी fit रखा है। एक ऐसा परिवार जिसका करीब सौ साल का इतिहास सार्वजनिक जीवन का रहा हो, उनके नाना, उनके दादा कभी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे, कभी संविधान सभा में रहे, एक प्रकार से आप उस परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पूर्वजों का सार्वजनिक जीवन में, विशेष करके कांग्रेस के जीवन के साथ और कभी खिलाफत मूवमेंट के साथ भी काफी कुछ सक्रियता रही।

आपका अपना जीवन भी एक Career Diplomat आ रहा। अब Career Diplomat क्या होता है, वह तो मुझे प्रधानमंत्री बनने के बाद ही समझ आया, क्योंकि उनके हंसने का क्या अर्थ होता है, उनके हाथ मिलाने का तरीके क्या अर्थ होता है, तुरंत समझ नहीं आता है! क्योंकि उनकी ट्रेनिंग ही वही होती है। लेकिन उसको कौशल्य का उपयोग यह 10 साल यहां जरूर यहाँ हुआ होगा। यह सब को संभालने में, इस कौशल्य ने किस प्रकार से लाभ इस सदन को पहुंचाया होगा।

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आप के कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा West Asia से जुड़ा रहा है As a Diplomat. उसी दायरे में जिंदगी के बहुत सारे वर्ष आपके गए, उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी debate में, ऐसे लोगों के बीच में रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वहीँ रहा आपका, Minority Commission हो या Aligarh University हो, तो एक दायरा आपका वही रहा। लेकिन यह 10 साल एक अलग जिम्मा आपके हिस्से में आया और पूरी तरह एक एक पल संविधान, संविधान, संविधान के ही के दायरे में चलाना और आपने उसको बखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया।

हो सकता है कुछ छटपटाहट रही होगी भीतर आपके भी, लेकिन आज के बाद वह संकट आपको नहीं रहेगा और मुक्ति का आनंद भी रहेगा और अपनी मूलभूत जो सोच रही होगी, उसके अनुसार आपको कार्य करने का, सोचने का, बात बताने का अवसर भी मिलेगा।

आपसे मेरा परिचय ज्यादा तो रहा नहीं, लेकिन जब भी मिलना हुआ, काफी कुछ आपसे जानने-समझने को मिलता था। मेरी विदेश यात्रा में जाने से पहले, आने के बाद, आपसे जब बात करने का मौका मिलता था, तो आप की जो एक insight थी उसका मैं जरूर अनुभव करता था और वह मुझे चीजों को जो दिखती हैं, उसके सिवाय क्या हो सकती हैं, इसको समझने का एक अवसर देती थी और इसलिए मैं ह्रदय से आपका बहुत आभारी हूं, मेरी तरफ से हृदय से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

राष्ट्र के उप-राष्ट्रपति के रूप में, आपकी सेवाओं के लिए दोनों सदन की तरफ से, देशवासियों की तरफ से भी आपके प्रति आभार का भाव है और आपका यह कर्तृत्व, यह अनुभव और इस पद के बाद निवृत्ति, अपने आप में एक लम्बे अरसे तक, समाज जीवन में उस बात को एक वजन रखती है। राष्ट्र के संविधान की मर्यादाओं पर चलते हुए देश का मार्गदर्शन करने में आपका समय और शक्ति काम आएगा, ऐसी मेरी पूरी शुभकामनाएं हैं!

बहुत बहुत धन्यवाद!

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हामिद अंसारी जीवन परिचय और उनकी उपलब्धियां

  • मोहम्मद हामिद अंसारी का जन्म 1 अप्रैल, 1937, कलकत्ता अब कोलकाता,, भारत
  • भारतीय राजनयिक -राजनीतिज्ञ, शिक्षक और लेखक
  •  2007 से 17 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे
  • धनी मुस्लिम परिवार में जन्मे अंसारी ने बीए कर  अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में डिग्री हांसिल की
  • 1961 में विदेश सेवा में आए
  • लगभग 15 वर्षों  तक इराक, मोरक्को, सऊदी अरब और बेल्जियम में पोस्टिंग के बाद संयुक्त अरब अमीरात (1976-79) के राजदूत बने
  • वह अफगानिस्तान (1989-90), ईरान (1990-92) के भी राजदूत रहे
  • ऑस्ट्रेलिया में उच्चायुक्त (1985-89) और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि (1993) की हैसियत से काम किया. – वह 1980-85 में भारत सरकार के प्रोटोकॉल प्रमुख रहे

विदेश सेवा के बाद शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा हामिद अंसारी ने

विदेश सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद हामिद अंसारी को अकादमिक पदों पर नामित किया गया. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति (2000-02) रहे. इसके अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (1999-2000) और जामिया मिलिया इस्लामिया (2003) में विजिटिंग प्रोफेसर की हैसियत से भी काम किया. वह एक निजी थिंक टैंक के लिए भी काम करते रहे. कई सरकारी आयोगों और समितियों में भी काम किया.

शिक्षा के बाद सियासत में आ गए हामिद अंसारी

2007 में अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने.उन्होंने 455 वोट हासिल करके अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की नजमा हेपतुल्ला को हराया. 2012 में उन्हें फिर से इस पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए चुना गया.कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में प्रणब मुखर्जी के पक्ष में पारित किया. उन्होंने अपना दूसरा कार्यकाल जीतने के लिए एनडीए के जसवंत सिंह को 252 वोटों के अंतर से हराया. अंसारी का 2017 में दस साल का कार्यकाल समाप्त हुआ.

हामिद अंसारी गुजरात दंगा पीड़ियों के बने सहारा

अंसारी का कार्यकाल काफी हद तक गैर-विवादास्पद रहा. वह 2002 में गुजरात राज्य में सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को मुआवजा सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका के लिए जाने गए. बाद में उन्होंने 1984 के बाद से भारत में सभी दंगा पीड़ितों के लिए राहत और पुनर्वास प्रयासों की पूर्ण समीक्षा पर जोर दिया. इस अवसर पर उन्होंने मजबूत विचार व्यक्त किए. 2006 में, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने पोप बेनेडिक्ट द्वारा की गई टिप्पणियों को इस्लाम विरोधी बताया, जिसमें पोप ने जिहाद और पवित्र युद्ध शब्दों का इस्तेमाल किया था. इससे पहले, 2005 में, अंसारी ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ भारत के वोट पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भारत सरकार की स्थिति तथ्यों से समर्थित नहीं है.

मध्य पूर्व में अपनी कई वर्षों की राजनयिक पोस्टिंग के साथ, अंसारी ने उस क्षेत्र के विद्वान के रूप में प्रतिष्ठा विकसित की. उन्होंने विशेष रूप से फिलिस्तीनी मुद्दे पर लिखा. वह ट्रैवलिंग कॉन्फ्लिक्ट: एसेज ऑन द पॉलिटिक्स ऑफ वेस्ट एशिया (2008) के लेखक और ईरान टुडेः ट्वेंटी फाइव इयर्स आफ्टर द इस्लामिक रिवोल्यूशन (2005) के संपादक भी हैं. राॅ के कई पूर्व अधिकारी उनके ईरान के रवैये को लेकर आलोचना करते हैं.