राम मंदिर समारोह के दौरान कैसा हो मुसलमानों का रवैया ?
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली / गुवाहाटी
जनवरी 22 के करीब आने के साथ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के आयोजन को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि देश के मुसलमानों का रवैया क्या हो ? इस सवाल का उत्तर समझने के लिए पहले आपका मनोविज्ञान का सिद्धांत समझना होगा. राम मंदिर से जुड़े हर तबके की कोशिश है कि इससे उनके प्रति देश-दुनिया में माहौल बने. विदेशों से कार्यक्रम मंे लोगों को लाने, वीआईजी शख्सियतों को जुटाने यहां तक कि मुसलमानों के नाम पर राम मंदिर, मोदी, योगी को बम से उड़ाने की धमकी देने का मकसद भी यही है. एक तो इससे सामने वालों को चुनाव में लाभ पहुंचेगा, दूसरे यह बताने का मौका मिलेगा कि मौजूदा भारत में अब वह सब कुछ हो सकता है, जो वे चाहते हैं.
मुसलमाना दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी है. मक्का-मदीना इस कौम की सबसे बड़ी इबादतगाह. इन शहरों की मस्जिदों या इबादतगाहों या फिर पैगंबर मोहम्मद साहब के परिवारों की मजारों, घरों को लेकर समय-समय पर कई तरह के और महत्वपूर्ण निर्माण या कार्यक्रम होते रहते हैं. क्या कभी आपने सुना है कि इसके लिए दुनियाभर से ईंट, पत्थर जुटाई गई हो ? नहीं न !! इसलिए कि इसका उद्देश्य राजनीति या कुछ और नहीं है. मगर अभी भारत में जो कुछ चल रही है, वह दरअसल आम आदमी को धर्म के समुंदर में गोते लगवाकर अपना निशाना साधने जैसा है. अन्यथा क्या इस देश में इससे पहले कोई मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे नहीं बने ? बस इस छोटे से नरेशन को समझने और मुसलमानों को इससे बचने की जरूरत है. अपकी थोड़ी सी प्रतिक्रिया सामने वालों के उद्देश्य को पूरा करने में सौ प्रतिशत मददगार साबित होगी.
ऐसे मौके पर भारत के मुसलमानों को बिलकुल चुप्पी साध लेना चाहिए. यह मान लेना चाहिए कि किसी एक धर्म का बड़ा आयोजन है, जिसमें उनकी कोई जरूरत ठीक वैसे ही नहीं, जैसा कि उन्हांेने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के निर्माण के समय जज्बा दिखाया था. यदि कोई मुसलमान चंदा देने, कारोबार करने, इससे जुड़ी राजनीति की बातें करता है तो समझ लीजिए, यह उनका ही आदमी है. केवल नाम मुसलमानों जैसा है. कुछ लोग गंगा-जमुना तहजीब का हवाल देंगे. ऐसे लोगों का इस वक्त बायडाटा निकालकर कर उनके चरित्र को समझें.
आज कोई नया नहीं है. भारत की स्थापनाकाल से मुसलमान इस देश का हिस्सा और वफादार रहा है. अपने देश के लिए जो करना चाहिए, करता आ रहा है. आगे भी करता रहेगा. इसलिए बेकार की बातों और उकसावे में न पड़ें. अपने रोजमर्रा की तरह ही जिंदगी गुजारें. किसी की बातों पर कान धरने की जरूरत है किसी की रणनीति का हिस्सा बनना.
एआईयूडीएफ प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने ने मुसलमानों से अपील की है कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए इस महीने के अंत में अयोध्या में राम मंदिर अभिषेक समारोह के दौरान यात्रा से बचें. ऐसा कहने के पीछे उनका दो उद्देश्य है. रास्ते में भीड़-भाड़ हो सकती है. दूसरे, कोई बेहूदा शख्स आपको छेड़कर अपना उल्लू साध सकता है. इसलिए सफर से बचें.
सांसद बदरुद्दीन अजमल के मुताबिक,“राम की मूर्ति स्थापित की जाएगी और उस अवधि के दौरान, लाखोें लोग कारों, ट्रेनों, बसों, विशेष ट्रेनों, उड़ानों में वहां जाएंगे. मैं अपने मुस्लिम भाइयों से आग्रह करता हूं कि वे 20 से 24-25 जनवरी तक यात्रा न करें.