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अर्जुन पुरस्कार विजेता नसरीन शेख कौन हैं?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

राष्ट्रपति मुर्मु के हाथों कई मुस्लिम खिलाड़ी भी सम्मानित किए गए. उनमें भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शही और बाॅक्सर हसमुद्दीन भी हैं. इसी सूची में नसरीन शेख का भी नाम है जिन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया है.

अर्जुन पुरस्कार से अचानक सुर्खियों में आईं नसरीन शेख को इससे पहले बहुत कम लोग जानते थे. इनके बारे में केवल चंद उन लोगों को पता था जिनकी दिलचस्पी खो-खो खेल से रही है. मगर अब यह पता चला है कि वह भारत की न केवल खो-खो की महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, बल्कि भारतीय टीम को जीत-हार में उनकी खास भूमिका रहती है.

नसरीन शेख भारतीय महिला खो-खो टीम की कप्तान हैं. वह एक गोताखोर (रक्षक) की भूमिका में हैं. 27 वर्षीय खिलाड़ी इस वर्ष भारत के खेल मंत्रालय द्वारा घोषित अर्जुन पुरस्कार के 26 प्राप्तकर्ताओं में से एक हैं.

नसरीन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी में बर्तन बेचने वाले फेरीवाले मोहम्मद गफूर की बेटी हैं. स्कूल के दिनों से ही खो-खो खेलते समय उनकी गति असाधारण थी. हालाकि उस समय वह कबड्डी और एथलेटिक्स भी खेलती थीं. वह दिल्ली के एक नगरपालिका स्कूल में गईं और दौलत राम कॉलेज से बीए की पढ़ाई पूरी की.

नसरीन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने की अनुमति देने के लिए शेख परिवार को रूढ़िवाद से उबरना पड़ा.अपने बचपन के कोच की सलाह पर, दिल्ली में जन्मी लड़की मजबूत और तेज बनने के लिए मिट्टी की सतहों पर लड़कों की टीमों के साथ अभ्यास करती थी.

वह 40 राष्ट्रीय चैंपियनशिप और चार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेल चुकी हैं. उनका पहला विदेशी दौरा लंदन में था. उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में भारतीय महिला टीम को स्वर्ण पदक दिलाया.

नसरीन शेख का एयर अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ अनुबंध भी है. वह उनकी खो-खो टीम के लिए भी खेलती हैं.

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, नसरीन और उसके परिवार को कठिन समय का सामना करना पड़ा. उसके पिता काम नहीं कर सके और इसका असर खिलाड़ी के आहार पर भी पड़ा. हालाँकि, खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया और कई अन्य गैर सरकारी संगठन उनके बचाव में आए.

भारतीय खो खो महासंघ ने एक घोषणा के तहत नसरीन शेख पर एक बायोपिक रविवार, 24 दिसंबर 23 को कटक, ओडिशा में अल्टीमेट खो खो सीजन 2 के उद्घाटन समारोह में प्रदर्शित किया था.

यह स्क्रीनिंग भारतीय महिला कप्तान की उपलब्धि का जश्न मनाने का एक संकेत है और उनकी यात्रा आर्थिक रूप से पिछड़े युवाओं को प्रेरित करने के लिए जारी रहनी चाहिए. वह हमेशा विपरीत परिस्थितियों में डटकर खड़ी रहीं और 9 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया.