ICJ का फैसला, इजरायल पर फिलिस्तीनियों के नरसंहार के खिलाफ चलेगा मुकदमा
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, वाशिंगटन
आईसीजे यानी इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस ने इजरायल के खिलाफ गाजा मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. अंतरराष्ट्रीय अदालत फिलिस्तीनी नरसंहार के मामले की सुनवाई करते हुए इजरायल के खिलाफ गाजा में फिलिस्तीन के लोगों के नरसंहार करने के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.अंतरराष्ट्रीय न्यायालय फिलिस्तीनी नरसंहार मामले की सुनवाई कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने फिलिस्तीनी नरसंहार मामले में दक्षिण अफ्रीका के आरोपों को सही बताते हुए मामले की सुनवाई न करने के इजरायल के अनुरोध को खारिज कर दिया.अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 15 न्यायाधीशों ने फैसले का समर्थन किया, जब कि 2 ने विरोध. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आपातकालीन आदेशों को 15 दो ने मंजूरी दे दी.
अदालत ने इजराइल को नरसंहार के अपने कृत्यों को रोकने और आज के आदेश के अनुसार अपने कार्यों पर एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया, ताकि मानवीय सहायता गाजा तक पहुंच सके और स्थिति में सुधार हो सके.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार, इजराइल को एक महीने में उपायों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. गाजा संघर्ष में शामिल सभी पक्ष अदालत के फैसले से बंधे हैं.
अदालत का कहना है कि गाजा में इजरायली हमलों के कारण बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत हुई. अदालत को गाजा में मानवीय त्रासदी की सीमा के बारे में पता है. दक्षिण अफ्रीका द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार, इजरायल को 1 महीने में उपायों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने गाजा नरसंहार मामले को निलंबित करने के इजरायल के अनुरोध को खारिज कर दिया. कहा कि इजराइल के खिलाफ नरसंहार मामले पर फैसला देना अदालत के अधिकार क्षेत्र में है.
South African foreign minister Naledi Pandor at the Hague says she would have wanted the #ICJ to explicitly call for a ceasefire, but says the only way Israel can meet the order of the court is for their to be a ceasefire. pic.twitter.com/Z0PyLTusAX
— Saul Staniforth (@SaulStaniforth) January 26, 2024
इजराइल के खिलाफ नरसंहार के पर्याप्त सबूत
आईसीजे का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका के पास इजराइल के खिलाफ नरसंहार का मामला दर्ज करने की शक्ति है. इजराइल के खिलाफ नरसंहार के मामले के पर्याप्त सबूत हैं. इजराइल के खिलाफ कुछ आरोप कन्वेंशन, गाजा के प्रावधानों के तहत आते हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, गाजा अब जिंदा नहीं रह सकता. 7 अक्टूबर के बाद गाजा में बड़े पैमाने पर तबाही हुई. गाजा में 7 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. 63 हजार से ज्यादा घायल हुए. इजरायल के सैन्य हमले से गाजा में मौतें, विनाश, विस्थापन हुआ है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ताजा जानकारी के मुताबिक, 25,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं. 9 अक्टूबर को इजरायली रक्षा मंत्री ने गाजा की घेराबंदी करने, बिजली-पानी काटने और गाजा में स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था बंद करने की घोषणा की थी. हम नरसंहार से सुरक्षित रहने के फिलिस्तीनी अधिकार को मान्यता देते हैं. हम गाजा में मानवीय आधार टूटते हुए देख रहे हैं.
अदालत का कहना है, दक्षिण अफ्रीका ने 29 दिसंबर को इस अदालत में एक आवेदन दायर किया था. हमास के हमले के जवाब में इजरायली हमलों में कई लोगों की जान और बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय न्याय संगठन ने गाजा में मानव क्षति पर चिंता व्यक्त की.इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के बाहर फिलिस्तीनी और इजरायली बड़ी संख्या में मौजूद थे.
फिलिस्तीनी युवा ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है.उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत फिलिस्तीनियों के साथ न्याय करेगी.दक्षिण अफ्रीका की ओर से कोर्ट में दायर अर्जी में कहा गया कि इजरायल गाजा में कन्वेंशन का उल्लंघन कर रहा है. इंटरनेशनल कोर्ट को इजराइल को गाजा में अपने सैन्य अभियान रोकने का आदेश देना चाहिए.11 और 12 जनवरी को हुई सुनवाई में दक्षिण अफ्रीका और इजराइल ने दलीलें दीं थीं
फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने आईसीजे के आदेश का स्वागत किया
फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने कहा है कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करता है. आदाल के न्यायाधीशों ने तथ्यों और कानून की समीक्षा की.फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने कहा कि आईसीजे ने कानून के मुताबिक, मानवता और अंतरराष्ट्रीय कानून के पक्ष में अपना फैसला सुनाया.
रियाज अल-मलिकी ने कब्जे वाले इजराइल सहित सभी देशों से अंतरर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिए गए अंतरिम उपायों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कहा.
रियाद अल-मलिकी ने कहा कि यह एक प्रतिबंधात्मक कानूनी दायित्व है. देशों के पास अब गाजा में फिलिस्तीनियों पर इजरायल के नरसंहार युद्ध को रोकने के लिए एक स्पष्ट कानूनी दायित्व है. अब देखना यह है कि कौन से देश अदालत का फैसला सुनिश्चित करने के लिए इसमें भाग लेते हैं या नहीं.उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का आदेश भी एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है.कोई भी देश कानून से ऊपर नहीं है.
संघर्ष विराम का आदेश देने में विफल रहा है आईसीजे
Valiant effort by South Africa which deserves our appreciation. Standing up for the Palestinians, for law and justice and also becoming the voice of the Global South
— Maleeha Lodhi (@LodhiMaleeha) January 26, 2024
इसी के साथ, यह सवाल भी उठने लगा है कि आईसीजे अपने आदेश इजरायल पर कैसे लागू कराएगा. इससे पहले इसके सीजफायर के आदेश पर अमल नहीं हो पाया था. ताजा मामले में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने गाजा में युद्ध विराम का आदेश देने में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) की विफलता को निराशाजनक बताया.
लोधी ने कहा, इजरायल को हत्याएं रोकने और एक हद तक फिलिस्तीनियों की रक्षा करने के लिए कहना, यह इजरायल के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि यह बाध्यकारी है.उन्होंने कहा कि इजराइल पर डाला जा रहा दबाव नैतिक दबाव है. हालांकि अदालत को और अधिक करने की उम्मीदें हैं.
एक्स पर एक पोस्ट में अलग से, उन्होंने फिलिस्तीनियों, कानून और न्याय के लिए खड़े होने और ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका की प्रशंसा की.