उत्तराखंड विधानसभा में UCC विधेयक रखते समय वंदे मातरम, जयश्री राम के नारे लगाने का मतलब ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड विधानसभा के पटल पर रखने के बावजूद समान नागरिकता कानून का प्रस्ताव मंगलवार को भले ही पास नहीं हो सका, पर इस दौरान सदन में जय श्रीराम और वंदे मातरत के नारे लगाने का प्रभाव यह पड़ा कि सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने मुसलमानों पर अर्नगल बयानबाजी की बौछार कर दी.
इस बारे में सोशल मीडिया पर मुसलमानों को लेकर इतने भद्दे कमंेट किए जा रहे हैं कि ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई बनती है. भद्दे कमेंट करने वालों में कई ऐसे हैं जिन्हांेने नेे अल्लाह हो अकबर को ‘ओला’ ‘उबर’ कहकर मजाक उड़ाया.
विधानसभा में ऐतिहासिक "समान नागरिक संहिता विधेयक" पेश किया। #UCCInUttarakhand pic.twitter.com/uJS1abmeo7
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 6, 2024
विवादास्पद बोल
विरेंद्र रावत ने एक्स पर लिखा है, ‘‘विदेशी धर्म और संस्कृति की गुलामी जहन्नुम से बुरी होती है. भारत में ऐसे करोड़ो लोग हैं जो इस गुलामी से मुक्त होना चाहते हैं, पर विदेशी शक्तियों के इशारे पर नाचने वाले मद्दारी इनको मुक्त नहीं होने देते.’’
विदेशी धर्म और संस्कृति की गुलामी जहन्नुम से बुरी होती है। भारत में ऐसे करोडो लोग है जो इस गुलामी से मुक्त होना चाहते है , पर विदेशी शक्तियो के इशारे पर नाचने वाले मद्दारी इनको मुक्त नहीं होने देते।
— Virendra Rawat (@Virendraahd1) February 6, 2024
एक्स पर यमुनानगर के डिप्टी चेयरमैन अग्नि विजय ने लिखा है, ‘‘ये हिंदू राष्ट्र के सफ़र में एक मील का पत्थर है जयश्री राम.’’
ये हिंदू राष्ट्र के सफ़र में एक मील का पत्थर है जयश्री राम
— Agni Vijay (@Dilsedes) February 6, 2024
जब कि हिंदुस्तान नामक एक एक्स हैंडल पर लिखा गया है-‘‘हिंदुत्वा जागे य जिहाद भागे. ऐसे जिहादियों से मत डरियो.
हम पाकिस्तान नहीं जाएंगेय तुम भारत मत अईंहों. ’’
हिंदुत्वा जागे ; जिहाद भागे।
— Hindustan (@AsurVinashak) February 6, 2024
ऐसे जिहादियों से मत डरियो।
हम पाकिस्तान नहीं जाएंगे; तुम भारत मत अईंहों।
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मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा
ऐसे बयान तो बानगी मात्र हैं, जबकि इससे भी बुरे कमेंट की मुसलमानों पर बौछार हो रही है. सवाल उठता है कि क्या समान नागरिकता कानून की मंशा कुछ लोगों को हक दिलाना है या कुछ और है ? सोशल मीडिया पर बकवासबाजी करने वाले क्या वे लोग हैं जिनकी मंशा उत्तराखंड सरकार पूरी करने जा रही है. इसी तरह एक सवाल उत्तराखंड सरकार से भी बनता है कि क्या कानून और संविधान भी अब धार्मिक नारों से चलेगा ?
जाहिर है ऐसी परंपरा चली तो मुस्लिम सदस्य सदन में अल्ला हो अकबर के नारे लगाएंगे और सिख सदस्य वाहे गुरू जी का खालसा. यहां सोचना सरकारों को है !
बहरहाल, देहरादून की एक खबर के अनुसार,सत्र की कार्यवाही मंगलवार को दोपहर दो बजे के बाद फिर से शुरू हुई. इससे पहले सुबह जब विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू हुई, तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिकता कानून विधेयक 2024 को सदन में पेश किया. इस दौरान सदन में ‘जय श्रीराम‘ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए गए, जिसका विपक्ष ने विरोध किया.
विपक्ष के विरोध करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने समान नागरिकता कानून को सदन के सामने पढ़ते हुए इसकी खूबियों को बताया. उन्होंने विपक्ष पर भी जमकर कटाक्ष किया.
विपक्ष यूसीसी का जमकर विरोध करता रहा. संसदीय कार्यमंत्री के कटाक्ष पर भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया.मंगलवार को सदन में सिर्फ यूसीसी को चर्चा के लिए रखा गया था. लेकिन, समान नागरिकता कानून (यूसीसी) विधेयक पास नहीं किया जा सका. सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आज हम सब गौरवशाली हैं. पूरे देश के अंदर उत्तराखंड एक ऐसा राज्य बनने जा रहा है, जहां यूसीसी लागू करने की पहल सीएम धामी ने की है. कुछ लोग तुष्टिकरण की राजनीति करते थे. आज हम संतुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं.
मदन कौशिक ने कहा कि भाजपा ने वादा किया था कि सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो यूसीसी बिल लागू किया जाएगा. इस बिल से एक ओर जहां महिलाएं अधिकार संपन्न होंगी, वहीं, इस बिल का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलेगा. यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों, के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होंगे.
क्या है यूसीसी में
बता दें कि समान नागरिकता कानून के लागू होने के बाद लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है. विधेयक में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार, विरासत और गोद लेना जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को मुख्य रूप में ध्यान में रखा गया है. इसमें शादी के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी, जबकि, लड़के की उम्र 21 वर्ष रखी गई है.