Religion

मुस्लिम समुदाय सूर्य नमस्कार का बहिष्कार करें: जमियत उलेमा-हिन्द

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, जयपुर.

जमियत उलेमा-हिन्द भारतीय मुसलमानों का प्राचीन संगठन है. जयपुर में संगठन की राज्य कार्यकारिणी ने 12 फरवरी को एक प्रस्ताव के माध्यम से स्कूलों में सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में समस्त विधालयों में विद्यार्थियों, अभिभावकों व अन्य लोगों से सामूहिक सूर्य नमस्कार के सरकारी आदेश की निन्दा करते हुये इसे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप और संविधान में दी गयी.

धार्मिक स्वतंत्रता और देश के माननीय सुप्रीम कोर्ट व अनेक उच्च न्यायालयों के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना बताया और मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे 15 फरवरी सूर्य सप्तमी को विद्यार्थियों को स्कूल में न भेजें और इस समारोह का बहिष्कार करें.

जमियत उलेमा-हिन्द की राज्य कार्यकारिणी ने स्पष्ट किया है कि बहुसंख्यक हिन्दु समाज में सूर्य की भगवान/देवता के रूप में पूजा की जाती है. इस अभ्यास में बोले जाने वाले श्लोक और प्रणामासन्न, अष्टांगा नमस्कार इत्यादि क्रियाएँ एक इबादत का रूप है. इस्लाम धर्म में अल्लाह के सिवाय किसी अन्य की पूजा अस्वीकार्य है. इसे किसी भी रूप या स्थिति में स्वीकार करना मुस्लिम समुदाय के लिये सम्भव नहीं है.

जमियत उलेमा-हिन्द का स्पष्ट मानना है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में अभ्यास का बहाना बनाकर किसी विशेष धर्म की मान्यताओं को अन्य धर्म के लोगों पर थोपना संवेधानिक मान्यताओं और धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है.

एक घृणित प्रयास है, जिसका पूरी ताकत से विरोध किया जायेगा तथा देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार हम इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे.

जमियत उलेमा-हिन्द ने राज्य सरकार से अपील की है कि सरकार योगा अभ्यास के मसले पर मुस्लिम समुदाय के साथ विचार-विमर्श कर उसको विश्वास में ले ताकि अनावश्यक विवाद से बचा जा सके तथा उपरोक्त विवादास्पद आदेश को तुरन्त प्रभाव से वापस लेने की हिदायत सम्बन्धित विभाग को जारी करे, इसलिये कि इस कदम से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान होगा और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के स्लोगन पर सवालिया निशान लग जायेगा.

मुख्य बिंदु

  • -सूर्य सप्तमी के उपलक्ष्य में स्कूलों में समूहिक सूर्य नमस्कार के आदेश का प्रतिरोध
  • -जमियत उलेमा-हिन्द का मान्यताओं और संविधान के प्रति समर्थन
  • -धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष करने की अपील
  • -धार्मिक अनिवार्यता को नकारने का स्पष्ट दृष्टिकोण
  • -राज्य सरकार से संविधानिक मामले में सम्मानपूर्ण निर्णय लेने की अपील

जमियत उलेमा-हिन्द ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे अपनी नई पीढियों के ईमान व आस्था की हिफाजत करें और इस सिलसिले में किसी भी प्रकार के दबाव को स्वीकार न करें, क्योंकि भारतीय संविधान में अपनी धार्मिक आस्था और विश्वास पर अड़िग रहते हुये सबको शिक्षा प्राप्त करने की पूर्णतया आजादी प्राप्त है.