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Bengaluru violence …और मंदिर के आगे मानव श्रृंखला बनाकर खड़े हो गए मुसलमान

नफरत की खेती करने वाला गिरोह मुस्लिम-दलित एकजुटता से परेशा। इसमें दरार डालने की निरंतर कोशिश में है। ताजी घटना उसी का हिस्सा।

बेंगलुरू में जिन कारणों से हंगामा बरपा, उसपर पानी डालने की बजाए कुछ लोग अनर्गल बयानबाज़ी से माहौल और खराब करने की कोशिश में हैं। इस क्रम में हंगामे के दौरान एक मंदिर की रक्षा में मानव श्रृंखला बनाकर खड़े मुसलमानों का  मजाक उड़ाया जा रहा है। यही नहीं नफरत का कारोबार करने वाले इसी बहाने दलित-मुस्लिम गठजोड़ में दरार डालने के प्रयास में भी हैं।
  पिछले वर्ष नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में देशभर में होने वाले आंदोलनों में जिस प्रकार दलितों ने मुसलमानों के प्रति एकजुटता दिखाई। उसे लेकर नफरती गैंग परेशान है। साथ ही उसका प्रयास है कि किसी तरह यह एकजुटता खत्म कर दी जाए। ऐसे प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। यह घटना भी उसी का हिस्सा है।
बहरहाल, पूरा मामला यूं है कि कर्नाटक से कांग्रेस विधायक एवं दलित नेता अखंड श्रीनिवासन मूर्ति के भतीजे द्वारा सोशल मीडिया पर मुसलमानों के अंतिम पैगंबर हज़रत मोहम्मद स. को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर आधी रात को बेंगलुरू के मुस्लिम समाज का एक धड़ा भड़क गया। आरोपी विधायक के भतीजे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर वे पहले स्थानीय थाने पहुंचे। पुलिस वालों द्वारा उनकी मांग के अनुरूप तत्काल कार्रवाई से मना करने पर वे भड़क उठे। बेंगलुरू के पुलिस कमिश्नर ने एनडी टीवी इंडिया के रिपोर्टर नेहाल किदवई से बातचीत में कहा कि थाने पहुंचने वालों ने पहले वहां तोड़-फोड़ की। फिर थाने के बेसमेंट में जब्त कर रखे  दोपहिया वाहनों और बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई। कई बाइकें फूंक दीं। उसके बाद उग्र भीड़ विधायक के आवास पर पहुंची और पत्थर बरसा कर उनकी खिड़की, दरवाजे के शीशे तोड़ दिए। भवन को कुछ और क्षति भी पहुंचाई गई। पुलिस ने जब उन्हें शांत करने का प्रयास किया तो वे और भड़क गए। इसलिए पहले लाठी चार्ज किया गया। उसके बाद फ़ायरिंग की गई जिसमें तीन लोग मारे गए। 60 पुलिस कर्मियों को भी गंभीर चोटें आई हैं, जिसमें एक आईपीएस रैंक का अधिकारी भी शामिल है। सुबह तक दंगा करने के आरोप में एक राजनीतिक दल के नेता सहित 110 लोगों एवं पैगंबर साहब की शान में अनर्गल टिप्पणी करने वाले विधायक के भतीजे को गिरफ्तार कर लिया गया था। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए बेगंलुरू में धारा 144 लगा दी गई है। हालांकि, हंगामे के बाद आरोपी लड़के की गिरफ्तारी में पुलिस ने जितनी तत्परता दिखाई, वैसी पहले दिखाई होती तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती।

pic social media

सुखद पहलू में पलीता लगाने की कोशिश

बहरहाल, इस हंगामे का एक सुखद पहलू भी है। जब आगजनी और तोड़-फोड़ हो रही थी। उस समय दर्जनों की संख्या में मुस्लिम युवक दीवार बनकर एक स्थानीय मंदिर के आगे खड़े हो गए थे। उन्हांेने हंगामे के दौरान वहां किसी को फटकने नहीं दिया। तकरीबन पूरी रात वे वहां खड़े रहे। हालांकि देश का तमाम न्यूज चैनल दंगे के इस अहम पहलू को खा गया। किसी ने इसपर कोई खबर नहीं चलाई, जबकि सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में हंगामे के दौरान मुसलमानों को मंदिर के आगे रक्षा कवच बनकर खड़े साफ देखा जा सकता है। इसके इतर, समाज में नफरत की खेती करने वाला गिरोह मुसलमान की इस पहल पर उनकी हौसला अफजाई की बजाए उनपर तंज कस रहा है। ऐसे लोगों में शामिल अमित प्रॉउड हिंदू ट्वीटर हैंडल से कहा गया-‘‘यह क्या ड्रामा है। यह सब करके साबित क्या करना चाह रहे हैं।’’ अंदोनी अबला ने लिखा-‘‘किससे बचा रहे हो। मुसलमानों से ?’’ क्रिस नामक ट्वीटर हैंडल से घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल किया गया। कहा-‘‘चू…मुल्ले। दिल्ली में भी यही बकचो…कर रहे थे दंगा के टाइम।’’ इसके अलावा भाजपा नेता एवं एक पक्ष द्वारा दिल्ली में दंगा भड़काने का आरोप झेेल रहे कपिल मिश्रा जैसे लोग बंेगलुरू की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिखकर माहौल खराब कर रहे हैं। मिश्रा ने अपने ट्वीटर हैंडल पर बंेगलुरू हंगामे का वीडियो शेयर करते हुए कहा है-‘‘इसी तरह दिसंबर 19 में जामिया मिल्लिया से शुरू हुआ था। संजय ने मुसलमानों के बारे में कहा है कि इनके खून में है यह। सन्नी तमाक तो माहौल खराब करने में औरों से दो हाथ आगे है। उसने ट्वीट किया है-‘‘हमें गोली मारनी होगी। 10-20 मौके पर निपटाने होंगे।’’ सरकार ने ऐसे बेलगाम लोगों को छुट्टा छोड़ा तो देश के दूसरे हिस्से में भी आग भड़क सकती है!

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संपादक

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