Haldwani : मस्जिद-मदरसा ढहाने को क्या मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गया ?
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, देहरादून
क्या हल्द्वानी में मस्जिद-मदरसा ढहाने के लिए प्रशासन ने नरेटिव बिल्टि करने के लिए मीडिया-सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया ? यह अहम सवाल सोशल मीडिया पर चल रही कुछ सामग्रियों को लेकर उठाया जा रहा है.
दरअसल, मिल्ली टाइम्स नामक एक सोशल मीडिया ने एक्स पर एक ऐसा वीडिया जारी किया है, जिसमें एक महिला एक्टिविस्ट इस ओर इशारा करते हुए कहती दिख रही हैं कि मस्जिद-मदरसा गिराने केलिए प्रशासन अपने साथ खास मीडिया कर्मियों को ले गया था. वे निरंतर प्रभावितों को ‘विलेन’ बनाकर पेश कर रहे थे, जब कि जमीनी कहीकत कुछ और थी.
इस 7:55 मिनट के वीडियो में महिला एक्टिविस्ट यह भी कहती दिखाई दे रही हैं, ‘‘ मस्जिद-मदरसे से कुरान शरीफ सहित दूसरे सामान भी नहीं निकालने दिया गया और इसे भी जमींदोज कर दिया गया.हल्द्वानी मस्जिद-मदरसा ढहाने से जुड़ी उन्हांेने कई और महत्वपूर्ण बातें इस वीडियो में कहीं हैं. महिला की बातचीत के लहजे से लगता है कि वह हिंदू हैं.
हल्द्वानी में उस दिन क्या हुआ था जाने ग्राउंड रियलिटी| pic.twitter.com/NJGSTE33Dy
— Millat Times (@Millat_Times) February 16, 2024
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर एक तथाकथित विदेश नीति के एक्सपर्ट और हिंदू राइट एक्टिविस्ट मिस्टर सिन्हा ने भी एक वीडियो पोस्ट किया है. उस वीडियो के साथ उनके कुछ कमेंट भी हैं. पहले मिस्टर सिन्हा के कमेंट पढ़लें. उन्हांेने लिखा है-लैंड जे!हैड असली हैए समझने के लिए इसे देखें
.पहले मुसलमानों ने अवैध ढांचा बनाया
.इसे मुस्लिम बच्चों को पढ़ाने के लिए मदरसे के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया
.फिर इसका इस्तेमाल नमाज पढ़ने के लिए करना शुरू कर दिया
.और फिर उन्होंने दावा किया कि यह एक मस्जिद है
सब कुछ कुछ ही महीनों में हो गयाण् और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मौलवी स्थानीय भी नहीं है. मौलवी ने स्वयं कबूल किया.
इस तरह वे देवभूमि उत्तराखंड पर कब्जा कर रहे हैं.
घटना हल्द्वानी और सीएम की है
पुष्करधामी जी ने इस अवैध ढांचे को गिरवा दिया.
Land j!had is real, watch this to understand
— Mr Sinha (@MrSinha_) February 17, 2024
-First MusIims built an Illegal structure
-Started using it as Madarasa to teach MusIim kids
-Then started using it to offer Namaz
-And then they claimed that it's a mosque
Everything happened within a few months. And most… pic.twitter.com/9NPVTFUnyf
मिस्टर सिन्हा के इस ट्वीट पर आने से पहले बता दूं कि वह खुले तौर पर हिंदू, मोदी की वकालत करते हैं और मुसलमानों को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते.हर बात में सांप्रदायिकता लाना उनकी फितरत है. सरफराज खान जब जडेजा की गलती से रन आउट हो गए तब भी यह अपनी हरकत से बाज नहीं आए थे.
इससे पहले जब मोहम्मद शमी को भारत रत्न दिया गया, तब भी मिस्टर सिन्हा ने उसमें हिंदू-मुसलमान का एंगिल खोज लिया था. शमी के भारत रत्न मिलने पर उन्होंने एक्स पर टिप्पणी की थी-‘‘ यह उन लोगों के लिए है जो यह प्रचार करते रहते हैं कि भारत में मुसलमानों को सम्मान नहीं मिलताए भारत में उन पर अत्याचार हो रहा है आदि।
This is for those who keep propagating that Muslims don't get respect in India, they're being persecuting in India etc.
— Mr Sinha (@MrSinha_) January 9, 2024
Indian cricketer Md Shami gets one of the highest sports Honour "Arjuna Award" from the Indian President. pic.twitter.com/CMMRq1t0v6
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी को भारत के राष्ट्रपति से सर्वोच्च खेल सम्मान ष्अर्जुन पुरस्कारष् में से एक मिला.चूंकि मिस्टर सिन्हा की ऐसी हरकत करने की पुरानी आदत है, इसलिए उनके ताजे वीडियो को लेकर क्या यह सवाल नहीं बनता कि मस्जिद के इमाम से सवाल-जवाब करने वाले वे कौन लोग थे और उनका खुलासा क्यों नहीं होना चाहिए ? क्या दूसरे शहर का व्यक्ति कहीं और इमाम नहीं बन सकता ? जब देश में एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने, रहने-खाने की संवैधानिक आजादी है तो कोई किसी को कहीं भी इमामत करने से कैसे रोक सकता है ? यही नहीं कैमरे पर जिस तरह से इमाम से सवाल-जवाब किए जा रहे थे क्या कोई भी सीधा-साधा आदमी खुद को बचाने के लिए हलके-फुलके जवाब नहीं देगा ?
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खुद को विदेश नीति का एक्सपर्ट बताने वाले मिस्टर सिन्हा को यह वीडिया डालते समय यह याद नहीं रहा कि अभी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबु धाबी में एक मंदिर का उद्घाटन कर के आए हैं. इनकी उल्टी-सीधी हरकतों से मुस्लिम देशों में भारत की छवि खराब हो सकती है ? मोदी मुस्लिम देशों में भारत की शाख बढ़ाने में लगे हैं और मिस्टर सिन्हा जैसे लोग लाइक-कमेंट पाने के लिए उसी शाख को धूल-धुसरित कर रहे हैं.
AI के कुछ सुझाव
- मस्जिद-मदरसा ढहाने की घटना में सामाजिक मीडिया का गलत इस्तेमाल किया गया है.
- मीडिया ने निरंतर प्रभावितों को ‘विलेन’ बताकर गलत नारेटिव बिल्ट किया है.
- सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली वीडियोज़ और ट्वीट्स ने सांप्रदायिकता फैलाने का माहौल बढ़ा दिया है.
- हिंदू-मुस्लिम विवादों को उत्तेजित करने और समुदायों के बीच आपसी द्वेष बढ़ाने का काम किया गया है.
- इस घटना में मीडिया की जिम्मेदारी का साहसिक उत्तरदायित्व है, जो उचित रिसर्च और वास्तविकता के साथ खबरें प्रकाशित करे.
- सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर फैलाए गए झूठे खबरों के प्रभाव को समझने और रोकने के लिए सामूहिक जागरूकता की आवश्यकता है.
- मीडिया की जिम्मेदारी नहीं सिर्फ़ सच्चाई को प्रकट करने में होती है, बल्कि समाज को जागरूक और सही दिशा में राह दिखाने में भी.
- सोशल मीडिया पर फैली जाने वाली अफवाहों और झूठी खबरों को छेड़छाड़ करने के लिए सरकार को भी कठोर कदम उठाने चाहिए.
- लोगों को सही जानकारी प्राप्त करने के लिए सत्यापित स्रोतों का सहारा लेना चाहिए, और फैक्ट-चेकिंग को महत्वपूर्ण मानना चाहिए.