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मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ पर ताला लगने का रास्ता साफ ! अल्पसंख्यकों में चिंता

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

फरवरी 2022 में जब भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (एमएईएफ) का बजट 90 करोड़ रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया तो काफी हंगामा हुआ, लेकिन जो खबर सामने आ रही है अब बताया जा रहा है कि फाउंडेशन को बंद करने का रास्ता साफ हो गया है. यानी किसी भी समय अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सक्रिय रूप से काम करने वाली संस्था पर ताला लगने की खबर सामने आ सकती है.

दरअसल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का एक कार्यालय आदेश सामने आया है, जिसमें मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन को बंद करने का जिक्र है. यह कार्यालय आदेश 7 फरवरी, 2024 का है और इस पर भारत सरकार के अवर सचिव धीरज कुमार के हस्ताक्षर हैं. कार्यालय आदेश में जो लिखा है उससे पता चलता है कि फाउंडेशन को बंद करने के लिए शुरू की गई कार्यवाही सेंट्रल वक्फ काउंसिल (सीडब्ल्यूसी) द्वारा दिए गए प्रस्ताव का नतीजा है. सेंट्रल वक्फ काउंसिल अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत एक संगठन है जो देश में अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षिक मामलों के प्रबंधन और पर्यवेक्षण की देखरेख करता है.

गौरतलब है कि कार्यालय आदेश में इस बात का उल्लेख है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल के प्रस्ताव पर फाउंडेशन को बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इस आश्चर्यजनक कदम के पीछे का कारण पता नहीं चल पाया है..कोई ठोस तर्क नहीं दिया गया है. कार्यालय आदेश में यह भी कहा गया है कि 30 नवंबर, 2023 तक फाउंडेशन के पास कुल 1073.26 करोड़ रुपये का फंड था.

फाउंडेशन को विभिन्न रूपों में 403.55 करोड़ रुपये का भुगतान भी करना है, यानी इस भुगतान के बाद 669.71 करोड़ रुपये का फंड बचेगा. इस फंड को भारत की संचित निधि (सीएफआई) में स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया गया है. यानी अगर फाउंडेशन बंद होता है तो इसका फंड भारत सरकार को जाएगा.

अंग्रेजी दैनिक ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने फाउंडेशन को बंद करने की प्रक्रिया शुरू होने पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसमें कहा गया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे ‘आंतरिक मामला’ बताया. उनका कहना है कि ये मामला अभी तक लोगों के सामने नहीं आया है.

फाउंडेशन के एक सदस्य के हवाले से यह भी कहा गया कि हालांकि चर्चा जारी है और कार्यालय आदेश सार्वजनिक नहीं किया गया है. 4 मार्च को एक बैठक निर्धारित है. हालांकि एजेंडा अभी भी अज्ञात है. यानी फाउंडेशन से जुड़े अधिकारी संस्था को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन वे सफल होंगे या नहीं, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

हिंदुस्तान टाइम्स ने आधिकारिक टिप्पणी के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद से संपर्क किया, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का कार्यालय आदेश सामने आने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई है.

लेकिन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, सेंट्रल वक्फ काउंसिल या मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन का कोई भी सदस्य खुलकर अपनी बात नहीं रख रहा है. नाम न छापने की शर्त पर फाउंडेशन के एक सदस्य ने बताया कि दो-तीन लोग ऐसे हैं जो हर कीमत पर फाउंडेशन को बंद करने को तैयार हैं.

छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मुहम्मद वज़ीर अंसारी (जो फाउंडेशन के सचिव भी रह चुके हैं) ने फाउंडेशन को बंद करने की प्रक्रिया शुरू होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है. उर्दू दैनिक तस्दीक से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह अल्पसंख्यकों के लिए आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है. यह सभी पांच अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुस्लिम, ईसाई और सिखों के लिए एक बड़ा झटका है.

अगर फाउंडेशन बंद हुआ तो लाखों छात्र प्रभावित होंगे. इसकी छात्रवृत्ति योजनाओं से अब तक लाखों बच्चे लाभान्वित हुए हैं और यह छात्रवृत्ति जारी रहनी चाहिए.” जब मैं इसका सचिव था, तो 1,500 से अधिक संस्थानों को अपने बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए अनुदान मिला.

मुहम्मद वज़ीर अंसारी ने इस मामले में केंद्र की बीजेपी सरकार की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, ”यह देखकर दुख होता है कि सरकार मुसलमानों से जुड़ी संस्थाओं को मजबूत करने की बजाय उन्हें नष्ट कर रही है.” मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन को बंद करने का प्रयास हैं.