दिल्ली में नमाजियों के खिलाफ हिंसा इस्लामोफोबिया की अभिव्यक्ति : जमीयत उलेमा ने गृह मंत्री को लिखा पत्र
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली के अंदर लोक में जुमे की नमाज के दौरान पुलिस अधिकारी की नफरत भरी हरकत और लोगों की पिटाई पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमीयत उलेमा ने कहा है कि इस तरह की हरकत एक वैश्विक खतरा है. देश की पहचान काफी बुरा होगा.
इस संबंध में मौलाना मदनी ने भारत सरकार के गृह मंत्री और दिल्ली के एलजी को पत्र लिखकर मांग की है कि पुलिस अधिकारी सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दें. मौलाना मदनी ने कहा कि पुलिस के रवैये से पता चलता है कि वह इस्लामोफोबिया से पीड़ित हैं .
फिरकापरस्त ताकतों की सोच से प्रभावित हैं. इसलिए उन्होंने उन्हें बौद्धिक सुधार के साथ अपने काम के प्रति जिम्मेदार होने की ट्रेनिंग दी. जाना चाहिए.
दिल्ली में नमाजियों के खिलाफ हिंसा, इस्लामोफोबिया की अभिव्यक्ति है
— Jamiat Ulama-i-Hind (@JamiatUlama_in) March 8, 2024
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी साहब ने गृह मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर ऐसे पुलिस अधिकारी को बर्ख़ास्त करने की मांग की है.
دہلی میں نمازیوں پر تشدد اسلاموفوبیا کا مظہر
صدر جمعیۃ علماء ہند نے… pic.twitter.com/mW6RI2gEYG
अपने पत्र में, मौलाना मदनी ने आंतरिक मंत्री को बताया है कि ऐसी घटनाएं जिनमें कानून लागू करने वाले ‘अपराधी’ की भूमिका निभाते हैं, प्रभावित समुदाय के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर देश के दुश्मनों पर लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
प्रतिष्ठा धूमिल करने का अवसर है. मौलाना मदनी ने कहा कि हम मानते हैं कि पुलिस को कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए, लेकिन धार्मिक मामलों से निपटने में सावधानी बहुत जरूरी है.
मौलाना मदनी ने अपने पत्र में लिखा है कि “मैं आपसे तत्काल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के निर्देश जारी करने का आग्रह करता हूं. चाहे उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो.”
कानून को अपने हाथ में लेने के बजाय, उनके जीवन और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए. उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो सांप्रदायिक और देश तोड़ने वाली ताकतों के हथियार हैं. मुझे आशा है कि इस मामले में आपकी त्वरित और निर्णायक कार्रवाई से न्याय प्रणाली में विश्वास बहाल होगा और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी.
ओवैसी कहते हैं, जो पुलिस वाला नमाज़ियों को लात मार रहा था, उसे तो सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन हम सब जानते हैं उसे इतनी हिम्मत इसी लिये आयी क्योंकि समाज के एक बड़े हिस्से में अब मुसलमानों के साथ ऐसा सुलूक करना गर्व की बात हो चुकी है.
जो पुलिस वाला नमाज़ियों को लात मार रहा था, उसे तो सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन हम सब जानते हैं उसे इतनी हिम्मत इसी लिये आयी क्योंकि समाज के एक बड़े हिस्से में अब मुसलमानों के साथ ऐसा सुलूक करना गर्व की बात हो चुकी है।
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 9, 2024
पुलिस वाले की गुलपोशी होगी, और शायद उसे भाजपा वाले अपना… pic.twitter.com/QH0aF1qe7b
पुलिस वाले की गुलपोशी होगी, और शायद उसे भाजपा वाले अपना कैंडिडेट भी बना दें. जो लोग “सड़क अधिकार रक्षक” बन रहे हैं, वो ये बतायें कि गुड़गाँव में तो मुसलमान पुलिस परमिशन से एक ख़ाली प्लॉट में नमाज़ पढ़ते थे, संघियों को वो भी नहीं पचा.
कई मज़हबी और ग़ैर-मज़हबी लोग सड़कों का सांस्कृतिक काम के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन नमाज़ से चिढ़ इसी लिये है क्योंकि इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत अब आम हो गई है.
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