गजवा ए हिंद और हलाल को लेकर एजेंसियों की कार्रवाई पर भड़के प्रो वासे
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
अपनी बेबाक राय के लिए मशहूर जामिया मिल्लिया इस्लामी के इस्लामिक स्टडीज के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अख्तरूल वासे ने गजवा ए हिंद और हलाल सर्टिफीकेट को लेकर कार्रवाई करने के लिए सरकरी एजेंसियों की कड़ी आलोचना की है.
उन्हांेने मीडिया आउटलेट्स मिल्लत टाइम्स उर्दू से बात करते हुए कहा कि गजवा ए हिंद के हदीस से वह इनकार नहीं करते और न कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि गजवा उसे कहते हैं जिसमें पैगंबर मोहम्मद साहब भी शामिल हों. उन्होंने कहा कि गजवा ए हिंद उस समय की बात है जब भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और इराक का कुछ हिस्सा एक था. उन्होंने अपने तर्कों से समझाने का प्रयास किया कि मोहम्मद कासिम और राजा दाहिर की जंग के साथ ही गजवा का दौर खत्म हो गया.
उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि गजवा ए हिंद क्या मुसलमानों के बीच में होना है. मुगलिया दौर में जो जंग हुई वह क्या था. हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध हुए उसे क्या कहा जाएगा ?
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उन्हांेने कहा कि पाकिस्तान के कुछ सरपसंद नहीं चाहते कि भारत के मुसलमान चैन से सांस लें, इसलिए गजवा ए हिंद की फुलझड़ी छोड़ते रहते हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बनने के नौ साल पहले अल्लामा इकबाल की मौत हो गई थी. उन्होंने पैगंबर साहब के हवाले से भारत से हवा आने की बात अपनी शायरी में की थी. पाकिस्तानियों को कम से कम इकबाल की बात माननी चाहिए.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि दारूल उलूम देवबंद हदीस में जो लिखा होता है, उसकी ही बात करती है. गजवा ए हिंद को लेकर कुछ हदीस में लिखा गया है, वही उसने बताया है. सहारनपुर पुलिस की जांच में यह साबित हो चुका है.उन्होंने इस बारे में चाइल्ड प्रोटेक्शन विभाग द्वारा यूपी पुलिस को इस बारे में शिकायत करने पर कड़ी आलोचना की. उन्हांेने उसे आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह शर्मनाक है.
पुलिस जांच में कुछ भी गलत साबित नहीं हुआ. दारूल उलूम देवबंद के लोगों का सभी पार्टियों से संबंध है. बीजेपी को लोग भी वहां जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार और सरकारी एजेंसियों को ऐसी बातों को अहमियत नहीं देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने से बचना होगा.
उन्होंने महमूद मदनी के संगठन द्वारा हलाल का सर्टिफिकेट दिए जाने को लेकर कार्रवाई करने पर उनका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. सर्टिफिकेशन से जो पैसे आए, उसका उनके पास हिसाब है.
उन्होंने कहा कि मुसलमानों के बीच हलाल जीचों की अहमियत है. इसी हलाल-हराम का लाभ उठाने के लिए अंग्रेजों ने गाय और सूअर की चर्बी का मसला खड़ा किया था. उन्होंने कहा कि मदनी सरकार का ही काम कर रहे हैं. हलाल को लेकर अपने देश में कोई कानून नहीं है, जबकि अमेरिका में मेकडोनल के डिब्बे पर भी हलाल लिखा होता है. उन्हांेने अरब और भारत के बेहतर संबंधों पर भी अपनी राय रखी.