Jamiat Ulama-i-Hind का शुक्रवार को औकाफ संरक्षण दिवस, जुमे की नमाज में विशेष खुतबा
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
जमीयत उलेमा ए हिंद ने शुक्रवार यानी 18 वें रमजान को ‘औकाफ संरक्षण दिवस’ मनाने का आहवान किया है. इस दौरान वक्फ संपत्त्तियों को बचाने के लिए जुमे की नमाज में मस्जिदों के इमामों द्वारा विशेष खुतबा दिया जाएगा.जमीयत उलेमा ए हिंद का यह ऐलान ऐसे समय आया है, जब मस्जिदों के फुल होने पर सड़कों पर नमाज पढ़ने के क्रम में कई जगह विवाद सामने आए हैं.
हरियाणा की साइबर सिटी ग्रुरूग्राम में गिनी चुनी मस्जिदें हैं. ऐसे में इस शहर में रहने वाले और आसपास के शहरों से काम के सिलसिले मंे यहां आने वाले सड़कों पर जुमे की नमाज पढ़ने को मजबूर हैं. इस बीच कट्टरवादी संगठनों ने इसे लेकर ऐसी साजिश रची कि खट्टर सरकार ने गुरूग्राम में 80 जगहों पर खुले में जुमे की दिन पढ़ी जाने वाली नमाज बंद कर दी गई. इस मसले पर दिल्ली में रमजान की शुरूआत में एक पुलिस अधिकारी द्वारा सड़क पर नमाज पढ़ते एक व्यक्ति को लात मारने की घटना सामने आई थी.
जमीयत उलेमा ए हिंद का माना है कि वक्फ की जमीनों पर मस्जिदें बना दी जाएं तो यह मसला सदा के लिए समाप्त हो जाए. जमीयत के अनुसार, कर्नाटक में 27 हजार, मध्य प्रदेश में 40 हजार और आंध प्रदेश में 31 हजार वक्फ संपत्तितयों पर या तो सरकारी, गर-सरकारी और कब्जाधारियों का कब्जा है या बेच दी गई हैं. यही हाल पूरे भारत का है.मुंबई में एक बड़े उद्योगपति के बारे में कहा जाता है कि उसकी आलीशान बिल्डिंग वक्त की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाई गई है.
बहरहाल, जमीयत उलेमा ए हिंद ने वक्फ संपत्तियांे को बचाने की मुहिम छेड़ी है. इसकी शुरूआत इस जुमे यानी 29 मार्च से की जा रही है. आगे क्या रणनीति अपनाई जाएगी, अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है.‘औकाफ संरक्षण दिवस’ को लेकर जमीयत की तरफ से सोशल मीडिया पर जो सामग्री डाली गई है, उसमंे दावा किया गया है-‘‘वक्फ विशुद्ध रूप से अल्लाह की संपत्ति है.इस्लाम धर्म में वक्फ के बहुत महान उद्देश्य हैं. विशेषकर मानवता की भलाई, जरूरतमंदों, विकलांगों और विधवाओं का भरण-पोषण आदि. लेकिन दुर्भाग्यवश यह संपत्तियां सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों और कब्जेधारियों के कब्जे में है. दूसरी ओर हमारी मस्जिदों और खानकाहों को सरकारी एजेंसियां अपना बताकर ध्वस्त कर रही हैं.’
जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपनी इस मुहिम को आम मुसलमानों से जोड़ने के लिए देश की मस्जिदों के इमामों से वक्फ संपत्ति को लेकर जुमे के खुतबे में इसका जिक्र करने का आहवान किया है. जमीयत ने इसके लिए विशेष खुतबा तैयार किया है और अपनी प्रचार साम्रगी पर क्यूआर कोर्ड की मदद से इमामों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
कहा गया कि जमीएत उलमा.ए.हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने देश भर की मस्जिदों के इमामोंए खुतबा ;संबोधन करने वालेद्ध और पदाधिकारियों से अपील की है कि वह 29 मार्चए 2024 शुक्रवार ;जुमे के दिनद्ध को ष्अवक़ाफ़ संरक्षण दिवसष् के रूप में मनाएं.
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए जमीयत उलेमा.ए.हिंद ने अपनी परंपरा के अनुरूप अवक़ाफ़ की सुरक्षा के लिए देशव्यापी संघर्ष की घोषणा की है. इस संबंध में जमीयत उलमा.ए.हिंद के शोबा.ए.तहफ्फुज अवकाफ ;अवकाफ संरक्षण विभागद्ध का पुनर्गठन भी किया गया है.
Jamiat Ulama-i-Hind’s Appeal
— Jamiat Ulama-i-Hind (@JamiatUlama_in) March 27, 2024
Friday, 29 March 2024
औक़ाफ संरक्षण दिवस
یوم تحفظ اوقاف
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वक्फ संपत्ति के बारे में जरूरी बातें
एक वक्फ, बहुवचन अवकाफ, जिसे ḥabs भी कहा जाता है. या मोर्टमेन संपत्ति, इस्लामी कानून के तहत एक अविभाज्य धर्मार्थ बंदोबस्ती है. इसमें आम तौर पर संपत्ति को पुनः प्राप्त करने के इरादे के बिना मुस्लिम धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए एक इमारत, भूमि का भूखंड या अन्य संपत्ति दान करना शामिल है. एक धर्मार्थ ट्रस्ट दान की गई संपत्ति को अपने पास रख सकता है. ऐसा समर्पण करने वाले व्यक्ति को वाक़िफ़ (‘दाता’) के रूप में जाना जाता है. ओटोमन तुर्की कानून में, और बाद में फ़िलिस्तीन के ब्रिटिश शासनादेश के तहत, वक्फ को भोग्य राज्य भूमि (या संपत्ति) के रूप में परिभाषित किया गया था.
शब्दावली
सुन्नी न्यायशास्त्र में, वक्फ, जिसे वक्फ भी कहा जाता है का पर्याय है. हब्स और इसी तरह के शब्दों का उपयोग मुख्य रूप से मलिकी न्यायविदों द्वारा किया जाता है. ट्वेल्वर शियावाद में, ḥabs एक विशेष प्रकार का वक्फ है, जिसमें संस्थापक वक्फ संपत्ति के निपटान का अधिकार सुरक्षित रखता है. अनुदान देने वाले व्यक्ति को अल-वक़िफ़ (या अल-मुहब्बिस) कहा जाता है, जबकि संपन्न संपत्ति को अल-मौक़ूफ़ (या अल-मुहब्बास) कहा जाता है.]
परिभाषा
वक्फ शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘कारावास और निषेध’, या किसी चीज़ को रोकना या स्थिर रखना.बहाउद्दीन येदियिल्दिज़ वक्फ को तीन तत्वों वाली एक प्रणाली के रूप में परिभाषित करते हैं: हयारत, अकरात और वक्फ। हयात, हयार का बहुवचन रूप है, जिसका अर्थ है ‘अच्छाई’ और यह वक़िफ़ संगठन के पीछे प्रेरक कारक को संदर्भित करता है; अकारत का तात्पर्य कॉर्पस से है और इसका शाब्दिक अर्थ है ‘वास्तविक सम्पदा’, जिसका अर्थ राजस्व पैदा करने वाले स्रोत जैसे बाजार (बेडस्टेन, अरास्ता, हंस, आदि), भूमि और स्नानघर हैं; और वक्फ, अपने संकीर्ण अर्थ में, वक्फ विलेख में प्रतिबद्ध सेवाएं प्रदान करने वाली संस्था है, जैसे मदरसे, सार्वजनिक रसोई (इमारेट्स), कारवांसराय, मस्जिद, पुस्तकालय, आदि.
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