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मुख्तार अंसारी की मौत, बीजेपी से पसमांदा वोटर्स के दूर होने का खतरा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,बांदा

उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत की खबर है. उन्हें तबीयत बिगड़ने पर गुरुवार रात दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सोशल मीडिया पर चल रही खबरों में बताया गया कि अस्पताल में ही उनकी मौत हो गई.

दूसरी तरफ एक तबका ऐसा भी है, जो सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख रहा है कि मुख्तार अंसारी को जेल में जहर दिया गया जिससे उनकी मौत मौत हुई है. बाद में दिखावे के लिए अस्पताल में लाया गया. मुख्तार अंसारी को लेकर गुरूवार रात नौ बजे अचानक खबरों की बाढ़ आ गई.

इससे पहले समाचार एजेंसी आईएएनएस ने जानकारी दी थी कि आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों की मौजूदगी में तबीयत खराब होने पर मुख्तार को बांदा मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल में भर्ती कराया गया.उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की तबीयत गुरुवार रात दोबारा खराब हो गई.

इस समाचार में बताया गया कि मुख्तार के स्थानीय अधिवक्ता नसीम हैदर ने बताया कि मुख्तार को दिल का दौरा पड़ेे होने की आशंका है. प्रशासन उन्हें मुख्तार से मिलने नहीं दे रहा है. मुख्तार का परिवार भी बांदा के लिए लखनऊ से चल चुका है. इधर, हालात बिगड़ने की खबर आने के साथ ही जिले भर की पुलिस फोर्स को अलर्ट कर दिया गया. जेल के भीतर भी पुलिस फोर्स तैनात है. देर रात तक डीएम और एसपी भी मेडिकल कॉलेज में मौजूद रहे और मुख्तार की पल-पल की खबर लेते रहे.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चेकअप के दौरान मुख्तार बेहोश हो गया. तुरंत बांदा जेल से निकलकर आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस दौरान रास्ते में भारी पुलिस बल तैनात किया गया. मुख्तार को दो दिन पहले भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मुख्तार पूरे 14 घंटे अस्पताल में रहा था. देर शाम फिर उसे जेल भेज दिया गया था. बुधवार को जेल में उनके स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया था, जिसमें सब सामान्य मिला था. गुरुवार शाम एंबुलेंस से उसे जेल से मेडिकल काॅलेज ले जाया गया. डीएम-एसपी वहां मौजूद हैं, लेकिन कुछ भी बता नहीं रहे हैं.

मुख्तार की मौत के साथ ही कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. एक अहम सवाल यह है कि क्या किसी को दिल का दौरा पड़ने के बाद तुरंत अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है ? दूसरा एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इससे पहले जब मुख्तार को दिलका दौरा पड़ा था तब अस्पताल लाने के क्रम में प्रशासन-पुलिस इतना अलर्ट थे ? इससे उत्तर प्रदेश पुलिस का जैसा रिकाॅर्ड रहा है, उसे लेकर तरह-तरह की अफवाहें उड़ रही हैं. उनमें एक अफवाह यही कि मुख्तार की मौत के बाद पसमांदा को जो कुछ प्रतिशत वोट यूपी में बीजेपी को मिलने वाला था,

वह शायद न मिले. अंसारी बिरादरी को लड़ाका और पिछड़ों में गहन चिंतन वाला माना जाता है. अभी पसमांदा का जो आंदलन चल रहा है,उसे अंसारी बिरादरी ही लीड कर रही है. एक अंसारी पसमांदा लीडर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि दूसरी पसमांदा बिरादरी उनके फैसले के खिलाफ जाती है तो इस आंदोलन में न केवल बिखराव का खतरा है,

बल्कि आंदोलन की हवा भी निकल सकती है. बता दें कि इससे पहले होने वाले चुनावों में कम से कम यूपी में बीजेपी का पसमांदा वर्ग का अच्छा खासा समर्थन मिलता रहा है. यहां तक कि सरकार की कई नीतियों में जब दूसरी मुसलमान बिरादरी सरकार के विरोध में खड़ी थी जब पसमांदा वर्ग समर्थन में खड़ा रहा था.

कौन थे मुख्तार अंसारी?

उत्तर प्रदेश के एक सजायाफ्ता गैंगस्टर और राजनेता, 61 वर्षीय मुख्तार अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक चुने गए थे, जिसमें दो बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के रूप में भी शामिल थे. वह पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी के रिश्तेदार थे.

अप्रैल 2023 में, एमपी एमएलए अदालत ने मुख्तार अंसारी को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए दोषी ठहराया और 10 साल कैद की सजा सुनाई। फर्जी हथियार लाइसेंस मामले में उन्हें 13 मार्च, 2024 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

मुख्तार अंसारी का पारिवारिक इतिहास

मुख्तार अंसारी ने कभी शादी नहीं की और जीवन भर अविवाहित रहे। मुख्तार अंसारी के दादा मुख्तार अहमद अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरुआती अध्यक्ष थे, जबकि उनके नाना मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे.मुख्तार अंसारी का राजनीति में प्रारंभिक परिचय 1995 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्र संघ के माध्यम से हुआ था. वह 1996 में पहली बार विधायक बने.

विधान सभा के लिए चुने जाने के बाद, मुख्तार अंसारी ने पूर्वांचल क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी ब्रिजेश सिंह के प्रभुत्व को चुनौती देना शुरू कर दिया। 2002 में, सिंह ने कथित तौर पर अंसारी के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था. घटना में, अंसारी के तीन लोग मारे गए और ब्रिजेश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें मृत मान लिया गया.

हालाँकि, सिंह को बाद में जीवित पाया गया. दोनों नेताओं के बीच प्रतिद्वंद्विता जारी रही. सिंह ने भाजपा नेता कृष्णानंद राय के चुनाव अभियान का समर्थन किया, जिन्होंने 2002 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई और पांच बार के विधायक अफजल अंसारी को हराया था.