लोकसभा चुनाव 2024: मोदी को क्यों चाहिए मुस्लिम वोट ?
मुस्लिम नाउ संपादकीय
मुसलमानों के संदर्भ में एक टीवी चैनल पर दिए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान को खूब हवा दी जा रही है. विशेषकर वे लोग उस बयान को अधिक फैलाने में लगे हैं जो अंदर खाने संघ या बीजेपी से हाथ मिलाये हुए हैं.
जब कि हकीकत यह है कि पीएम के उस बयान में देश के मुसलमानों के लिए कोई रोड मैप नहीं है, न ही इस बयान का खुलासा है कि पिछले 10 वर्षों में मुसलमानों के मिजाज के खिलाफ लिए गए केंद्र के फैसले की क्या वजह थी. हद तो यह है कि मोदी की गारंटी वाले घोषणा पत्र में भी मुसलमानों को पुचकारने वाले एक शब्द नहीं हैं. इसके उलट काॅमन सिविल कोड लागू करने की ‘चेतावनी’ दी गई है.
पिछले 10 सालों और आम चुनावों से पहले तक मोदी और बीजेपी के चाल, चरित्र से ऐसा लग रहा था कि उन्हें मुस्लिम वोट की जरूरत नहीं. उन्हें केवल हिंदुओं का समर्थन चाहिए. चुनावी नैया अपने आप पर हो जाएगी. इसलिए ऐन चुनाव से पहले आधे-अधूरे राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई. इससे पहले पूरे देश में ऐसा भौकाल बनाया गया मानो भारत ‘हिंदू राष्ट्र’ बन चुका है.
मगर मतदान के पहले चरण में ही बीजेपी के क्यास की हवा निकल गई. वोटर ने ऐसी उदासीनता दिखाई कि बीजेपी वाले संदेह में पड़ गए कि वे तीसरी बार सत्ता में लौटंेगे भी या नहीं ?
इसके बाद से चुनाव को मुसलमानों के केंद्र में रखकर जीतने की कोशिश की गई. कभी मंगलसूत्र, तो कभी सरकारी संपत्ति मुसलमानों को स्थानांतरित करने की बात कर उन्हें जलील करने का प्रयास किया गया. इसके बावजूद बात नहीं बनी और दूसरे चरण में भी मतदाता उदासीन बने रहे तो ठीक तीसरे चरण से पहले मुसलमानों को पुचकारना प्रारंभ हो गया.
हद यह कि एक संघ नेता के बुलावे पर कुछ कथित मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक हुई, जिसमें उसने मुसलमानों की नाराजगी की टोह लेने का प्रयास किया गया. बावजूद इसके इस बैठक का कोई लाभ नहीं हुआ तो टीवी चैनल को एक विशेष इंटरव्यू देकर मोदी ने अपनी बात मुसलमानों तक पहुंचाने की कोशिश की.
उन्हांेने टाइम्स नाउ से बात करते हुए कहा, ‘‘पहली बार, मैं मुस्लिम समुदाय से आत्मनिरीक्षण करने के लिए कह रहा हूं.अगर आप सोचते रहेंगे कि आप तय करेंगे कि सत्ता में कौन होगा और कौन गद्दी से उतरेगा, तो आप अपने बच्चों का भविष्य खराब कर देंगे.
उन्होंने कहा कि उन्हें और सभी भारतीयों को खाड़ी देशों में बहुत सम्मान मिलता है.यहां मेरा विरोध किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में मुसलमान विकसित हो रहे हैं.“सऊदी अरब में, उन्होंने योग को अपने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल किया है.
जब मैं इन देशों में जाता हूं तो दोपहर के भोजन के दौरान देश के अमीर और बड़े लोग मुझसे योग के बारे में पूछते हैं.कोई कहता है कि मेरी पत्नी योग सीखने के लिए एक महीने के लिए भारत जाती है, कोई मुझसे पूछता है कि योग सीखने का औपचारिक तरीका क्या है.
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में योग को भी मुस्लिम विरोधी बताया गया है. वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि मुसलमान यह धारणा क्यों बना रहे हैं कि अगर मोदी सत्ता में आए तो मुसलमानों के लिए बुरा रहेगा.मोदी ने कहा, श्श्यह पहली बार है, मैं मुसलमानों को, पढ़े-लिखे लोगों को आत्मनिरीक्षण करने के लिए कह रहा हूं.
गुजरात में 19 वीं सदी से ही सांप्रदायिक दंगों का एक लंबा इतिहास रहा है.यह सब प्रलेखित है.2002 के बाद से एक भी दंगा नहीं हुआ है.आज गुजरात में मुसलमान बीजेपी को वोट देना चाहते हैं.देश प्रगति कर रहा है.यदि आपका समुदाय वंचित महसूस कर रहा है, तो सोचिए इसका कारण क्या है?
उन्होंने कहा कि उन्हें यह सोचना चाहिए कि कांग्रेस शासनकाल में सरकारी योजनाओं का लाभ मुस्लिम समाज को क्यों नहीं मिला.आपको सोचना चाहिए कि कांग्रेस शासन के दौरान आपको क्यों कष्ट सहना पड़ा.मैं नहीं चाहता कि कोई भी समुदाय बंधुआ मजदूर बने. उन्हें धमकाया जा रहा है,. उन्होंने कहा कि मुस्लिम नेता लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान और अन्यथा भी मोदी और भाजपा के खिलाफ बोल रहे हैं.
उनका कहना है कि मुसलमानों को भाजपा के साथ बातचीत करनी चाहिए और उसका आंख मूंदकर विरोध करने के बजाय उसकी कार्यप्रणाली और विचारधारा का अध्ययन करना चाहिए.“आओ और पार्टी की बैठकों में बैठो.तुम्हें कौन रोक रहा है? आप आएं और बीजेपी मुख्यालय पर कब्जा कर लें.
इससे पहले पीएम मोदी ने सीतापुर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि सभी मुस्लिम भाई-बहन देख रहे हैं कि केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं का लाभ मुस्लिम समुदाय समेत उन सभी को मिल रहा है.पीएम मोदी ने कहा, पीएम आवास योजना, नल जल योजना और उज्ज्वला गैस योजना का लाभ मुस्लिम समुदाय सहित सभी को बिना किसी भेदभाव के मिला है.
उन्होंने कहा, मुस्लिम समुदाय भी समझ गया है कि कांग्रेस और भारतीय गुट ने उन्हें मुहारा बनाया है. अब मुस्लिम समुदाय भी इस धोखेबाज राजनीति और इन सभी वोट बैंक ठेकेदारों से छुटकारा पा रहा है.उन्होंने आगे कहा, यही कारण है कि मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए, कांग्रेस और इंडिया गुट ने खेल खेलना शुरू कर दिया है. मुसलमानों को खुश करने के लिए खुलकर आ गए है. यही कारण है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप है.
मजे की बात यह है कि मोदी इससे पहले पसमांदा के नाम पर मुसलमानों में फूट डालने की कोशिश करते रहे. उन्हें करीब लाने के लिए तमाम शिया मुसलमानों को हाशिए पर धकेल दिया. यहां तक कि अल्पसंख्यक मंत्रालय तक गैर मुस्लिम मंत्री को सौंपा गया. मगर मोदी वो सारी बातें भूलकर अब देश के आम मुसलमानों को पटाने की कोशिश में हैं. यहां तक कह रहे हैं कि वह ‘ पहली बार ‘ मुसलमानों से आत्मचिंतन के लिए कह रहे हैं. सवाल है कि पहली बार क्यों ?
वे 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रहे, बावजूद इसके ऐसी कोई स्कीम का ऐलान क्यों नहीं किया जिससे मुसलमानों को सीधा फायदा हो ? और इस वक्त उन्हें ‘आत्मचिंतन’ की जरूरत न पड़े. इसके उलट पिछले सालों में गरीब और निचले तबके के मुस्लिम युवाओं को लाभ मिलने वाले स्काॅलरशिप बंद करवा दिए गए ? हद यह कि पसमांदा की वकालत करने वाले मोदी आज भी मुसलमानों को आरक्षण देने का मुखर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में भला पसमांदा मुसलमान क्यों बीजेपी के करीब जाए ?
मोदी से ऐसे सवाल पूछने की बजाए कुछ लोग उनके बयान के आधार पर मुसलमानों को फांसने में लगे हैं. यहां तक कि संघ समर्थक मुस्लिम बुद्धिजीवी लगातार बयान दे रहे हैं कि यह मौका है. बीजेपी के साथ हो जाना चाहिए. क्यों हो जाना चाहिए ? मुस्लिम हित में किए गए उनके 10 सालों में 10 भी ऐसे काम हैं क्या ? हैं तो गिनाएं जिससे आम मुसलमानों का स्तर सुधर आया हो ? याद रहे देश के 80 करोड़ लोग सरकारी भोजन पर पल रहे हैं.
तीस सालों से आरएसएस के संपर्क में रहने वाले और संघ पर किताब लिखने वाले मुस्लिम बुद्धिजीवी डाॅ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद पीएम मोदी के बयान पर कहते हैं, ‘‘मुस्लिम समुदाय अपने ही बुने जाल का भुक्तभोगी है, जिस ने उसकी मानसिकता को रचनात्मक और निष्पक्ष भाव से सोचने को प्रतिबंधित कर दिया है.
उन्होंने अपने बयान में मुसलमानों से सवाल किया -‘‘ कब वह स्व उन्मुख स्वतंत्र सोच को अपनाएगा ? उन्होंने कहा, ‘‘ मैं प्रधानमंत्री जी की इस बात से पूर्णतः सहमत हूँ जिस मैं उन्हीं ने मुस्लिम समुदाय को आत्मचिंतन का आह्वान किया है जो अति स्वागत योग्य है.’’
ख्वाजा ने आगे कहा, ‘‘ उनका मुस्लिमों के लिए यह आह्वान कि वह भाजपा कार्यालय अपनी उपस्थिति से भर दें, वहां जाकर बैठे, पदाधिकारियों और आम कार्यकर्ताओं से मिलें और धरातल को अपनी आंख से देखें. समझें और उसका आत्म निरीक्षण करें. कौन उनको रोक रहा है?
मगर बयान जारी करते समय ख्वाजा शायद भूल गए कि मोदी के बयान में केवल बयानबाजी है. कोई ठोस रोड मैप नहीं ! फिर भला मुसलमान क्यों भाजपा के करीब जाए ? अभी चरण चुनाव होने बाकी हैं. मोदी के लिए यह भूल सुधार का बेहतर मौका है.!