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पाकिस्तान पर आतंकवादी हमले के तार अफगानिस्तान से जुडे़ हैं: डीजी आईएसपीआर मेजर जनरल अहमद शरीफ चैधरी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

डीजी आईएसपीआर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हालिया आतंकी घटनाओं का ताना-बाना अफगानिस्तान से जुड़ा है. चीनी नागरिकों पर आत्मघाती हमला करने वाला भी अफगानी नागरिक था.उन्होंने कहा कि तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादी पाकिस्तान में अभियान चला रहे हैं. इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि टीटीपी आतंकी अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से आतंकवादी खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की शांति को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं. चीनी नागरिकों पर हमले की योजना अफगानिस्तान से बनाई गई थी. दासू बांध पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों की गाड़ी पर हमला हुआ.

डीजी आईएसपीआर ने बताया कि पिशिन से गिरफ्तार किया गया आतंकी अफगानी नागरिक है. अपने बयान में अफगान आतंकवादी ने पाकिस्तान में आतंकवादी कृत्यों को स्वीकार किया.उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में सभी चीनी निवासियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. पाकिस्तानी सेना आतंकियों की राह में लोहे की दीवार है.

डीजी आईएसपीआर मेजर जनरल अहमद शरीफ चैधरी ने आगे कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय अपराधों में शामिल है. कश्मीरी लोग अंतरराष्ट्रीय संगठनों के ध्यान का इंतजार कर रहे हैं.पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता मेजर जनरल अहमद शरीफ चैधरी ने एक साल पहले सेना पर हुए हमले को याद करने के लिए बुलाई गई प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि 9 मई न केवल पाकिस्तानी सेना का मामला है, बल्कि पाकिस्तान के लोगों का भी मामला है. 9 मई और ऐसा करने वालों को कानून के मुताबिक सजा देनी होगी.

उन्होंने कहा कि अराजकतावादी समूह के लिए एकमात्र रास्ता देश से माफी मांगना और रचनात्मक राजनीति में भाग लेना है.मंगलवार को डीजी आईएसपीआर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि 9 मई कोई छुपी हुई बात नहीं है. यह गलत प्रचारित किया गया कि यह एक फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन था. सेना और एजेंसियों के खिलाफ एक मानसिकता थी.

मेजर जनरल अहमद शरीफ चैधरी ने कहा कि कहा जा रहा है कि एक न्यायिक आयोग का गठन किया जाना चाहिए. जिस मामले को लेकर कोई अस्पष्टता हो तो उस पर न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है. हम न्यायिक आयोग के लिए तैयार हैं, अगर ऐसा करना है तो मामले की तह तक जाएं.

पीटीआई के साथ डील को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डीजी आईएसपीआर ने कहा कि सेना की कोई राजनीतिक मानसिकता नहीं होती. सेना का हर सरकार के साथ गैर-राजनीतिक लेकिन कानूनी संबंध होता है. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल हमारे लिए सम्माननीय हैं. हालाँकि, यदि कोई राजनीतिक विचार या समूह अपनी ही सेना पर हमला करता है तो कोई उससे बात नहीं करेगा. ऐसे अराजकतावादी समूह के लिए एकमात्र रास्ता देश से माफी मांगना और नफरत की राजनीति छोड़कर रचनात्मक राजनीति में भाग लेने का वादा करना है.

उन्होंने कहा कि चर्चा राजनीतिक दलों को सुशोभित करती है. सेना या संस्थाओं के लिए बात करना उचित नहीं है.एक सवाल के जवाब में डीजी आईएसपीआर ने कहा कि 9 मई सिर्फ पाकिस्तानी सेना का मामला नहीं है, ये पाकिस्तान की पूरी जनता का मामला है.

उन्होंने कहा कि किसी भी देश में उसकी सेना पर हमला किया गया, उसकी सेना के शहीदों के प्रतीकों का मजाक उड़ाया गया, उसके संस्थापक का घर जला दिया गया, सेना और लोगों के बीच नफरत पैदा की गई और जो लोग ऐसा कर रहे हैं. अगर उन्हें न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया तो न्याय व्यवस्था पर सवाल है.

डीजी आईएसपीआर ने कहा कि 9 मई के आरोपियों और जिन्होंने ऐसा किया, उन्हें संविधान और कानून के मुताबिक सजा देनी होगी.मेजर जनरल अहमद शरीफ चैधरी ने कहा कि 9 मई कोई छुपी हुई बात नहीं है, इसका निर्विवाद सबूत लोगों के पास है, न केवल सेनाओं के पास, बल्कि हम सभी के पास है. हमने इन घटनाओं को अपनी आँखों से देखा है. हम सभी ने देखा है जिस तरह से लोगों का ब्रेनवॉश किया गया. उनकी सेनाओं के खिलाफ, उनके नेतृत्व के खिलाफ, एजेंसियों और संस्थानों के खिलाफ झूठ और दुष्प्रचार के जरिए ब्रेनवॉश किया गया.

उन्होंने कहा कि 9 मई का मामला पाकिस्तान सेना का मामला नहीं है. यह पाकिस्तान के लोगों का मामला है, यह हम सभी का मामला है, जीवन, संपत्ति और सम्मान सुरक्षित नहीं रहेगा. यह हमारे लिए जरूरी है हमारी सजा और सजा की व्यवस्था पर विश्वास बनाए रखने के लिए कि हम 9 मई के आरोपियों को कानून के मुताबिक सजा दें और जल्द से जल्द दें.

एक सवाल के जवाब में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि अगर संविधान की बात करें तो अनुच्छेद 19 निस्संदेह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, लेकिन यह अनुच्छेद बहुत स्पष्ट रूप से कहता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पीछे पाकिस्तान छिपा है. अखंडता, सुरक्षा और रक्षा पर हमला नहीं किया जा सकता है, यह लेख कहता है कि राय की स्वतंत्रता के पीछे छिपकर मित्र देशों के साथ संबंधों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है, यह लेख कहता है कि राय की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि आप राष्ट्र की नैतिकता को नष्ट कर दें और सार्वजनिक व्यवस्था, आप उच्च न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ बोलते हैं, पाकिस्तान का संविधान और कानून बहुत स्पष्ट है कि यह पाकिस्तान राज्य और पाकिस्तान की सेनाओं के खिलाफ प्रचार की अनुमति नहीं देता है.