पश्तून अधिकारों के योद्धा गिलमन वजीर की मौत पाकिस्तान के अस्पताल में
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, काबुल
अफ़गानिस्तान के महान पैरोकार गिलामन वज़ीर आख़िरकार अपनी ज़िंदगी की जंग हार गए . गिलामन वज़ीर, जिनका असली नाम हज़रत नईम था, पश्तून तहफ़ुज़ आंदोलन के नेता मंज़ूर पश्तीन के करीबी दोस्त और आंदोलन की केंद्रीय परिषद के सदस्य थे.
खबर एक नजर में
- अफ़गानिस्तान के महान पैरोकार और पश्तून कवि गिलमन वजीर का पाकिस्तान के अस्पताल में निधन.
- गिलमन वजीर पश्तून तहफ़ुज़ आंदोलन के नेता मंज़ूर पश्तीन के करीबी दोस्त थे.
- वे पश्तो भाषा के कवि थे और अपनी कविताओं में अफ़गानिस्तान और पश्तूनों के दर्द को बयां करते थे.
- पाकिस्तान सरकार ने उन्हें उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के कारण कई बार गिरफ़्तार किया और प्रताड़ित किया.
- वे कई साल खाड़ी देशों में यात्रा करते रहे, जहां से पाकिस्तानी सरकार के कहने पर उन्हें निकाल दिया गया था.
- पिछले रविवार को इस्लामाबाद में अज्ञात व्यक्तियों ने उन पर हमला किया था.
- गिलमन वजीर की मौत के बाद अफ़गान और पश्तून नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की.
- उनका अंतिम संस्कार उत्तरी वजीरिस्तान के असद खेल गांव में शुक्रवार शाम 4 बजे होगा.
- PTM के नेता मंज़ूर पश्तीन ने गिलमन वजीर की मौत की पुष्टि करते हुए पाकिस्तानी पुलिस से अपराधियों की पहचान की मांग की.
- गिलमन वजीर की मौत पर अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान दोनों में प्रतिक्रियाएँ हुईं.
- पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई और अन्य नेताओं ने गिलमन वजीर की मौत पर दुख व्यक्त किया.
- गिलमन वजीर की दो शादियां हुई थीं और वे पाँच बच्चों के पिता थे.
- अभी तक पाकिस्तान सरकार ने गिलमन वजीर पर हुए हमले के बारे में कोई बयान नहीं दिया है.
खबर विस्तार से
अफगानिस्तान के पत्रकार बिलाल सरवरे लिखते हैं, वे पश्तो भाषा के कवि भी थे, जिन्होंने अपनी कविताओं में अफ़गानिस्तान, पश्तून राष्ट्र और उसके लोगों के दर्द को बयां किया. कविता के अलावा, वे पश्तूनों के अधिकारों की मांग में सक्रिय थे. मंज़ूर पश्तीन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े.यह पहली बार नहीं है जब उन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा हो. पाकिस्तान सरकार ने पहले भी गिलामन वज़ीर को उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों के कारण कई बार गिरफ़्तार किया था. उन्हें कई महीनों तक जेल में रखा था.
उन्हें जेल में पाकिस्तानी सरकार द्वारा प्रताड़ित किया गया. रिहा होने के बाद, उन्होंने अपनी माँ से महीनों तक अपनी चोटों को छिपाया. इस संघर्ष से पहले उन्होंने कई साल खाड़ी देशों में यात्रा करते हुए बिताए, जहां उन्हें पाकिस्तानी सरकार के कहने पर यूएई और कतर समेत कई देशों से निकाला गया था.
Gilaman Wazir, a great advocate for the Great Afghanistan, has finally lost the battle of his life. Gilaman Wazir, whose real name was Hazrat Naeem, was a close friend of Manzoor Pashteen, the leader of the Pashtun Tahafuz Movement, and a member of the central council of the… pic.twitter.com/TtC6I4tYW2
— BILAL SARWARY (@bsarwary) July 12, 2024
उनके आगमन पर अक्सर पाकिस्तानी सरकार के अत्याचारों को लेकर गरमागरम बहस छिड़ जाती थी. अफगान और पश्तून नेताओं, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और समुदाय के सदस्यों ने गिलामन वजीर की चोट पर अपनी संवेदना व्यक्त की.
कई दिनों के इलाज के बाद गंभीर चोटों के कारण कल देर रात इस्लामाबाद के पीआईएमएस अस्पताल में गिलामन वजीर की मौत हो गई. मंजूर पश्तीन के मुताबिक, उनके जनाजे को पहले पेशावर और फिर बन्नू रोड पर उत्तरी वजीरिस्तान ले जाया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम 4 बजे उत्तरी वजीरिस्तान के असद खेल गांव में होगा.
पश्तून तहफुज आंदोलन के इस सदस्य पर हुए हमले ने पाकिस्तान के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रतिक्रियाओं की लहर पैदा कर दी है.
वजीर पर पिछले रविवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अज्ञात व्यक्तियों ने हमला किया था. कल रात तक वह पाकिस्तान के एक अस्पताल में गहन देखभाल में थे.
पश्तून तहफ़ुज़ मूवमेंट (PTM) के नेता मंज़ूर पश्तीन ने गिलमन वज़ीर की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि अगर पाकिस्तानी पुलिस इस हमले के अपराधियों की पहचान नहीं करती है, तो यह संकेत देगा कि हमले में पाकिस्तान सरकार शामिल थी.
मंज़ूर पश्तीन ने कहा: “मेरे लिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि गिलमन पश्तीन अब हमारे बीच नहीं रहे.” वे मूल रूप से उत्तरी वज़ीरिस्तान के रज़मक इलाके के रहने वाले थे. गिलमन वज़ीर पश्तून तहफ़ुज़ मूवमेंट के नेता मंज़ूर पश्तीन के करीबी दोस्त थे. पश्तो भाषा के कवियों में से एक थे. अपनी क्रांतिकारी कविताओं में, वे अक्सर पश्तून एकता का आह्वान करते थे और अतीत के युद्धों और समस्याओं का वर्णन करते थे.
गिलमन वज़ीर पाकिस्तानी सरकार के कड़े आलोचक थे. अक्सर तीन रंगों वाले अफ़गान झंडे से सजे कपड़े पहनकर सार्वजनिक रूप से दिखाई देते थे. पश्तून अधिकारों के लिए अपनी गतिविधियों और देशभक्ति कविताओं के लिए वे युवाओं के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय थे.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्हें पहले पाकिस्तानी सेना ने आठ महीने तक हिरासत में रखा था. इस दौरान उन्हें प्रताड़ित किया गया.
पश्तून आंदोलन के एक अन्य सदस्य ने उनके बारे में कहा: “उनकी सबसे बड़ी इच्छा एक महान अफ़गानिस्तान देखना था जो पश्तूनों को खुश करे और उनकी आज़ादी का जश्न मनाए. हम उनके विचारों और संघर्ष को जारी रखेंगे.”
गिलमन वज़ीर की मौत पर अफ़गानिस्तान के अंदर और बाहर भी व्यापक प्रतिक्रियाएँ हुई हैं. पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, पिछली सरकार के कुछ राजनीतिक व्यक्ति, इस आंदोलन के सदस्य और पाकिस्तान में कुछ लोगों ने सोशल मीडिया संदेशों में गिलमन वज़ीर की मौत पर अपना दुख व्यक्त किया है.
हामिद करज़ई के करीबी शहज़ादा मसूद ने बताया: “वे एक जन कवि थे. राष्ट्रीय एकता, शांति और सुरक्षा के सबसे कट्टर समर्थकों में से एक थे, और उनकी शहादत एक बड़ी क्षति है.”गिलमन वज़ीर की दो बार शादी हुई थी. वे अपने पीछे पाँच बच्चे छोड़ गए. तीन बेटियाँ और दो बेटे. वजीर के करीबी लोगों के मुताबिक, शुक्रवार को उनके शव को उत्तरी वजीरिस्तान में दफनाया जाएगा.अभी तक पाकिस्तान सरकार ने गिलामान वजीर पर हुए हमले के बारे में कुछ नहीं कहा है.