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वक्फ संशोधन पर जेपीसी की दूसरी बैठक में हंगामा, 5 सितंबर को अगली चर्चा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

वक्फ बिल में संशोधन के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की दूसरी बैठक 30 अगस्त को आयोजित हुई, जिसमें काफी हंगामा हुआ. बैठक में बीजेपी सदस्य मेधा कुलकर्णी और असदुद्दीन ओवैसी के बीच भी तीखी नोकझोंक देखने को मिली. जेपीसी की अगली बैठक 5 और 6 सितंबर को होगी, जबकि पहली बैठक 22 अगस्त को हुई थीसदस्यों ने मसौदा विधेयक के कई प्रावधानों का कड़ा विरोध किया, जिसके चलते विपक्षी सदस्य कुछ देर के लिए बैठक से बाहर चले गए.

बीजेपी सांसद जगदंबिका पॉल की अध्यक्षता में यह बैठक करीब 8 घंटे चली. इस दौरान, मुंबई के ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत उलेमा, दिल्ली के इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स (आईएमसीआर), उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ ने अपने पक्ष समिति के समक्ष रखा.

सूत्रों के अनुसार, बैठक में हितधारकों ने अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा कि जिला कलेक्टरों को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण और निर्णय लेने का अंतिम अधिकार देने पर सवाल उठाए गए. हितधारकों ने प्रस्तावित संशोधनों को लेकर गंभीर चिंता जताई.

विपक्षी दलों ने भी मुस्लिम संगठनों की चिंताओं का समर्थन किया. डीएमके जैसी पार्टियों ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर आपत्ति जताई, और जिलाधिकारियों को दी गई शक्तियों पर सवाल उठाए.

विपक्षी सांसदों ने यह भी पूछा कि जिला कलेक्टर विवादों पर निर्णय कैसे ले सकते हैं, जिससे हितों का टकराव हो सकता है.

विपक्ष और बीजेपी सांसदों के तीखी बहस

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के खिलाफ बीजेपी सांसद दिलीप सैकिया की टिप्पणी को लेकर विपक्ष और बीजेपी सांसदों के बीच तीखी बहस हुई. यह बहस इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स और राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ की उपस्थिति पर आपत्ति के कारण उत्पन्न हुई.

विपक्षी सदस्यों का वॉकआउट

वकीलों की उपस्थिति के मुद्दे पर कांग्रेस नेता मुहम्मद जावेद और इमरान मसूद, अरविंद सावंत (शिव सेना-यूबीटी), संजय सिंह (आप) और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) ने कुछ देर के लिए वॉकआउट किया. इनमें ए राजा और एम मुहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके) और मोहिबुल्लाह (एसपी) भी शामिल थे.

विपक्षी सदस्यों ने जताई चिंता

विपक्षी सदस्यों ने वक्फ अधिनियम में ‘वक्फ बाई यूजर’ की अनिवार्यता को हटाए जाने पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश में वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता प्रावधान के तहत अधिसूचित एक लाख से अधिक संपत्तियों का स्वामित्व अस्थिर हो जाएगा.

साथ ही, ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ के स्पष्ट सिद्धांत को कानूनी मान्यता देने से उन ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा की जा सकेगी जिनका लंबे समय से वक्फ के रूप में उपयोग होता आ रहा है. सुरक्षा के अभाव में, ये पूजा स्थल दुर्भावनापूर्ण अभियोजन के प्रति संवेदनशील होंगे.