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‌ जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: बीजेपी का घोषना पत्र या मुंगेरीलाल के हसीन सपने

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर

सत्ता के दुरूपयोग, बढ़ते आतंकवाद, भ्रष्टाचार और विकास के अभाव के आरोप लगाकर अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बावजूद जम्मू-कश्मीर, लद्दाख की तस्वीर नहीं बदली है. न ही आतंकवाद थमा है और न ही विकास की ब्यारा बही है. इन सबका परिणाम है कि विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह को कश्मीरी मतदाओं को न केवल ‘मुंगेरी लाल’ के सपने दिखाने पढ़ रहे हैं, बल्कि आतंकवाद के आरोप झेल रहे जेल में बंद नेताओं का ‘सियासी खेल’ बिगाड़ने के लिए सहारा लेना पड़ रहा है.

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद एक काम कश्मीर मंे बखूबी किया गया. सोशल मीडिया, जेबी मीडिया और नेताओं के भाषणों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि अब कश्मीर की तकदीर बदलने वाली है. मगर पिछले पांच वर्षों में यहां कोई खास तब्दीली नहीं आई है सिवाए इसके कि युवाओं को खेल के मैदान में उतारा जा रहा है, कुछ सिनेता वालों को बुलाकर यहां गतिविधियां शुरू की गईं और पर्यटकांे के आंकड़ों का दुष्प्रचार किया जा रहा है. सरकार की ओर से टूरिस्ट बढ़ने के जो आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं, वह दरअसल जम्मू के होते हैं.

कश्मीर के नहीं. इसलिए जब भी सरकार पर्यटकों के आंकड़े सार्वजनिक करती है, जम्मू-कश्मीर कहती है. रही बात विकास की तो बिजली और पानी जैसी बुनियादी समस्याओं से कश्मीरी आज भी जूझ रहे हैं. सर्दियों में बिजली नहीं मिलती. सड़कें, पुल, टनल भी केवल इसलिए बनाए गए हैं ताकि सेना की गतिविधियां बिना किसी बाधा के संभव होे. कश्मीर से लगते दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन की सरहद है. केंद्र में जब से बीजेपी की सरकार आई है इन दोनों ही पड़ोसी देशों से हमारे रिश्ते खराब दर खराब ही हुए हैं.

ऐसे में जब चुनाव जीतने की बारी आए तो मतदाओं को सिवाए सब्जबाग दिखाने के और कोई चारा नहीं बचता.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जब जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय पार्टी का घोषणापत्र जारी किया तो इससे यह बात और भी साबित हो गई.उन्होंने पार्टी घोषणा पत्र में आश्वासन दिया है कि सत्ता में आने पर बीजेपी घाटी के सभी वर्गों के हितों का विशेष ख्याल रखेगी
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एक न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार, इस बीच, शाह ने घाटी के लोगों से आह्वान किया कि आप लोग बीजेपी को पांच साल दीजिए, इसके बाद आप खुद अपने जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन महसूस करेंगे. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं पर विशेष बल दिया. शाह ने बताया कि अगर घाटी में हमारी सरकार बनती है, तो घर की सभी वरिष्ठ महिलाओं को 18 हजार रुपये दिए जाएंगे. यह रकम ’मां सम्मान योजना’ के अंतर्गत दिए जाएंगे. इसके अलावा, उज्‍ज्‍वला योजना के तहत महिलाओं को दो मुफ्त सिलेंडर प्रदान किए जाएंग. इसके साथ ही किसी की पढ़ाई में पैसों का अभाव बाधा ना बने, इसके लिए हम सभी छात्राओं को प्रतिवर्ष तीन हजार रुपए प्रदान करेंगे.

गृह मंत्री अम‍ित शाह ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की सरकार बनती है, तो वृद्ध महिलाओं को प्रतिमाह तीन हजार रुपए पेंशन के रूप में दिए जाएंगे. मौजूदा समय में घाटी में सभी वृद्ध महिलाओं को महज एक हजार रुपए ही पेंशन मिलती है.इसके अलावा, अम‍ित शाह ने किसानों को भी सौगात देने की बात कही. उन्होंने कहा कि घाटी में बीजेपी की सरकार बनने पर ‘किसान सम्मान निधि योजना’ के अंतर्गत प्रति‍ वर्ष 6 हजार की जगह 10 हजार रुपये दिए जाएंगे.

इसके साथ ही अमित शाह ने संकल्प पत्र जारी करते हुए अनुच्छेद 370 को लेकर भी बात रखी. उन्होंने स्पष्ट कहा है कि एक बात हम सभी लोगों को समझ लेनी चाहिए कि अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है. इसका वर्तमान से कोई सरोकार नहीं है.

उन्होंने कहा कि अगर घाटी में किसी और दल की सरकार बनी, तो अनुच्छेद 370 को बहाल करने का प्रयास किया जाएगा. इससे आतंकी गतिविधियों को बल मिलेगा और इस बात को हम खारिज नहीं कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद घाटी में आतंकी गतिविधियों पर विराम लगा है.

हालांकि, बीजेपी के घोषणा पत्र से ही उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि पांच साल से जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की हुकूमत है तो उसने एक हजार से तीन हजार वृद्धा पेंशन क्यों नहीं की या मुफ्त दो सिलेंडर क्यों नहीं दिए ? अथवा ‘मां सम्मान योजना’ क्यों नहीं चलाई ? जबकि उसका आरोप है कि पूर्वती सरकारों ने घाटी की जनता का भरपूर शोषण किया है. सरकारी लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंचने नहीं दिया. चुनाव के समय ऐसे सपने दिखाने से क्या अर्थ लगाया जाए ? क्या उसकी सरकार वाले दूसरे राज्यों में यह योजनाएं चल रही हैं ? यदि हां, कश्मीरियों तक यह योजनाएं क्यों नहीं पहुंचीं ? रहा सवाल आतंकवाद का है तो हाल में संसद ने एक सवाल के जवाब में इस बारे में जवाब दिया है. सोशल मीडिया पर यह आंकड़े मौजूद हैं, जिससे बखूबी समझा जा सकता है कि घाटी में आतंकवाद कितना नियंत्रित है. पहाड़ी पर छुपे एक आतंकवादी को पकड़ने में कई-कई दिन क्यों लग जाते हैं ?

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होने हैं. बीते दिनों चुनाव आयोग ने घाटी में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया. पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर, दूसरे चरण की 25 सितंबर और तीसरे चरण की एक अक्टूबर को होगी. नतीजों की घोषणा आठ अक्टूबर को होगी.

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