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जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की मांग: नफरती भाषण और बुलडोजर दमन पर सख्त कार्रवाई हो

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के केंद्रीय मुख्यालय, दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को जमाअत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर और राष्ट्रीय सचिव शफी मदनी ने संबोधित किया. इस दौरान प्रोफेसर सलीम ने देश में बढ़ते घृणा अपराधों पर चिंता जताते हुए कहा कि कुछ ताकतें जानबूझकर मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही हैं, जिससे देश में अशांति फैलाने का प्रयास किया जा रहा है.

असामाजिक तत्व बेखौफ होकर अपराध कर रहे हैं. उन्हें राजनीतिक और पुलिस संरक्षण प्राप्त है.बुलडोजर द्वारा आरोपियों की संपत्ति नष्ट करने के मामले में उन्होंने इसे गैरकानूनी करार दिया. कहा कि यह कार्रवाई विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को निशाना बनाकर की जा रही है.

उन्होंने इसे “बुलडोजर न्याय” कहकर इस अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण प्रक्रिया की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि अवैध विध्वंस के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश बनाए जाएंगे और सभी संबंधित प्राधिकरण उन पर कड़ाई से अमल करेंगे.

प्रोफेसर सलीम ने महाराष्ट्र में एक धार्मिक नेता द्वारा पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) और इस्लाम के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की. आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने घृणास्पद भाषणों के विरुद्ध स्वतः कार्रवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के सख्ती से क्रियान्वयन की आवश्यकता पर भी बल दिया.

जमाअत के राष्ट्रीय सचिव शफी मदनी ने असम में ‘विदेशी ट्रिब्यूनल’ द्वारा 28 बंगाली मुसलमानों को विदेशी घोषित कर ट्रांजिट कैंपों में भेजने की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल द्वारा कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और यह उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी प्रक्रिया में हिंदू और मुसलमान दोनों ही विदेशी घोषित किए गए थे, लेकिन लागू करने में मुसलमानों को असंगत रूप से निशाना बनाया गया.

जमाअत ने एनआरसी के कारण गलत तरीके से प्रभावित लोगों के साथ खड़े रहने का वादा किया और उन्हें कानूनी और नैतिक समर्थन देने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने सरकार से मांग की कि इन फैसलों की समीक्षा की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी मूल नागरिक को विदेशी घोषित कर हिरासत में न लिया जाए.