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वक्फ संपत्तियों पर एएसआई का दावा, मुस्लिम बुद्धिजीवियों और विपक्ष का कड़ा विरोध

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ निरंतर मजबूत होते आंदोलन को लटकाने,भटकाने के लिए तरह-तरह के खेल खेले जा रहे हैं. इसके लिए जहां कुछ सरकार समर्थक संगठन क्यूआर कोर्ड के जरिए बिल के पक्ष में वोट करने के लिए हिंदुओं को ललकार रहे हैं, वहां सरकारी महकमा भी इस खेल में शामिल हो गया है.

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इस क्रम में पुरात्व विभाग ने भी जेपीसी के समक्ष वक्फ से संबंधित करीब 53 स्मारकों की सूची देकर दावेदारी ठोंकी की है. सूत्रों की मानें तो इसमें कहा गया है कि ये स्मारक वक्फ के अधीन होने के कारण यहां निरंतर पुरात्व विभाग के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है. मना करने के बावजूद नमाजें पढ़ी जा रही हैं. प्रतिबंध के विपरीत तस्वीरें उतारी जाती हैं. ऐसे में पुरात्व विभाग ने वक्फ बोर्ड की इन संपत्तियों को पूरी तरह उसके अधीन करने की वकालत की है.

हालांकि, पुरातत्व विभाग के इन दावों को मुस्लिम बुद्धिजीवियों और विपक्षी दलों के नेताओं ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. पुरातत्व विभाग के इस दावे के विरोध में मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक बैठक आयोजित की गई. इसके बाद जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया और इंटरफेथ कोलिशन फॉर पीस के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने डॉ. सैयद जफर महमूद के नेतृत्व में 05 सितंबर, 2024 को वक्फ पर संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष एक शक्तिशाली पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन दिया. इस प्रतिनिधिमंडल में नजीब जंग, लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह, डॉ. उदित राज, रेव. फादर डॉ. पैकियम सैमुअल, अजमेर सिंह और इरफान बेग शामिल थे. उन्होंने जेपीसी के समक्ष वक्फ विधेयक 2024 का बिंदुवार विश्लेषण प्रस्तुत किया. प्रस्तुति के बाद एक जीवंत चर्चा की गई.

इसी से संबंधित एक रिपोर्ट में ‘द प्रिंट’ ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की पड़ताल कर रही संसदीय समिति के समक्ष 120 से अधिक स्मारकों की सूची पेश की,जो आधिकारिक तौर पर उसके संरक्षण में हैं, लेकिन उन पर विभिन्न राज्य वक्फ बोर्ड दावा करते हैं. मगर विपक्षी सदस्यों ने एएसआई की इस दलील को खारिज कर दिया. इसकी आलोचना करते हुए कहा गया कि ये मुस्लिम निकाय किसी भी संपत्ति पर अपना दावा कर सकते हैं.

सूत्रों ने बताया कि जेपीसी की बैठक के पहले सत्र में विपक्ष और भाजपा के कुछ सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई तथा एएसआई को दोनों पक्षों की ओर से तीखे सवालों का सामना करना पड़ा.

विपक्षी सदस्यों ने संस्कृति मंत्रालय पर समिति के सदस्यों को ‘‘गुमराह’’ करने और ‘‘व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी’’ जैसी गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया, जिसमें दावा किया गया है कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर स्वामित्व घोषित कर सकता है.एएसआई संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करता है, जिसका प्रतिनिधित्व इसके सचिव ने किया.

सूत्रों ने बताया कि एएसआई ने अपनी प्रस्तुति में 53 स्मारकों की सूची दी, जिन पर वक्फ अपना दावा करता है. इनमें से कुछ को देश की आजादी से पहले का इतिहास रखने वाले एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने के लगभग एक सदी बाद वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया.

सूची में ऐसा ही एक उदाहरण महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित निजाम शासक अहमद शाह की कब्र का दिया गया, जिसे एएसआई ने 1909 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था, जबकि 2006 में इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया.

जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया और इंटरफेथ कोलिशन फॉर पीस का प्रतिनिधित्व सैयद जफर महमूद ने किया, जो दोनों निकायों के अध्यक्ष हैं. दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एवं एएमयू के पूर्व कुलपति जमीर उद्दीन शाह तथा पैकियम सैमुअल भी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड भी समिति के सामने पेश हुई. सूत्रों ने कहा कि तीनों निकायों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है.

एएसआई ने यह भी कहा कि विभिन्न वक्फ निकायों ने इसके स्मारकों पर अतिक्रमण किया है और मदरसा तथा शौचालय जैसे निर्माण किए हैं. इसका कुछ विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया. कहा कि ये सुविधाएं मुसलमानों के इबादत स्थलों में मौजूद होनी चाहिए.

सूत्रों ने बताया कि एक विपक्षी सांसद ने एएसआई पर आरोप लगाया कि अकेले दिल्ली में 172 वक्फ संपत्तियों पर उसका अनधिकृत कब्जा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सर्वेक्षण निकाय का मार्गदर्शन करने वाला अधिनियम उसे किसी भी स्मारक के धार्मिक चरित्र को बदलने की अनुमति नहीं देता है. सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू धार्मिक स्थानों के मामले में एएसआई का रवैया कुछ और है.

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में संसद की संयुक्त समिति की बैठक में भाग लेने वाले सांसदों में भाजपा के निशिकांत दुबे, बृजलाल, तेजस्वी सूर्या और संजय जायसवाल, कांग्रेस के गौरव गोगोई, मोहम्मद जावेद, सैयद नसीर हुसैन और इमरान मसूद, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित अन्य शामिल थे.

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