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वक्फ संशोधन बिल: मुस्लिम विरोधी ताकतों की साजिश और मुसलमानों का विरोध

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

मुस्लिम विरोधी ताकतें वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ देश के मुसलमानों की बढ़़ती गोलबंदी को लेकर इस कदर परेशान हैं कि उन्हें भय है कि कहीं किसान आंदोलन की तरह सरकार के खिलाफ यह दूसरा बड़ा आंदोलन न खड़ा हो जाए. सरकार को पहली बार मुसलमानों के आगे झुकना पड़ सकता है. पिछले दस वर्षों में कई मुस्लिम मिजाज विरोधी फैसले के बावजूद सरकार ने इस तरह मुसलमानों की गोलबंदी पहले कभी नहीं देखी थी. इस मसले पर तमाम फिरके के मुस्लिम रहनुमा, बुद्धिजीवी और मुस्लिम सियासतदां एक प्लेट फार्म पर आ गए हैं और बड़े बड़े जलसे-जुलूस हो रही है. पटना के फुलवारीशरीफ में भी इमारत ए शरिया ऐसा ही एक बड़ा सम्मेलन करने जा रही है.
इसके अलावा क्यूआर कोर्ड जारी कर मुसलमानों से अपील की जा रही है कि वे सरकार तक अपना विरोध दर्ज कराएं. इस बढ़ती एकजुटता से बौखलाए कई मुस्लिम विरोधी संगठन मुस्लिम आंदोलन के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं. इसके लिए उनकी ओर से भी क्यूआर कोर्ड जारी कर सरकार के पक्ष में समर्थन करने की अपील की जा रही है. इसके लिए कट्टरवादी संगठन हिंदुओं को ललकार रहे हैं कि संगठित हो जाएं. हिंदुओं में भ्रम फैलाने के लिए वक्फ संपत्ति को लेकर झूठी और भ्रामक बातें कही जा रही हैं.
इससे भी बात नहीं बनी तो अब मुसलमानों में फूट डालने के लिए कुछ अनाम चेेहरों को मुस्लिम बुद्धिजीवी बताकर बयान दिलाए जा रहे हैं कि वक्फ संशोधन बिल आम मुसलमानों के पक्ष में है. इसमें पसमांदा और महिलाओं को भी जगह मिलेगी. जबकि यह सभी जानते हैं कि हर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टियां अपनी सुविधा के अनुसार मुसलमान के किसी भी वर्ग से आने वाले शख्स को इसका चैयरमैन बनाती रही हैं. इसमें पसमांदा, अशराफ, महिला-पुरूष का भेद नहीं किया जाता.

ऐसे ही कुछ तथाकथित मुसलमान दिल्ली की एक दरगाह पर इकट्ठा हुए और एक सरकार समर्थक न्यूज एजेंसी के माध्यम से यह बयान जारी किया कि वे सरकार के इस कदम के साथ हैं और जो लोग बिल का विरोध कर रहे हैं, उन्होंने दरअसल वक्फ की हजारों एकड़ जमीन दबा रखी है. यानी वक्फ संशोधन बिल से वे ही खौफजदा हैं, जिनपर इसकी जमीन खुर्दबुर्द करने का इल्जाम है. अपनी बात साबित करने के लिए उन्होंने जमीयत उलेमा ए हिंद का उदाहरण देकर बताया कि कैसे इसने वक्फ की जमीन पर कब्जा कर रखा है.

एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार,केंद्र सरकार के वक्फ बोर्ड बिल पर जेपीसी के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों के संगठनों और धर्मगुरुओं से राय ली जा रही है. इस सिलसिले में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के निजामुद्दीन में एक मीटिंग बुलाई गई. इसमे मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और धर्म प्रचारक शामिल हुए. मीटिंग के बाद उन्होंने खास बातचीत की.

धर्म प्रचारक मो. कासमिन ने कहा, सरकार वक्फ पर जो संशोधन ब‍िल लेकर आई है, उस पर पूरे देश में भ्रम फैलाया गया है. वक्फ की संपत्ति दबे-कुचले मुसलमानों का हिस्सा है. पिछले 70 सालों में राजनीतिक पार्टियां और कुछ मुस्लिम लीडरशिप ने वक्फ के साथ बहुत गलत किया है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के हर दबे-कुचले समाज और निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए फैसला ले रहे हैं. जिससे देश की तरक्की के साथ पिछड़ा भी तरक्की कर सके। इसी को ध्यान में रखकर वक्‍फ बोर्ड में संशोधन किया गया है.

इसका हम समर्थन करते हैं और पूरे देश के मुसलमानों से अपील करते हैं कि इस बिल को गलत नजर से ना देखें, वह पढ़ लिखकर कोई सवाल करें.वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर छिड़े विवाद को लेकर उन्होंने कहा, वक्फ पर गरीबों और विधवाओं का हक है. बच्चों की शिक्षा के लिए इसका उपयोग होना चाहिए.

जमीयत उलेमा संगठन का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, ये मुसलमानों का 100 साल पुराना संगठन है. आरटीओ पर दो ऑफिस है. दोनों ही वक्फ बोर्ड की जमीन पर हैं. ऐसे में जमीयत उलेमा संशोधन को समर्थन क्यों देगी.

वक्फ बोर्ड कानून के कारण होने वाले बदवालों को लेकर उन्होंने कहा, वक़्फ़ बोर्ड में जो बदलाव हो रहा है, वह बहुत शानदार है. इसका पूरा फायदा देश के सभी मुसलमानों को होगा, जिसके लिए वक़्फ़ बोर्ड बना था.

मुझे उम्मीद है कि मुसलमान इसको समझेगा भी और जो राजनीतिक दल इसको लेकर भ्रम फैला रहे हैं, जिसमें कुछ मजहबी लोग भी शामिल हैं. उनसे दूर रहेगा. आजादी के बाद 70 सालों में क्या भला हुआ है? जितने भी वक़्फ़ बोर्ड के मेंबर या अध्यक्ष रहे हैं, कोई एक भी मुस्लिम समाज के अलावा नहीं था, तो फिर ये कब्जे कैसे हो गए?

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धर्मगुरु ताहिर स्माइल ने कहा, सरकार की मंशा पर शक ना किया जाए और जिस तरीके से हर जिले में कुछ लोग वक़्फ़ बोर्ड की जमीन पर काबिज हैं, उनको हटाया जाए. जो गरीब मुसलमान हैंं, उनको वह जमीन दी जाए.

वक्फ की जमीन पर अस्पताल, कॉलेज जिस तरीके बनने चाहिए थे, वह नहीं बने. अब लगता है कि सभी चीज सही दिशा में हैं. जिस भी मुसलमान को दिक्कत है, वो जेपीसी में अपनी बात रखे.

वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर छिड़े विवाद को लेकर उन्होंने कहा, वक़्फ़ बोर्ड के जो पहले अधिकार थे, उसका सिर्फ दुरुपयोग हुआ है. जो सच में जमीन के हकदार थे, उनको वह जमीन नहीं मिली.

प्राइम लोकेशन पर जो जमीनें थीं, उन पर माफियाओं ने कब्जा कर रखा है या फिर वक़्फ़ बोर्ड ने उनको अपना किराएदार बना लिया.उन्होंने कहा, अब इस बदलाव से कुछ संतुलन बनेगा. जो सही में इस जमीन का हकदार हैं, उसको इसका फायदा मिलेगा, अस्पताल बनेंगे. ये राष्ट्रहित में है और मुसलमानों को भी इसका फायदा होगा.

वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर महिला मुस्लिम स्कॉलर नाजिया हुसैन अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने पीएम मोदी ने बिल्कुल सही कहा. बोर्ड में महिलाओं को बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए.

उन्होंने कहा, वक्फ बोर्ड बिल में जिस तरीके से संशोधन किया जा रहा है, वो बहुत जरूरी है. पिछले 70 सालों से इसमें कुछ नहीं हुआ. सिर्फ कुछ लोगों को ही फायदा हुआ है. यह बिल पास होना चाहिए.

इसमें मुस्लिम महिलाओं को बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सेदारी लेनी चाहिए और अपनी परेशानी को सामने रखना चाहिए. अभी तक जो बोर्ड को संभाल रहे थे, उन्होंने कुछ नहीं किया. अगर वह अपना काम सही से करते तो, शायद आज इस संशोधन की जरूरत नहीं पड़ती.
बीबीसी में लंबे समय तक काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार आवाज द वाॅयस में प्रकाशित अपने लेख में कहते हैं, चाहे कितनी दलील दे लें सरकार की नियत वक्फ पर नियंत्रण करने की है.