ईद मिलाद-उल-नबी: धर्मों के सम्मान और आपसी भाईचारे की आवश्यकता पर चर्चा
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा दिल्ली मुख्यालय पर आयोजित ईद मिलाद-उल-नबी के कार्यक्रम में आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब (स.अ.व) के जीवन को अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पैगम्बर साहब ने जो मार्ग दिखाया, उसे अपनाकर ही हम आपसी भाईचारे के साथ देश को आगे बढ़ा सकते हैं.
सभी धर्मों का सम्मान करना हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अपने धर्म का पालन करना.लालपुरा ने यह भी कहा कि ईद मिलाद-उल-नबी का उत्सव दूसरे धर्मों के लोगों के साथ मनाने से इसकी खुशी और बढ़ जाएगी.
उन्होंने इसे सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के जीवन और उनके संदेशों का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी बताया.
अल्लाह और मोहम्मद साहब का संदेश पूरी दुनिया के लिए : मुफ्ती गुलजार
मुफ्ती गुलजार ने कहा कि आम धारणा के विपरीत, अल्लाह सिर्फ मुसलमानों का नहीं है, बल्कि वह सबका है. पैगम्बर मोहम्मद साहब भी सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए हैं. उन्होंने कहा कि नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दुनिया को एक नई रोशनी दिखाई, जिसमें महिलाओं और लड़कियों को सम्मान मिला और समाज में सुधार हुआ.
मुसलमानों को नैतिकता पर ध्यान देने की सलाह
मुफ्ती महमूद ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के जीवन का मुख्य पहलू यह है कि मुसलमानों को अपनी नैतिकता में सुधार करना चाहिए. नैतिकता ही व्यक्ति के उद्धार का मार्ग है. उन्होंने इस मौके पर सभी धर्मों के प्रति सम्मान बनाए रखने और नैतिक मूल्यों पर ध्यान देने का आह्वान किया.
धार्मिक विद्वानों का विचार
कार्यक्रम में मौलाना अरशद नक़वी, डॉ. अहमद, अब्दुल शमी, प्रो. मोहम्मद सलीम इंजीनियर, मौलाना जावेद कासमी, रब्बी इज़ेकील इसाक मालेकर, राजखोवा, केरसी के देबू, धन्यकुमार जिनप्पा गुंडे, सलमा फ्रांसिस, फादर थॉमस, भाई लाली सिंह और प्रो. हरबंस सिंह सहित विभिन्न धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे.
सभी ने विविधता का जश्न मनाने, विभाजनकारी ताकतों का मुकाबला करने और एकता और सर्वधर्म सद्भाव को मजबूत करने का संकल्प लिया.