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सत्यजीत कांबले सेना अधिकारी बनकर युवओं को ठगता रहा, सुरक्षा एजेंसियां सोती रहीं

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

छोटी-छोटी बातों पर मुसलमानों के पीछे बुल्डोजर लेकर भागने वाली पुलिस इतनी लापरवाह हो चुकी है कि देश की सुरक्षा खतरे मंे है और महीनों इसे इसका पता ही नहीं चलता. ऐसा ही एक मामला मुसलमानों के लिए काॅमन सिविल कोड लाने वाले उत्तराखंड में सामने आया है.

28 वर्षीय सत्यजीत बार्थ कांबले महीनों फर्जी मेजर बनकर बेरोजगारा युवकों को ठगता रहा, पर पुलिस तथा सुरक्षा एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी. इसका भांडा जब फूटा तक यह हत्थे चढ़ा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में फर्जी सेना भर्ती कैंप चलाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. उसपर सैकड़ों लोगों को सेना और मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखा देने और प्रति उम्मीदवार 7 से 8 लाख रुपये ऐंठने का आरोप है.

गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान 28 वर्षीय सत्यजीत बार्थ कांबले के रूप में हुई है.उत्तराखंड पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को तब इसकी भनक लगी जब धोखाधड़ी के शिकार एक युवा की याचिका पर सत्यजीत बार्थकंबले को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले से गिरफ्तार किया गया.

कांबले ने पहले कई बार भारतीय सेना में शामिल होने का प्रयास किया था, पर सफलता नहीं मिली. इसके बाद वह भर्ती नियमों और प्रक्रियाओं से अच्छी तरह वाकिफ हो गया.इसका फायदा उठाकर उसने फर्जी मेजर बनने का नाटक किया और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार समेत कई राज्यों के अभ्यर्थियों से ठगी की.

इस मामले के बारे में एक सैन्य अधिकारी का कहना है, कांबले ने अपने साथियों के साथ मिलकर देहरादून के मालदेवता इलाके में एक फर्जी प्रशिक्षण शिविर स्थापित किया, जिसका नाम युद्धवीर प्रशिक्षण शिविर रखा गया.

उन्होंने आगे कहा कि यह कैंप एक स्थानीय किसान की जमीन लीज पर लेकर बनाया गया था.कांबले और उनके साथियों ने देहरादून के प्लाटन बाजार से सेना की वर्दी खरीदी जिसके बाद उन्होंने प्रशिक्षण शिविर में वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में खुद को पेश किया.

indiasentinels.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक,
मिलिट्री इंटेलिजेंस और महाराष्ट्र पुलिस ने एक संयुक्त अभियान चलाकर एक फर्जी भारतीय सेना भर्ती रैकेट का भंडाफोड़ किया है और इस सुनियोजित योजना के कथित मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है. सेना के अधिकारियों के अनुसार, एमआई और महाराष्ट्र पुलिस के जासूसों ने विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर अभियान चलाया और सेना में भर्ती होने के इच्छुक उम्मीदवारों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर फर्जी भर्ती रैकेट के पीछे कथित दिमाग सत्यजीत बरथ कांबले को गिरफ्तार किया.

सेना में मेजर के रूप में काम करने वाले कांबले को महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और नई दिल्ली सहित कई राज्यों में लंबे समय तक तलाशी अभियान के बाद अहमदनगर में गिरफ्तार किया गया.

कांबले की गिरफ्तारी के साथ हुए इस ऑपरेशन से धोखाधड़ी की व्यापक पहुंच का पता चला. कांबले और उसके साथी उत्तराखंड के देहरादून और महाराष्ट्र के श्रीगोंडा में फर्जी प्रशिक्षण शिविर चला रहे थे, जहां उन्होंने सैकड़ों उम्मीदवारों को सशस्त्र बलों में नौकरी दिलाने का वादा करके ठगा.

जांच में पता चला कि रैकेट ने प्रत्येक उम्मीदवार से ₹7-8 लाख लेकर लगभग ₹3-4 करोड़ जमा किए थे.कांबले की कार्यप्रणाली में विभिन्न राज्यों में स्थित भर्ती रैलियों और अकादमियों के माध्यम से उम्मीदवारों को लुभाना शामिल था. फिर उम्मीदवारों को फर्जी प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता था, जहां उन्हें कथित तौर पर उच्च पदस्थ सेना अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित नकली जॉइनिंग लेटर जारी किए जाते थे.

धोखाधड़ी की गतिविधियों की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी, जिसमें कांबले और उनकी टीम ने बेखबर उम्मीदवारों का विश्वास जीतने के लिए सेना के कर्मियों का रूप भी धारण किया था.इस रैकेट के अन्य सदस्यों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए आगे की जांच चल रही है, जिसमें महिला दलाल भी शामिल हैं.

इस रैकेट के भंडाफोड़ से भर्ती प्रक्रिया में कमज़ोरियों का पता चला है और यह भी पता चला है कि धोखेबाज़ अपने देश की सेवा करने के इच्छुक युवाओं की आकांक्षाओं का फ़ायदा उठाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं. यह पहली बार नहीं है जब देश में सेना में इस तरह के फ़र्जी भर्ती रैकेट का मामला सामने आया है.

समय-समय पर, अधिकारी उम्मीदवारों से इस तरह के घोटालों का शिकार होने से बचने के लिए आधिकारिक चैनलों के माध्यम से भर्ती अभियान और प्रशिक्षण शिविरों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने का आग्रह करते रहे हैं.

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