Politics

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत की बैठक: मुसलमानों के हितों की आवाज

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत की हाल ही में हुई बैठक में देश के मुसलमानों के सामने आ रही चुनौतियों और मुद्दों पर गहन चर्चा हुई. बैठक में देश भर से आए सदस्यों ने हिस्सा लिया और कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए.
मुशावत के सदस्य और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने इस मौके पर कहा कि मशावरत एक ऐतिहासिक संगठन है. उसकी प्रतिष्ठा जरूरी है. उन्होंने मुशावरत के सदस्यों को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आप इसकी विश्वसनीयता बहाल करें, न लोगों की कमी होगी और न ही संसाधनों की.

विधानसभा और संसद के मुस्लिम सदस्यों के बीच आपसी संबंध बढ़ाने की जरूरत है. इस पर विचार-विमर्श से काम होना चाहिए ताकि विधानसभा और संसद के हर सत्र से पहले कम से कम संसद और विधानसभा के मुस्लिम सदस्य एक साथ बैठें.

मुख्य बिंदु:

  • सरकार के रवैये पर चिंता: बैठक में सरकार के मुसलमान विरोधी रवैये और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताई गई.
  • एकजुटता का आह्वान: मुशावरत के अध्यक्ष फिरोज अहमद ने सभी से एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करने का आह्वान किया.
  • संगठन को मजबूत बनाना: मुशावरत ने अपने संगठन को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया, जैसे कि प्रांतीय इकाइयों को मजबूत करना और 20 राज्यों में परिषदों को सक्रिय करना.
  • सांसदों और विधायकों के बीच संबंध: मुशावरत ने मुस्लिम सांसदों और विधायकों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया ताकि संसद और विधानसभा में मुसलमानों के हितों की बेहतर तरीके से पैरवी की जा सके.
  • अवकाफ और अन्य मुद्दों पर दिशानिर्देश: मुशावरत ने मुसलमानों के लिए अवकाफ और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर दिशानिर्देश जारी करने का फैसला किया.
  • मीडिया मॉनिटरिंग और डेटा सेंटर: मुशावरत ने मीडिया मॉनिटरिंग सेल और एक डेटा सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया.
  • राष्ट्रीय सम्मेलन: मुशावरत ने राष्ट्रीय मुद्दों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने का फैसला किया.
  • बजट में वृद्धि: मुशावरत ने मीडिया और प्रशासन के बजट में वृद्धि करने का निर्णय लिया.

भीड़ हिंसा और मुस्लिम विरोधी राजनीति

बैठक में भीड़ हिंसा और मुस्लिम विरोधी राजनीति पर गहन चर्चा हुई और इस पर रोक लगाने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए गए. बैठक में सरकार द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण बजट में कटौती किए जाने पर चिंता जताई गई. बैठक में सामाजिक ताने-बाने पर बढ़ते खतरे पर चिंता व्यक्त की गई.

देशभर के कोने-कोने से पहुंचे सदस्य

इससे पहले संयुक्त बैठक की शुरुआत मजलिस-ए-आमला के वरिष्ठ सदस्य सैयद मंसूर आगा द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई और उन लोगों के लिए शोक पेश किया गया जो पिछले एक साल में हमारे बीच से गुजर गए हैं.

बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र और कर्नाटक सहित देश भर से लगभग 40 सदस्यों और कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया और देश के ज्वलंत मुद्दों पर प्रस्तुत प्रस्तावों पर चर्चा में भाग लिया.

मौके विचार रखने वालों के अलावा मोहम्मद आकिफ़, परिषद के सदस्य, मोहम्मद अहमद मोमिन (औरंगाबाद), डॉ. एमएन हक (कोलकाता), डॉ. इदरीस क़ुरैशी (दिल्ली), अख्तर हुसैन अख्तर (कानपुर), इंजीनियर सिकंदर हयात, मुहम्मद इमरान अंसारी, अनवर अहमद, हाफिज जावेद (दिल्ली), मंजर जमील (कोलकाता), अबरार अहमद, आईएएस (सेवानिवृत्त), एम सलीम कासमी (मुरादाबाद), अब्दुल खालिक, आसिफ अंसारी मौजूद थे.

निष्कर्ष:

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत की यह बैठक देश के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है. इस बैठक में लिए गए फैसलों से मुसलमानों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी.

यह समाचार क्यों महत्वपूर्ण है?

यह समाचार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के सामने आ रही चुनौतियों पर प्रकाश डालता है. यह समाचार हमें यह भी बताता है कि मुसलमान समुदाय अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एकजुट हो रहा है.

आप इस समाचार के बारे में क्या सोचते हैं?

आप इस समाचार के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *