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इस्लाम विरोध के बहाने: सना खान और रुबीना दिलैक पर बुद्धिजीवियों की ओछी टिप्पणियाँ

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

देश-दुनिया में एक मिजाज सा बन गया है-इस्लाम का विरोध करना, पैगंबर मोहम्मद साहब को बुरा भला कहना और मुसलमानों को नीचा दिखाना.समाज में यह टेंडेंसी तब से और बढ़ गई है, जबसे यह समाचार बाहर आया है कि मुसलमाना जनसंख्या के लिहााज से दूसरी बड़ी कौम बन गई है. पश्चिमी देशों में इस्लाम से प्रभावित होकर लोग धड़ाधड़ अपने पुराने मजहब छोड़ रहे हैं. हाल के दिनों में कई बड़ी हस्तियों ने इस्लाम कबूला है. इसमें पाॅप सिंगर से लेकर हाॅलीवुड स्टार और फैशन परस्त भी हैं. ऐसे में क्या उन्हें यह कहकर खारिज किया जा सकता है कि वे ‘एक रोबोट है जो 1400 साल पुराने ब्रेनवॉश को दोहरा रहे है.’’ या यह कह सकते हैं-ं ये मानवता, समाज, प्रगति, सह.अस्तित्व आदि से पूरी तरह कट चुके हैं.’’

दरअसल, ऐसा कहने वालों की दिली मंशा है कि इस्लाम दुनिया में और न फैले. उन्हंे डर है कि एक बार फिर पूरी दुनिया पर इस्लाम प्रभाव हो जाएगा. जबकि ऐसा नहीं है. सभी धर्मों के लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है. सभी धर्मों से लोग इधर से उधर जा रहे हैं. मगर उनको जाहिल बताना सरासर गलत होगा.

सिने स्टार रह चुकी सना खान ने एक मौलवी से जरूर शादी की है, पर वह मौलवी गुजरात का बड़ा व्यापारी है. रोजाना हजारों लोग उनके संपर्क में आते हैं. विदेशी दौरे की तस्वीरें भी हमें बार-बार देखने को मिलती हैं. फिर उनको हम समाज से कटा हुआ कैसे कह सकते हैं ?

सना खान इस्लाम के रास्ते पर चल रही है तो उसे चलने दीजिए, क्यों अपने दिमाग की गलाजत सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं. उसकी मर्जी वो जो चाहे करे. बॉलीवुड में कई अभिनेता और अभिनेत्रियां हैं जिन्होंने अलग-अलग धर्मों में शादी की है, तो क्या ऐसे लोगों को खारिज कर दिया जाए ?

सना खान ने रुबीना दिलैक के पॉडकास्ट में इस्लाम के प्रति अपना भावना और आस्था प्रकट की मात्र की है. जाहिर है उनकी बातें कई को अच्छी और कई को बुरी लगेंगी. इनमें रुबीना दिलैक भी एक हैं. मगर समाज के ठेकेदार नारीवाद का हवाला देकर न जाने क्या-क्या सोशल मीडिया पर फालतूगिरी झाड़ रहे हैं. इमिनेंट इंटिलेक्चुए ने अपने एक्स हैंडल पर लिखता है-’’
सना खान समस्या नहीं है . वह एक इस्लामिस्ट है जिसने एक मुल्ला से शादी की है . वह मानवता, समाज, प्रगति सह.अस्तित्व आदि से पूरी तरह कटी हुई है . वह एक रोबोट है जो 1400 साल पुराने ब्रेनवॉश को दोहराएगी . उसे आसानी से नकार दिया जाता है.

इसने आगे लिखा है-’’समस्या रुबीना दिलैक जैसी हिंदू नारीवादी हैं . चाहे सना कितनी भी भयानक प्रतिगामी क्यों न होए अन्यथा उग्र और मुखर रुबीना बस उसके जूते चाटती है और उसके प्रतिगामी इस्लामिक अंधविश्वास को मान्य करती है . कल्पना कीजिए कि अगर किसी हिंदू ने भी कुछ अजीबोगरीब कहा होता तो वह उसे जवाब देती .

हिंदू नारीवादियों को इस्लाम की गुलामी से बचने की जरूरत है. यह शर्मनाक है. ;वीडियो को घृणित चापलूसी को उजागर करने के लिए संपादित किया गया है.

इस महाशय ने एक तरफ तो अपने एक्स प्रोफाइल में खुद को बुद्धिजीवी साबित करने के लिए न जाने क्या, क्या लिखा हुआ, दूसरी तरफ एक्स हैंडल पर किए गए इस पोस्ट से साफ झलकता है कि यह उन नफरतियों के गैंग का हिस्सा हैं जो मजहब के कंधे पर चढ़कर देश-समाज को अस्थिर रखने के प्रयास में लगे हुए हैं.

ऐसे लोगों का क्या कुछ हो सकता है !!!

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