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सोमनाथ क्षेत्र में मस्जिद और कब्रिस्तान ध्वस्त करने पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का विरोध, न्यायिक आदेश की अवहेलना का आरोप

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने एक बयान जारी कर गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में मस्जिद, दरगाह और 500 साल पुराने कब्रिस्तान के ध्वस्तीकरण की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इस कार्रवाई को सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश का गंभीर उल्लंघन बताया.

मलिक मोतसिम खान ने कहा, “28 सितंबर की सुबह हुई यह सुनियोजित कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के प्रति असम्मान और स्थानीय मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का अपमान है. महज दस दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि जब तक न्यायालय द्वारा विशेष अनुमति न दी जाए, तब तक पूरे देश में किसी भी प्रकार का ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा. इसके बावजूद, विकास और अतिक्रमण विरोधी अभियान की आड़ में यह अवैध कार्रवाई की गई है.”

उन्होंने कहा, “हम शहरी विकास और कानून व्यवस्था की अहमियत को समझते हैं, लेकिन धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित संरचनाओं को बिना उचित प्रक्रिया के ध्वस्त करना बेहद संवेदनशील मामला है. यह न केवल न्याय का उल्लंघन है बल्कि संविधान की भावना के भी विपरीत है.”

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने केंद्र सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. उन्होंने इस अवैध ध्वस्तीकरण के लिए जिम्मेदार लोगों से जवाबदेही तय करने और धार्मिक संरचनाओं की तुरंत बहाली की मांग की.

खान ने उम्मीद जताई कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में सभी धर्मों और समुदायों के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा.

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