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गुजरात के शिया मौलाना का बयान: हिज़्बुल्लाह नेता नसरल्लाह की शिया पहचान पर सवाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

गुजरात के शिया मौलाना हसन अली रजनी ने हिज़्बुल्लाह कमांडर हसन नसरल्लाह की हालिया मौत के बाद एक विवादास्पद बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने नसरल्लाह की शिया पहचान और उनके कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. जहां दुनिया भर के शिया समुदाय नसरल्लाह की मौत पर गुस्से में हैं और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं मौलाना रजनी ने नसरल्लाह की विचारधारा और शिया पहचान को अलग करार दिया है.

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मौलाना रजनी ने अपने बयान में कहा, “हसन नसरल्लाह के कार्य वैश्विक शिया पहचान का प्रतिनिधित्व नहीं करते. शिया समुदाय सदैव शांति, सहिष्णुता और आपसी सम्मान पर जोर देता है, और हिंसा को कभी स्वीकार नहीं करता.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नसरल्लाह की विरासत जटिल है, और इसे पूरी शिया पहचान के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा, “शिया इस्लाम को सही तरीके से समझने के लिए नसरल्लाह के कार्यों से आगे देखना आवश्यक है. दुनिया भर के शिया समुदाय, जिनमें इराक, भारत, पाकिस्तान और लेबनान के लोग शामिल हैं, ने हमेशा इस्लामी विचार, साहित्य और विज्ञान में योगदान दिया है, जो नसरल्लाह की नीतियों से अलग है.”

रजनी ने आगे कहा कि दुनिया के शियाओं के सच्चे नेता उनके बारह इमाम (अ.स.) हैं और नसरल्लाह को किसी भी रूप में शिया नेतृत्व का प्रतिनिधित्व नहीं माना जा सकता. उन्होंने यह भी दावा किया कि नसरल्लाह न तो मुफ़्ती थे और न ही मुजतहिद, और उनके कार्यों का श्रेय शिया समुदाय को नहीं दिया जाना चाहिए.

इस बयान के बाद, कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि गुजरात के शिया मौलाना ने यह बयान किसके इशारे पर दिया है, क्योंकि नसरल्लाह की मौत के बाद दुनिया भर के शियाओं में आक्रोश है, और उनके इस बयान से समुदाय में एक नई बहस छिड़ गई है.

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