Muslim WorldTOP STORIES

इज़राइली हवाई हमलों में इस्तेमाल हुए F-35 विमानों की आपूर्ति पर वैश्विक कानूनी जंग

इजरायली F-35 विमानों के संचालन में शामिल अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला की वैधता पर दुनिया भर में कई अदालतों में कानूनी लड़ाई जारी है. इजरायल ने गाजा और लेबनान पर किए गए हवाई हमलों में अमेरिकी निर्मित F-35 लड़ाकू विमानों का उपयोग किया है.

लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित इन विमानों को सबसे घातक युद्धक विमानों में से एक माना जाता है. गाजा पर इजरायली हमलों में अब तक 41,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि लेबनान में किए गए हालिया हमलों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

इजरायल ने इन हमलों में F-35 पर बहुत अधिक निर्भरता दिखाई, जबकि F-16 और F-15 जैसे पुराने विमानों का उपयोग भी संभव था. विशेषज्ञों का मानना है कि इन विमानों का इस्तेमाल इजरायली वायुसेना की क्षमता को परखने और बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा हो सकता है.

इस कानूनी लड़ाई में नीदरलैंड, यूके, कनाडा, और डेनमार्क जैसी सरकारों से पूछा जा रहा है कि वे इजरायल को F-35 के स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति जारी कैसे रख सकती हैं, जबकि यह संभावना है कि इनका इस्तेमाल मानवाधिकारों के उल्लंघन में हो सकता है.

नीदरलैंड ने इजरायल को पुर्जों की सप्लाई पर रोक लगा दी है, जबकि अन्य देश अपनी आपूर्ति जारी रखे हुए हैं. उनका कहना है कि अगर आपूर्ति रोकी जाती है तो इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आ सकती है.

अमेरिकी एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 85 मिलियन डॉलर मूल्य के F-35 पुर्जे वैश्विक स्तर पर लापता हो गए हैं. क्योंकि उनकी ठीक से निगरानी नहीं की गई थी. कुछ एनजीओ और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सिर्फ लॉजिस्टिक्स का नहीं, बल्कि राजनीति का भी है. वे तर्क देते हैं कि अगर इजरायल के लिए F-35 की आपूर्ति रोकी जाती है, तो यह वैश्विक सैन्य अभियानों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.

F-35 कार्यक्रम का संचालन पेंटागन द्वारा किया जा रहा है . इसमें कई देश भागीदार हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह फाइटर जेट “जस्ट-इन-टाइम” डिलीवरी सिस्टम पर आधारित है, जहां विमान को किसी भी समय स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता हो सकती है.

अमेरिका और उसके साझेदार देश इस आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.कानूनी मामलों में यह सवाल उठता है कि सरकारें अपने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए इजरायल को इन पुर्जों की आपूर्ति का लाइसेंस कैसे जारी रख सकती हैं ? खासकर तब जब हथियारों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के उल्लंघन में किया जा रहा है.

इजरायल को एफ-35 विमान और उनके स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति को लेकर कई देशों की सरकारें दबाव में हैं. हालांकि, ये सरकारें इस बात से भी चिंतित हैं कि अगर वे आपूर्ति रोकती हैं, तो उन्हें वैश्विक रक्षा कार्यक्रमों में अविश्वसनीय भागीदार माना जा सकता है.

एफ-35 जेट विमानों के पुर्जों के निर्यात को लेकर कई देशों की सरकारों पर यह सवाल उठ रहा है कि वे अपने घरेलू कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत इजराइल को इन पुर्जों का निर्यात कैसे जारी रख सकती हैं. इन पुर्जों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन में किया जा सकता है या किया जा रहा है, यह एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है.

अब तक, नीदरलैंड, यूके और कनाडा ने इस मामले पर अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए हैं.इनका मानना है कि इजराइल को सीधे भेजे जाने वाले हथियारों की तुलना में एफ-35 के पुर्जों का तीसरे देशों से होकर गुजरना एक अलग मुद्दा है. यूके और नीदरलैंड की सरकारों का तर्क है कि इजराइल को भेजे जाने वाले पुर्जों की आपूर्ति श्रृंखला को निलंबित करने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि इन पुर्जों का पता लगाना लगभग असंभव है.

पिछले साल अमेरिकी सरकार जवाबदेही कार्यालय (GAO) ने बताया कि 85 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के एफ-35 पुर्जे वैश्विक स्तर पर गायब हो गए थे. यहां तक कि अमेरिकी सरकार और निजी ठेकेदारों के बीच भी यह स्पष्ट नहीं था कि उन्हें ट्रैक करने की जिम्मेदारी किसकी है.

ऑक्सफैम के हथियार और संघर्ष नीति सलाहकार मार्टिन बुचर का कहना है कि इस तरह के विमानों को ट्रैक करना मुश्किल नहीं होना चाहिए. जैसा कि अन्य उच्च-तकनीकी उपकरणों के मामले में होता है. उन्होंने ब्रिटेन द्वारा इजराइल को हथियारों के निर्यात के खिलाफ कानूनी चुनौती दी है.

एफ-35 जेट की गाजा और लेबनान पर इजरायली हवाई हमलों में अहम भूमिका रही है. हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि किस प्रकार के विमानों का इस्तेमाल किस हमले में हुआ है. इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट के एक्स अकाउंट पर किए गए एक पोस्ट के जरिए पुष्टि की गई कि जुलाई में गाजा में एफ-35 का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें 90 से अधिक लोग मारे गए थे.

एफ-35 कार्यक्रम तेजी से इजराइल को स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है. ब्रिटेन ने पिछले साल एफ-35 कार्यक्रम के तहत ओपन लाइसेंस के माध्यम से इजराइल को सीधे सामान निर्यात किया, जो पिछले वर्षों की तुलना में तीन गुना अधिक था. यह जानकारी ब्रिटेन स्थित “कैंपेन अगेंस्ट आर्म्स ट्रेड” (CAAT) द्वारा प्राप्त की गई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि लड़ाकू विमानों को निरंतर रखरखाव की आवश्यकता होती है. यदि स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति बंद हो जाए, तो एफ-35 जैसे जेट विमानों को उड़ाना असंभव हो जाएगा. एफ-35 की आपूर्ति श्रृंखला वैश्विक “जस्ट-इन-टाइम” डिलीवरी प्रणाली पर आधारित है, जहां विमान खुद अलर्ट भेजता है जब उसे किसी नए हिस्से की जरूरत होती है.

डच एनजीओ ‘राइट्स फोरम’ के निदेशक जेरार्ड जोंकमैन का कहना है कि अगर आपके लॉजिस्टिक सिस्टम अंतरराष्ट्रीय कानून का सामना करने में सक्षम नहीं हैं, तो आपको उन्हें बदलने की जरूरत है. एफ-35 कार्यक्रम की आपूर्ति श्रृंखला की जवाबदेही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह वर्तमान में एक वैश्विक स्पेयर पूल का हिस्सा है और किसी भी विशेष देश के लिए निर्दिष्ट नहीं होती.

यह सिर्फ एक लॉजिस्टिक समस्या नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक समस्या भी है. अमेरिका एफ-35 कार्यक्रम पर पूर्ण नियंत्रण रखता है, जिससे इस मुद्दे को हल करना कठिन हो जाता है. कई देशों की सरकारों को यह डर भी है कि अगर वे पुर्जों की आपूर्ति रोकते हैं, तो उन्हें भविष्य के रक्षा कार्यक्रमों में अविश्वसनीय सहयोगी के रूप में देखा जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *