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सोमनाथ में मस्जिदों और कब्रिस्तानों के विध्वंस पर जमाअत का विरोध, मध्य-पूर्व की गंभीर स्थिति पर जताई चिंता

भारत में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और मध्य-पूर्व में बिगड़ते हालात पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने अपनी गहरी चिंता जाहिर की है. जमाअत के अमीर, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, ने केंद्रीय मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की.

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में हुए हालिया चुनाव परिणामों, मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमलों, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे और मध्य-पूर्व की गंभीर स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने विशेष रूप से सोमनाथ में 500 साल पुराने कब्रिस्तान और मस्जिदों के विध्वंस को लेकर चिंता व्यक्त की, जो कि धार्मिक धरोहर के साथ गंभीर अन्याय है.

सोमनाथ में ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों का विध्वंस: जमाअत की उच्च स्तरीय जांच

जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में गुजरात के गिर सोमनाथ जिले का दौरा कर वहां हो रहे विध्वंस की जमीनी समीक्षा की. इस प्रतिनिधिमंडल में जमाअत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर और राष्ट्रीय सचिव शफी मदनी शामिल थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने सोमनाथ में हो रहे अवैध विध्वंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

बताया कि किस तरह से लगभग 200 एकड़ भूमि में फैली कई ऐतिहासिक दरगाहों, मकबरों, मस्जिदों और कब्रिस्तानों को अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया. उन्होंने इन धार्मिक स्थलों को बहाल करने और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

सलीम इंजीनियर ने कहा, “धर्मस्थलों और इबादतगाहों को नष्ट करना न केवल एक कानूनी अपराध है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुंचाने वाला कृत्य भी है. इस तरह की घटनाएं हमारे समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने को कमजोर करती हैं.”

मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर जमाअत की चिंता

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान देशभर में मुसलमानों और उनकी इबादतगाहों पर बढ़ते हमलों और हिंसा पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इन दिनों मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, और मुस्लिम युवाओं को झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है.

हाल ही में गिर सोमनाथ में हुई घटनाएं इसका ताजा उदाहरण हैं. उन्होंने इस प्रकार की हिंसा और नफरत भरे बयानों को रोकने के लिए सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की.हुसैनी ने कहा, “मुसलमानों को भावनात्मक रूप से आहत करने के लिए पैगंबर इस्लाम के सम्मान में अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही हैं. जब अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, तो उनका मनोबल और बढ़ जाता है.

यह जरूरी है कि बुद्धिजीवी, धार्मिक नेता और समाज के सभी वर्ग इन घृणित टिप्पणियों के खिलाफ खड़े हों और सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा दें.”

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ और संघीय ढांचे पर खतरा

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा पर अमीर जमाअत ने अपने विचार प्रकट किए. इसे भारत के संघीय ढांचे के लिए खतरनाक बताया. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से क्षेत्रीय दल कमजोर होंगे और राज्य-विशिष्ट मुद्दों को नज़रअंदाज़ किया जाएगा.इससे राष्ट्रीय दलों को बढ़ावा मिलेगा और केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन बिगड़ जाएगा, जो कि भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है.

हुसैनी ने कहा, “भारत जैसे विविध और बहु-सांस्कृतिक देश में एकसमान चुनावी कार्यक्रम लागू करना लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर कर सकता है. यह क्षेत्रीय दलों की स्वायत्तता को समाप्त कर देगा और छोटे राज्यों की समस्याओं को अनदेखा करेगा.”

मध्य-पूर्व में बिगड़ते हालात: इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध की आशंका

मध्य-पूर्व की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच संभावित युद्ध की स्थिति बहुत चिंताजनक है. यह संघर्ष न केवल उस क्षेत्र को अस्थिर करेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर इज़राइल द्वारा किए जा रहे अत्याचारों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है. इज़राइल द्वारा पिछले एक साल में गाजा में छेड़े गए नरसंहार ने 40,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं.

हुसैनी ने जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की ओर से फिलिस्तीन में प्रतिरोध आंदोलनों के शीर्ष नेताओं की लक्षित हत्याओं की कड़ी निंदा की और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का घोर उल्लंघन बताया. उन्होंने इज़राइल पर प्रतिबंध लगाने और उसके युद्ध अपराधों के लिए जवाबदेही की मांग की.

भारत की भूमिका और वैश्विक समुदाय की जिम्मेदारी

सैयद हुसैनी ने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इज़राइल के प्रति अपने भय को छोड़कर इस मुद्दे पर कार्रवाई करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इज़राइल को कूटनीतिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से नियंत्रित किया जाना चाहिए.उन्होंने भारत से भी अपील की कि वह अपनी चुप्पी तोड़े और मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए अन्य अरब देशों के साथ मिलकर काम करे.

उन्होंने कहा, “भारत का इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हित है और इसे अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए. भारत को शांति और स्थिरता के लिए कूटनीतिक प्रयास करने चाहिए और इज़राइल की आक्रामक नीतियों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक मजबूत संदेश देना चाहिए.”

निष्कर्ष: जमाअत का आह्वान और आगे की दिशा
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने इस प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से न केवल देश के भीतर मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा पर अपनी चिंता व्यक्त की, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति और न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया.संगठन ने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर सांप्रदायिकता और हिंसा का विरोध करें और वैश्विक शांति एवं स्थिरता के लिए अपनी भूमिका निभाएं.