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UN peacekeepers पर इजरायल के हमले से भड़का फ्रांस, राष्ट्रपति मैक्रों बोले- बर्दाश्त नहीं करेंगे

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पेरिस (फ्रांस)

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को इजरायल द्वारा संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को “जानबूझकर” निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा की. मैक्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उनका यह बयान तब आया जब लेबनान में इजरायली हमले के दौरान दो शांति सैनिक घायल हो गए. इस घटना के बाद फ्रांस ने इजरायली राजदूत को भी तलब किया और अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के आरोपों पर जवाब मांगा.

हमले के बाद बढ़ता तनाव

दक्षिणी लेबनान के नक़ौरा शहर में स्थित यूनिफिल (यूएन इंटरिम फ़ोर्स इन लेबनान) के मुख्यालय में एक इजरायली टैंक से गोलीबारी हुई, जिसमें दो इंडोनेशियाई शांति सैनिक घायल हो गए. संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के इस ठिकाने पर हुआ यह हमला अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है. यूनिफिल ने इस हमले की कड़ी निंदा की है. इसे एक जानबूझकर किया गया हमला बताया है.

इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष

इजरायल और ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिज़बुल्लाह के बीच दक्षिणी लेबनान में संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है. इजरायली सेना की गतिविधियां इस क्षेत्र में बढ़ गई हैं और लेबनान के नागरिक भी इसके शिकार हो रहे हैं.

इजरायली हमलों में गुरुवार को बेरूत के घनी आबादी वाले इलाके में 22 लोगों की मौत हो गई और 117 लोग घायल हो गए. इजरायल की सैन्य कार्रवाई ने पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की चिंता बढ़ गई है.

फ्रांस का कड़ा रुख

इस हमले के बाद फ्रांस ने इजरायल के प्रति कड़ा रुख अपनाया है. फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने इजरायली राजदूत को बुलाकर स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को निशाना बनाना अंतर्राष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

मंत्रालय ने कहा, “इजरायली अधिकारियों को अपने कार्यों की स्पष्टता देनी होगी और सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों.”

राष्ट्रपति मैक्रों ने भी इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर की. कहा कि फ्रांस इस प्रकार की आक्रामक कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए.
फ्रांस 24 की रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों ने घायल सैनिकों के प्रति सहानुभूति जताई और कहा कि इस प्रकार की घटनाओं से क्षेत्रीय शांति को बड़ा खतरा हो सकता है.

यूनिफिल का मिशन और वर्तमान स्थिति

यूनिफिल को 1978 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लेबनान और इजरायल के बीच “ब्लू लाइन” की निगरानी के लिए स्थापित किया गया था. यह शांति मिशन लेबनान और इजरायल के बीच स्थाई संघर्ष विराम सुनिश्चित करने और सीमा क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए कार्यरत है.

हाल ही में अगस्त में, इस मिशन के कार्यकाल को एक और वर्ष के लिए नवीनीकृत किया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में शांति की स्थिति अभी भी नाजुक है.इजरायल ने वर्ष 2000 में लेबनान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था, लेकिन दोनों देशों के बीच कोई स्पष्ट सीमा रेखा न होने के कारण, संयुक्त राष्ट्र ने ब्लू लाइन की स्थापना की थी, जिसकी लंबाई 120 किमी है.

यूनिफिल के शांति सैनिक इस क्षेत्र में नियमित गश्त करते हैं और इजरायल व लेबनान के बीच शांति बनाए रखने की कोशिश करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत का बयान

भारत ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि ब्लू लाइन पर बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को लेकर भारत गंभीर रूप से चिंतित है. भारत ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए.

बढ़ती शत्रुता और शांति सैनिकों के लिए खतरा

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के प्रमुख जीन-पियरे लैक्रोइक्स ने भी इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ती शत्रुता पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. लैक्रोइक्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि दक्षिणी लेबनान में शांति सैनिकों की सुरक्षा तेजी से खतरे में है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए त्वरित और सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है.

इस बीच, इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में अपने हमलों का विस्तार जारी रखा है, जिससे यह संघर्ष और भयानक रूप लेता जा रहा है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली हमलों में अब तक बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं.

इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष ने मध्य पूर्व में स्थिरता को और खतरे में डाल दिया है. फ्रांस और अन्य देशों ने इजरायल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है . संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की मांग की है.

आने वाले दिनों में इस संघर्ष के और बढ़ने की संभावना है.अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है कि वे इस स्थिति को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाएं.

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