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वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद पर 33 साल पुराने मामले में सुनवाई पूरी, 25 अक्टूबर को आएगा फैसला

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,वाराणसी

33 साल पुराने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर 25 अक्टूबर को अहम फैसला सुनाया जाएगा. इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी हैं. यह मामला 1991 से कोर्ट में चल रहा है, जिसे “लार्ड विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी” के नाम से जाना जाता है.
इस मामले में हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना और नए मंदिर के निर्माण की अनुमति की मांग की है, जो अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है.

मामले की पृष्ठभूमि

1991 में, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर हिंदू पक्ष ने अदालत में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में हिंदू पक्ष का दावा था कि मस्जिद क्षेत्र में प्राचीन मंदिर के अवशेष मौजूद हैं और वहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए। साथ ही, हिंदू पक्ष ने मंदिर निर्माण की भी मांग की थी. इसके बाद से यह मामला न्यायालय में लंबित है. कई वर्षों से दोनों पक्षों की दलीलें चल रही हैं.

मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी

19 अक्टूबर 2024 को वाराणसी में कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने अपनी अंतिम दलीलें प्रस्तुत कीं. उन्होंने अपनी दलीलों में कोर्ट को बताया कि इस स्थान को लेकर धार्मिक विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए और यह मस्जिद मुस्लिमों की धार्मिक धरोहर है.
अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने अपने तर्कों में यह भी कहा कि इतिहास और तथ्यों के आधार पर यह स्थान सदियों से मस्जिद के रूप में इस्तेमाल होता आ रहा है और इसे उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.

हिंदू पक्ष की मांग

दूसरी तरफ, हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर में प्राचीन मंदिर के अवशेष मौजूद हैं, और इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए. हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष हैं, जिसे साबित करने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट को अदालत के सामने रखा गया. हिंदू पक्ष ने इस रिपोर्ट के आधार पर मंदिर निर्माण की मांग की है और इसके लिए उन्होंने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं.

अदालत का आदेश और ASI सर्वेक्षण

इस मामले में पहले ही वादमित्र द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया गया था. ASI ने ज्ञानवापी परिसर का विस्तृत सर्वेक्षण किया और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें हिंदू पक्ष के दावे को बल मिला. इस रिपोर्ट पर हिंदू पक्ष के वकीलों ने जोरदार बहस की, जिसमें मंदिर के अस्तित्व और पूजा-अर्चना के अधिकारों पर जोर दिया गया.

मुस्लिम पक्ष ने 8 अक्टूबर 2024 को अपनी अंतिम दलीलें पूरी की थीं. उन्होंने भी अपने तर्कों में मस्जिद की ऐतिहासिकता और उसकी धार्मिक महत्ता का हवाला दिया. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं है और उन्हें धार्मिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

फैसला 25 अक्टूबर को

इस मामले में अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 25 अक्टूबर 2024 को अपना फैसला सुनाने की घोषणा की है. यह फैसला भारत के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, क्योंकि यह मामला 33 साल से चल रहा है और धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है.

धार्मिक सौहार्द की चुनौती

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद ने वर्षों से वाराणसी और पूरे देश में धार्मिक सौहार्द को चुनौती दी है. यह मामला न केवल कानूनी तौर पर बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक संवेदनशील है. दोनों पक्षों की उम्मीदें इस फैसले पर टिकी हुई हैं और यह देखना बाकी है कि अदालत का फैसला किस दिशा में जाएगा.

फैसले से देश पर असर

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का अंतिम फैसला अब 25 अक्टूबर 2024 को आना है. इस फैसले से न केवल वाराणसी बल्कि पूरे देश में धार्मिक और सामाजिक माहौल पर असर पड़ने की संभावना है. कोर्ट के इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों समुदाय किस तरह से इसका स्वागत करते हैं और धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.

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