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गुजरात से रिहा होकर लौटे मुफ्ती सलमान अजहरी, समर्थकों ने किया जोरदार स्वागत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, मुंबई

मुंबई के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मुफ्ती सलमान अजहरी, जिन्हें एक शेर पढ़ने पर ‘हेट स्पीच’ का आरोप लगाकर जेल भेजा गया था, अब रिहा हो गए हैं. उनकी रिहाई पर मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में खुशी का माहौल है, और सोशल मीडिया पर इस खबर ने तेजी से सुर्खियां बटोरी हैं.

मुफ्ती सलमान अजहरी की रिहाई के बाद उनके समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया. बीजेपी शासित गुजरात में, उन्हें एक शेर पढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा. इस दौरान, मुस्लिम समुदाय ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया और उनकी रिहाई के लिए आवाज उठाई.

सोशल मीडिया पर मिली व्यापक प्रतिक्रिया

मुफ्ती सलमान की रिहाई की खबर जैसे ही फैली, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उनके समर्थकों ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कई पोस्ट साझा कीं. एक यूजर ने एक्स पर लिखा, “हेट स्पीच के मामले में मुफ्ती सलमान अजहरी रिहा हो गए हैं, और अब वह ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं.”

इसी यूजर ने आगे कहा, “जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने उनकी हिरासत को अवैध ठहराते हुए तुरंत रिहाई का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, उनके समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया.”

रिहाई पर इस्लामी नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया


मुफ्ती सलमान अजहरी की रिहाई पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कई अधिकारियों ने स्वागत किया और न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास जताया. पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा, “हमें पूरा विश्वास था कि मौलाना सलमान अजहरी को न्याय मिलेगा. अल्लाह ने उन्हें रिहाई दिलाई और हमें खुशी है कि वह सुरक्षित अपने घर लौट आए हैं.”

मौलाना अजहरी के समर्थकों ने किया भव्य स्वागत

मुफ्ती सलमान अजहरी की रिहाई के बाद, मुंबई एयरपोर्ट पर उनके समर्थकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, और वहां उत्सव का माहौल था. एक अन्य यूजर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, “अलहम्दुलिल्लाह! शेख मुफ्ती सलमान अजहरी साहब लगभग 9 महीने बाद अपनी रिहाई के बाद सुरक्षित रूप से अपने गृहनगर पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी हिरासत को ‘अस्थिर’ करार देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया.”

भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर सवाल

इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि किस प्रकार के मामलों में किसे निशाना बनाया जाता है. एक ओर जहां मुफ्ती सलमान अजहरी को मात्र एक शेर पढ़ने के आरोप में जेल में डाल दिया गया, वहीं दूसरी ओर देश के विभिन्न हिस्सों में कई व्यक्तियों द्वारा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उकसाने वाले बयान दिए जा रहे हैं, परंतु उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है.

सोशल मीडिया पर भी इस भेदभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर क्यों कुछ व्यक्तियों को कानून के तहत सजा दी जा रही है, जबकि अन्य को खुली छूट दी जा रही है.

मुफ्ती सलमान अजहरी की रिहाई न केवल उनके समर्थकों के लिए बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए राहत की बात है. उनकी गिरफ्तारी के समय से ही उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर विवाद हो रहा था, और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उनके समर्थकों को न्याय का भरोसा दिलाया है.मौलाना अजहरी की रिहाई ने मुस्लिम समुदाय में एक नई ऊर्जा का संचार किया है और उनके समर्थक इस लड़ाई को कानूनी और संवैधानिक रूप से जीतने की उम्मीद कर रहे हैं.

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