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पाकिस्तान का अगला मुख्य न्यायाधीश कौन ? विशेष संसदीय समिति की बैठक में फैसला

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 26वें संवैधानिक संशोधन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद यह संवैधानिक संशोधन विधेयक 2024 अब संसद का अधिनियम बन गया है. इसके साथ ही नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का महत्वपूर्ण समय नजदीक आ गया है.

इस फैसले को लेकर आज शाम 4 बजे संसद भवन में एक विशेष बैठक बुलाई गई है. बैठक में 12 सदस्यीय विशेष संसदीय समिति नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर विचार करेगी.

मौजूदा मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने समिति को सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे वरिष्ठ जजों के नाम भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इन जजों में जस्टिस मंसूर अली शाह, जस्टिस मुनीब अख्तर, और जस्टिस याह्या अफरीदी का नाम प्रमुखता से शामिल है. यह निर्णय देश के न्यायिक तंत्र में एक नया अध्याय खोलने वाला है और आने वाले दिनों में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा.

नए संवैधानिक संशोधन का महत्व

26वें संवैधानिक संशोधन के जरिए पाकिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. इस संशोधन के लागू होने के बाद, नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाने की कोशिश की गई है. अब इस निर्णय में संसद की विशेष भूमिका होगी, जिसमें सीनेट और नेशनल असेंबली के सदस्यों की भागीदारी अनिवार्य होगी। संवैधानिक संशोधन के गजट अधिसूचना के साथ ही यह विधेयक कानून का रूप ले चुका है और तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.

संसदीय समिति का गठन और बैठक

स्पीकर नेशनल असेंबली अयाज सादिक ने सीनेट के अध्यक्ष यूसुफ रज़ा गिलानी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़, तहरीक-ए-इंसाफ, और सुन्नी एतिहाद काउंसिल के प्रमुखों को विशेष समिति की स्थापना के लिए पत्र भेजा था. इसके आधार पर संसदीय दलों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व का फार्मूला तैयार किया गया और एक विशेष समिति का गठन किया गया.

इस 12 सदस्यीय विशेष संसदीय समिति में सीनेट और नेशनल असेंबली के 4-4 सदस्य शामिल हैं. सीनेट के नामांकित सदस्यों में जेयूआई के कामरान मुर्तजा, पीपुल्स पार्टी के फारूक नाइक, पीएमएल-एन के आज़म नज़ीर तरार और पीटीआई के बैरिस्टर अली ज़फर शामिल हैं. वहीं, नेशनल असेंबली से पीपीपी के राजा परवेज़ अशरफ, नवीद क़मर, पीटीआई के बैरिस्टर गोहर, साहिबजादा हमीद रज़ा, और एमक्यूएम के राणा अंसार को शामिल किया गया है.

सूत्रों के अनुसार, कानून मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठ जजों का नाम इस विशेष समिति को भेजेगा, जिनमें से एक को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाएगा. यह समिति बंद कमरे में बैठक करके इन नामों पर विचार करेगी और अंतिम निर्णय लेगी.

कानूनी प्रक्रिया और समयसीमा

नए संशोधन के अनुसार, समिति को तीन दिन के भीतर मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर फैसला लेना होगा. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा की ओर से 22 अक्टूबर की मध्यरात्रि तक तीन वरिष्ठ जजों के नाम समिति को भेजे जाएंगे. समिति को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह इन नामों पर विचार करे और नए मुख्य न्यायाधीश का चयन करे.

संविधान की धारा के तहत, यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि नियुक्ति पूरी तरह से संविधान और कानून के तहत हो. इससे पहले, यह प्रक्रिया मुख्य रूप से न्यायपालिका के भीतर ही होती थी, लेकिन अब इसे एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत संसद के माध्यम से संचालित किया जाएगा.

समिति की विशेष बैठक का एजेंडा

बुलाई गई समिति की विशेष बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यह बैठक पूरी तरह से गोपनीय होगी और इसका मुख्य एजेंडा सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर चर्चा करना होगा. मौजूदा मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा के कार्यकाल का समापन जल्द ही होने वाला है, और ऐसे में यह बैठक आने वाले समय में न्यायपालिका के स्वरूप को प्रभावित कर सकती है.

संसदीय दलों की भूमिका

संसदीय समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है, ताकि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो. इस समिति में पीएमएल-एन, पीपुल्स पार्टी, तहरीक-ए-इंसाफ, और अन्य प्रमुख दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं. ये सदस्य अपने दलों की ओर से समिति में अपनी भूमिका निभाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर निर्णय लेने में मदद करेंगे.

न्यायिक प्रक्रिया में नया मोड़

पाकिस्तान के न्यायिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में संसद की सीधी भागीदारी हो रही है. यह प्रक्रिया पाकिस्तान के संविधान के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने का एक प्रयास है.

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