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बहराइच में दंगों के पीछे बीजेपी का हाथ? दावों से उठे बड़े सवाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

बहराइच में हुए हालिया सांप्रदायिक दंगों को लेकर कई गंभीर सवाल उठने लगे हैं. यह सवाल उठता है कि क्या सत्तारूढ़ दल के समर्थकों ने ही दंगे भड़काए? क्या इन दंगों का उद्देश्य मुसलमानों की दुकानों, मकानों और संपत्तियों को निशाना बनाना था? बीजेपी और पुलिस के कुछ सदस्यों के नाम इस दंगे में क्यों सामने आ रहे हैं? और सबसे अहम बात, गिरफ्तार किए गए लोगों में ज्यादातर नाम मुसलमानों के ही क्यों हैं?

यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है जब एक बीजेपी विधायक ने खुद खुलासा किया कि दंगों में उनकी ही पार्टी के लोग शामिल थे. वहीं, एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ पुलिसवालों ने हिंदू दंगाइयों को दो घंटे की मोहलत दी थी, और उसी दौरान बहराइच में हिंसा भड़की.

बीजेपी विधायक का खुलासा और सत्तारूढ़ दल पर आरोप

बहराइच में सांप्रदायिक दंगों को लेकर सबसे चौंकाने वाला खुलासा एक बीजेपी विधायक द्वारा किया गया, जिन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर दंगे भड़काने का आरोप लगाया. विधायक ने बताया कि बहराइच में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने में उनकी पार्टी के लोगों का हाथ था. दंगे के दौरान मुसलमानों की दुकानों, मकानों, यहां तक कि उनके जानवरों को भी नहीं छोड़ा गया. एक स्थानीय अस्पताल को भी आग के हवाले कर दिया गया.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ पुलिसकर्मियों ने भी हिंदू दंगाइयों को खुली छूट दी. दो घंटे के भीतर मुसलमानों की संपत्तियों को निशाना बनाया गया. इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर हलचल मच गई, और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखे हमले किए.

सरकार की चुप्पी और सियासी हंगामा

हालांकि बहराइच दंगों को लेकर सरकार का अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर बेहद आक्रामक हो गए हैं. ओवैसी और अखिलेश यादव ने अपने-अपने बयान में बीजेपी पर दंगा भड़काने का सीधा आरोप लगाया. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ओवैसी ने लिखा, “बहराइच दंगा बीजेपी वालों ने अपने विधायक सुरेश्वर सिंह की हत्या के लिए करवाया था. बीजेपी विधायक ने खुद अपनी पार्टी के लोगों पर दंगों का आरोप लगाया है.”

अखिलेश यादव ने भी अपने बयान में सरकार पर तीखे सवाल उठाए और कहा, “क्या बहराइच दंगे सरकार प्रयोजित थे? अगर सरकार ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया, तो यह साबित हो जाएगा कि बीजेपी शासित प्रदेशों में मुस्लिम विरोधी कार्रवाईयां सचमुच हो रही हैं.”

पुलिस और दंगाइयों की भूमिका

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में कुछ दंगाइयों ने हिडन कैमरे पर कबूल किया कि उन्हें दो घंटे का समय दिया गया था, जिसके दौरान वे मुसलमानों की संपत्ति को निशाना बना सकते थे. पुलिस की ओर से नरमी बरती गई, जिससे लूट और हिंसा बड़े पैमाने पर फैल गई। पुलिसकर्मियों द्वारा की गई कार्रवाई पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. बहराइच के एसपी वृंदा शुक्ला ने भी इस बात की पुष्टि की कि दंगाइयों ने हिंदू पक्ष की तरफ से एक व्यक्ति को गोली मारी, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

दलित समाज की प्रतिक्रिया और सांप्रदायिक राजनीति

इस दंगे के बाद दलित समाज भी मुस्लिमों के पक्ष में खड़ा हुआ. दलित समुदाय के कुछ नेताओं ने खुलकर कहा कि दंगे के दौरान हिंदू और दलितों के बीच भेदभाव साफ दिखाई दिया. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा गया, “हम सिर्फ हिंदू तब होते हैं जब मुसलमानों से झगड़ा करना हो. बीजेपी नेताओं के बेटे विदेशों में पढ़ाई करेंगे, लेकिन हमारे बेटे मुसलमानों से लड़कर मरेंगे.”

सोशल मीडिया पर जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बड़ी संख्या में लोग सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “बहराइच में दंगा बीजेपी ने जानबूझकर कराया है. यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया.” एक अन्य यूजर ने कहा, “भाजपा अब अपने ही नेताओं को फंसा रही है. बीजेपी विधायक ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है, जिससे साफ है कि पार्टी के भीतर भी बड़ी दरारें हैं.”

एक और यूजर ने लिखा, “यह बीजेपी की राजनीति का नंगा सच है. दंगों के जरिए बीजेपी देश के भाईचारे को तोड़ने की कोशिश कर रही है, और यह साजिश अब बेनकाब हो चुकी है.”

बीजेपी के लिए बढ़ती मुश्किलें

बहराइच दंगों पर उठ रहे सवालों ने बीजेपी को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया है. अगर पार्टी इस मुद्दे पर खुलकर सफाई नहीं देती, तो यह चर्चा तेज हो सकती है कि बीजेपी समर्थक ही दंगों के पीछे थे. इसके अलावा, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी ने इस दंगे के जरिए अपने राजनीतिक हित साधने की कोशिश की है?

सवाल यह भी है कि क्या दंगे का उद्देश्य मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को कमजोर करना था? यह मुद्दा बीजेपी की छवि के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, खासकर जब पार्टी के ही विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ दंगे भड़काने के आरोप लगा रहे हैं.

गंभीर राजनीतिक संकट

बहराइच में हुए दंगों ने एक गंभीर राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है. बीजेपी पर अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप, पुलिस की भूमिका और मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा ने सरकार की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन आरोपों का कैसे जवाब देती है और दंगों की सच्चाई को कैसे उजागर करती है.

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