Kashmir रिश्तेदारों की मेहनत रंग लाई, फर्जी मुठभेड़ में तीन नौजवानों की हत्या करने वाले सैनिकों को मिलेगी सजा
मोहम्मद इबरार, इबरार अहमद और इम्तियाज अहमद के परिवार वालों की मेहनत रंग लाई। उनके लगातार दो महीने तक संघर्षरत रहने का नतीजा है कि सेना के ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वारी’ ने माना कि ये तीनों नौजवान आतंकवादी नहीं बल्कि बागानों में काम करने वाले साधारण मजदूर थे। कोर्ट ने उन्हें फर्जी मुठभेड़ में आतंकवादी बताकर मार गिराने वाले सैनिकों के विरूद्ध कार्रवाई के आदेश दिए हैं। तकरीबन दो महीना पहले 18 जुलाई को कश्मीर के शोपियां जिले के अम्शीपोरा इलाके में सेना ने एक ऑपरेशन में तीन आतंकवादियों के मार गिराने का दावा किया था। बाद में सेना की ओर से कहा गया कि उनकी शिनाख़्त नहीं होने पर उन्हें दफना दिया गया।
शुरूआती जांच में सेना से जुड़े तार
उधर, सेना के इस कथित ऑपरेशन के तुरंत बाद कुछ लोग राजौरी जिले के थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई के सेब एवं आखरोट के बागान में काम करने वाले 21 वर्षीय मोहम्मद इबरार, 18 वर्षीय इबरार अहमद एवं 26 वर्षीय इम्तियाज अहमद 17 जुलाई से अम्शीपोरा, शोपियां से रहस्यमय तरीके से गायब हैं। तीनों नौजवान आपस में रिश्तेदार हैं। रजौरी पुलिस ने जब शिकायत के आधार पर छानबीन की तो इसके तार सेना के कथित ऑपरेशन से जुड़ गए।
परिजनों की मांग पर हुई जांच
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के परिजनों ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए। राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को उछाला। परिजनों का कहना था कि मृतकों का आतंकवादी संगठन से कोई लेना-देना नहीं। वे साधारण मजदूर थे। उसके बाद सेना की छानबीन का दौर शुरू हुआ। मृतकों के परिजनों के डीएनए सैंपल लेकर मैच करा गए। फिर मामला आर्मी के ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ में गया।
सेना ने माना मुठभेड़ फर्जी था
सेना की ओर से अब एक बयान जारी कर माना गया कि तीन नौजवान फर्जी मुठभेड़ में मारे गए। मृतकों के आतंकवादी संगठन से किसी तरह के रिश्ते थे अथवा नहीं, इसकी जांच चल रही है। मगर वे किसी ऑपरेशन में नहीं मारे गए। आरोपी जवानों ने आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट 1990 का गलत इस्तेमाल किया। फौज के कमांडर के आदेशों की अवहेलना हुई। अम्शीपोरा के कथित ऑपरेशन की जांच मुक्कल हो चुकी है। इसपर सेना की कोर्ट ने आरोपी सैनिकों के विरूद्ध कार्रवाई के आदेश दिए। कुछ दिनों पहले कश्मीर में एक कार सवार बुजुर्ग की मौत को लेकर भी सेना पर सवाल उठे थे। बुजुर्ग की कथित आतंकवादी मुठभेड़ के दौरान मौत हुई थी। घटना के बाद बुजुर्ग के खून से लत पथ लाश पर बैठे उसके नन्हे पोते की तस्वीर तब बहुत वायरल हुई थी। घटना के समय वह नन्हा बच्चा वहां मौजूद था।
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संपादक