Jammu & Kashmir गुरूगोविंद सिंह के दोस्त पीर बुधन अली शाह की दरगाह में ऐसा क्या है हिंदू, मुसलमान, सिख सभी खिंचे चले आते हैं
Table of Contents
अधिकारी के दरगाह तोड़ने के आदेश वापस लेते ही तमाम परेशानियां दूर हो गईं
गुरू गोविंद सिंह के दोस्त पीर बुधन अली शाह की दरगाह, जिसे पीर बाबा के नाम से भी जाना जाता है। जम्मू कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द का आदर्श उदाहरण है। यहां सभी धर्मों के लोग बेखौफ होकर मन्नतें मांगने और पूरे होने पर आते हैं। साल में दो बार यहां लगने वाले उर्स मेले में जैसे पूरा ‘हिंदुस्तान’ उमड़ पड़ता है।
स्थानीय लोगों की मान्यताओं के अनुसार, दरगाह पर शैतानी आत्माओं एवं मुसीबतों से छुटकारा पाने की दुआ लेकर लोग आते हैं। यहां आने वालों से कोई भेद-भाव नहीं बरता जाता। जम्मू शहर से आठ किलोमीटर दूर सतवारी एरोड्रम के करीब है यह दरगाह। पीर बाबा का जन्म पंजाब के तलवंडी में हुआ था। उनकी एक और दरगाह पंजाब के आनंदपुर साहिब में है।
मुस्लिम संत होने के बावजूद, बाबा के चाहने वालों में मुसलमानों से कहीं अधिक हिंदू एवं सिख हैं। गुरूवार को दरगाह पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है। सालाना उर्स के मौके पर पीर बाबा की दरगाह की ज़ियारत के लिए हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं। एक उर्स आषाढ़ के पहले गुरुवार को दूसरा पौष के मध्य में आयोजित किया जाता है। दोनों उर्स में शरीक होने के लिए लोग दूर-दूराज से बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
पांच सौ वर्ष पुरानी है दरगाह
दरगाह की देख-रेख करने वाले ने बताया कि यह बहुत पुरानी है। तकरीबन 500 वर्ष पुरानी। तभी से यहां सभी धर्मों के लोग आ रहे हैं। यहां तक कि बच्चा या जानवर बीमार होने पर भी लोग दुआ मांगने आते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि बाबा की वजह से क्षेत्र में किसी तरह की परेशानी नहीं। हर तरफ शांति है। यहां मन्नतें मांगने वालांे के लिए लंगर भी वितरित किया जाता है।
दरगाह तोड़ने का आदेश देकर परेशान रहा अधिकारी
दरगाह हवाई अड्डे के साथ होने के कारण एक बार एक अधिकारी ने इसे ध्वस्त करने की कोशिश की। इसके कारण रनवे से हवाई जहाज़ों को उड़ान भरने में दिक्कतें आती थी। बताते हैं कि दरगाह तोड़ने के आदेश देने के बाद अधिकारी परेशानियांे में घिर गया। इस पर कुछ लोगों ने उसे दरगाह तोड़ने के आदेश वापस लेने को कहा। लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। कहते हैं, अधिकारी के दरगाह तोड़ने के आदेश वापस लेते ही उसकी तमाम परेशानियां दूर हो गईं। बाद में रनवे में बदलाव कर उसे हवाई जहाज के उड़ान भरने लायक बनाया गया।
बाबा जीवित रहे 500 वर्षों तक
दरगाह पर नियमित आने वाले एक जयारीन ने बताया कि यहां आकर उसकी मनोकामना पूरी हो चुकी है। उसकी मां पीर बाबा की बहुत बड़ी भक्त है। इसलिए वह भी दरगाह आता रहता है। एक अन्य भक्त राजिंदर पाल सिंह ने कहा, मैं पिछले 10 सालों से आ रहा हूं। यहां आने पर दिली सुकून मिलता है। विभिन्न समुदायों के लोग अपनी अलग धार्मिक आस्था के बावजूद यहां आते हैं। संजीव कुमार ने कहा, मैं पिछले 4-5 वर्षों से दरगाह आ रहा हूं। बाबा के दरबार में हर किसी को आने की इजाज़त है, चाहे हिंदू हो, सिख, मुस्लिम हो या ईसाई। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीर बाबा गुरु गोविंद सिंह के प्रिय मित्र थे। वह 500 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। (एएनआई के इनपुट के साथ)
नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक