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लाल चौक की दिवाली और सवालों का अंबार

मुस्लिम नाउ ब्यूरो

देशभर में दिवाली धूम-धाम से मनाई गई. कई जगह इस हिंदू पर्व में मुसलमानों ने भी गर्मजोशी दिखाई. मगर इस दिवाली की सबसे अधिक चर्चा हो रही है श्रीनगर के लाल चैक पर दीये जलाने, पटाखा फोड़ने की. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में यह घटना छाई छायी हुई.

यूं तो देशभर में लाल चैक से अधिक धूम-धाम से दीपोत्सव मनाया गया, पर इतनी शिद्दत से इसकी चर्चा क्यों नहीं ? क्यों श्रीनगर के लाल चैक पर दिवाली मनाए जाने की इतनी जोर-शोर से चर्चा हो रही है ? क्या इसके पीछे एक खास मानसिकता है ? एक वरिष्ठ पत्रकार अपने एक्स पर लिखता है-श्रीनगर के लाल चैक की दिवाली. यह दिन नए भारत की पहचान है ? इस शख्स ने ऐसा क्यों कहा ?

यह घटना किसी खास मानसिकता वालों के लिए ‘जीत’ का द्योतक है ? लाल चैक पर दिवाली मनाने का मतलब कोई बड़ा किला फतह करना है ? यह किला किससे फतह किया गया ? जो लोग अपना दामन बचाने के लिए यह कह सकते हैं कि दो दशकों तक आतंकवादियों ने कश्मीर में हिंदुओं को पनपने नहीं दिया.

उनसे पूछा जाना चाहिए कि इस दो दशक से पहले और उसके बाद लाल चैक पर दिवाली क्यों नहीं मनाई गई ? इसका बहुत मामूली सा जवाब है-‘‘कश्मीर मुस्लिम बहुत आबादी है. इस्लाम में दो ही त्योहार हैं ईद और बकरीद. दिवाली का कोई कन्सेप्ट नहीं है. फिर कैसे लाल चैक पर दिवाली मनती ?

यह क्यों क्यों कहा जा रहा है कि आजादी के बाद पहली बार हिंदू त्योहार लाल चैक पर मनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि सेना और पर्यटकों ने लाल चैक पर दिवाली मनाई. अगर यही सच है तो दो इससे पहले सेना-पुलिस को किसने रोका था लाल चैक पर दीए जलाने से ?

कहते हैं इस बार की दिवाली में पर्यटक भी शामिल हुए. पहला सवाल और अहम यह है कि लक्ष्मी पूजा में जग लोग घर रहकर उसकी अराधना करता हैं ताकि सालों भर परिवार में समृद्धि बनी रहते तो अपना घर-परिवार छोड़कर कौन लोग हैं जो लाल चैक पर दीए जलाने पहुंच गए ? चलिए यह भी मान लेते हैं. फिर पैदा होता है कि आतंकवाद प्रभाव के दो दशकों को छेड़ दें तो आजादी के बाकी के 60 साल पर्यटक दिवाली पर दीए जलाने लाल चैक क्यों नहीं गए ?

लाल चैक पर जलते दीए और दिवाली मनाने की सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें पोस्ट की गई हैं, उसकी समीक्षा करने के बाद यह सवाल पूछा जा रहा है कि यदि लाल चैक पर किसी ने दिवाली मनाई तो यह क्यों कहा जा रहा है-मोदी है तो मुमकिन है ? इसी तरह पत्रकार यह क्यों कह रहा है-‘‘श्रीनगर के लाल चैक की दिवाली. यह दिन नए भारत की पहचान है.’’ चंद लोगों के दीए जलाने से भारत बदल गया ? भूखमरी, बेरोजगारी दूर हो गई ? सरकारी अनाज पर पलने वाली 80 करोड़ जनता आत्मनिर्भर हो गई ? भारत शक्तिशाली देशों में अव्वल हो गया ? नहीं ! तो कैसा नया भारत ?

सोशल मीडिया पर श्रीनगर के लाल चैक को लेकर किए गए ट्वीट की समीक्षा करने पर एक बात और काबिल-ए-गौर सामने आई. अधिकांश लोग एक ही मानसिकता, संगठन के क्यों हैं ? इनमें जो दो चार नाम मुस्लिमों हैं उनके प्रोफाइल देखने पर भी आपको अंदाजा हो जाएगा कि उनकी क्या मानसिकता है और वे किस संगठन से जुड़े हैं.

अब यहा एक अहम सवाल. पिछले एक दशक से मुसलमानों के खिलाफ जो सांस्कृतिक युद्ध लड़ी जा रही है लाल चैक की दिवाली क्या उसी का एक अहम हिस्सा है ? इस सवाल का कुछ-कुछ जवाब आपको लाल चैक पर दीपावली मनाने को लेकर सोशल मीडिया पर खुशी का इजहार करने वालों के कमेंट से मिल जाएगा.

एक ने टिप्पणी की है-‘‘श्रीनगर के लाल चैक पर खूबसूरत और भव्य दिवाली समारोह.कांग्रेस के समय लाल चैक पर भारत का झंडा फहराना एक बुरा सपना था. अब पीएम मोदी सरकार के तहत लोग बिना किसी डर के दिवाली मना रहे हैं.एक और बानगी देखिए-‘‘मोदी है तो मुमकिन है.’’

एक ने लिखा है-ये कश्मीर का लाल चैक है.ये उन लोगों के लिए है जो पूछते हैं कि मोदी युग में क्या बदल गया. ये वो है जो बदल गया.एक समय था जब यहां चंद मिनट खड़े रहना भी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था, लेकिन आज यहां भी दूसरे शहरों की तरह दिवाली मनाई जा रही है.’’

एक अन्य ने टिप्पणी की है-’’कश्मीर में पहली बार दिवाली2024 मनाने के लिए श्रीनगर, कश्मीर के घंटाघर, लाल चैक पर 10,000 दीये जलाए गए.’’एक अन्य साहब ने लिखा है-श्रीनगर के लाल चैक पर दिवाली का जश्न मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों की भागीदारी देखने को मिल रही है.’’

एक अन्य का कमेंट है-‘‘ कश्मीर के इतिहास में पहली बार लालचैक दिवाली के दीयों से जगमगा उठा! यह ऐतिहासिक क्षण केवल प्रधानमंत्री जी द्वारा लाई गई शांति के कारण संभव हुआ, जिसने श्रीनगर में रोशनी, एकता और उत्सव लाया. ’’

एक व्यक्ति ने एक्स पर लिखा-‘‘कश्मीर में एक और पहली बार!!लाल चैक के ऐतिहासिक घंटाघर पर लोगों ने दीये जलाकर दीपावली2024 मनाई, कश्मीर में शांति और बहुलवादी संस्कृति पहले से कहीं ज्यादा फल-फूल रही है!!’’

एक साहब लिखते हैं-‘‘कश्मीर के श्रीनगर के लाल चैक पर दिवाली मनाई गई, जहां लोगों ने इस अवसर पर दीये जलाए.’’एक की टिप्पणी है-‘‘देखें- ऐतिहासिक क्षण. पहली बार, लोगों ने गुरुवार शाम को श्रीनगर में दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए ऐतिहासिक घंटा घर लाल चैक पर दीये जलाए.’’

एक साहब कहते हैं-‘‘इतिहास में पहली बार, कश्मीर के श्रीनगर स्थित लाल चैक पर भव्य दिवाली समारोह आयोजित किया गया.’’

एक अन्य ने कमेंट किया-‘‘लाल चैक, श्रीनगर में सुंदर और भव्य दिवाली समारोह.कांग्रेस के दौरान लाल चैक पर भारत का झंडा फहराना एक दुःस्वप्न था. अब पीएम मोदी सरकार में लोग बिना किसी डर के दिवाली मना रहे हैं ष्मोदी है तो मुमकिन है.नरेंद्रमोदी बहुत बहुत धन्यवाद. शुभ दीपावली.हैप्पी दिवाली.मोदी है तो मुमकिन है. दिवाली लिब्रेशन.दिवाली2024..दिवाली इन श्रीनगर. मोदी जी को राम राम जय श्री राम . जय श्री राम. हर हर हर महादेव.’’

एक्स पर एक अन्य ने लिखा-‘‘जम्मू और कश्मीर. कई दशकों के बाद, लोगों ने दीपावली मनाने के लिए ऐतिहासिक रुलालचैक पर दीये जलाए.’’उपमा शर्मा ने लिखा-श्रीनगर के लालचैक पर दिवाली का जश्न चल रहा है.शारदापीठम द्वारा आयोजित इस उत्सव में स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों की भागीदारी देखी जा रही है.ऐसा पहली बार हो रहा है.हैप्पी दिवाली इंडिया.हैप्पीदिवाली2024.’’

एक अन्य की एक्स पर टिप्पणी थी-कश्मीर में पहली बार दिवाली2024 मनाने के लिए श्रीनगर, कश्मीर के घंटाघर, लाल चैक पर 10,000 दीये जलाए गए. दिवालीसेलिब्रेशन.’’ऐसे ट्वीट से सोशल मीडिया भरा पड़ा है. सवाल है कि कश्मीर के लिए यह वास्तव में ऐतिहासिक घटना है, स्थानीय लोगों ने भी इसमें बढ़ चढ़कर भाग लिया तो फिर इनके सोशल मीडिया पर ट्वीट क्यों नहीं ? क्यों कुछ खास संगठन और मानसिकता वालों के ही ट्वीट हैं ?

क्या ऐसे भारत एकजुट होगा ? यदि कश्मीर में एकजुटता दिखानी ही थी तो जिस संगठन ने इसका आयोजन किया उसने क्यों नहीं स्थानीय लोगों, नेताओं, बुद्धिजीवियों को शामिल नहीं किया. सीएम की तस्वीर क्यों नहीं है लाल चैक पर दीया जलाते हुए ? क्यों उप मुख्यमंत्री एक्स पर केवल बधाई देकर रह गए ?

लाल चैक पर दिवाली ने कई ऐसे सवाल खड़े किए हैं जिसका जवाब गहराई में जाने के बाद कुछ फलदाई नहीं मिलेगा !! कश्मीर के लोगों को देश से जोड़ें इसी में भी भारत की भलाई है. सत्ता तो आती जाती रहेगी. देश सर्वोपरि है !!

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