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मुस्लिम संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से अपील: संभल हिंसा की न्यायिक जांच की मांग

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश के संभल में हालिया हिंसा और पुलिस फायरिंग के बाद देश के दो प्रमुख मुस्लिम संगठन, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद, ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. दोनों संगठनों ने घटना को धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते दमन और न्यायिक निष्पक्षता के उल्लंघन का उदाहरण बताया.

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करते हुए निचली अदालतें मस्जिदों का सर्वेक्षण आदेश दे रही हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की. उन्होंने संभल हिंसा में पुलिस की भूमिका की आलोचना करते हुए इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक पक्षपात करार दिया.

जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि पुलिस फायरिंग में निर्दोष मुस्लिम युवाओं की मौत हुई. उन्होंने न्यायिक जांच और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की. साथ ही, उन्होंने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की.

दोनों संगठनों ने चेतावनी दी कि धार्मिक स्थलों को लेकर सांप्रदायिक विवाद बढ़ाने से देश की एकता को नुकसान पहुंचेगा. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह कानून और संविधान के अनुरूप कार्रवाई करे और ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोके.

संभल घटना

पुलिस फायरिंग में मुस्लिम युवाओं की मौत के बाद प्रशासन का कहना है कि हिंसा असामाजिक तत्वों के कारण हुई। हालांकि, वायरल वीडियो पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने न्यायिक जवाबदेही की मांग की है.

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