जागे अंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी: खोदी जा रही सच्चाई
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
साम्प्रदायिक नफरत की आग में देश के विकास को रोकने वाले तत्वों के खिलाफ अब एक नया वर्ग सक्रिय हो गया है. यह वर्ग उन लोगों को जवाब देने के लिए आगे आया है, जो मस्जिदों और दरगाहों के नीचे मंदिर खोजने का दावा कर रहे हैं. इस वर्ग ने मंदिरों के नीचे बौद्ध और जैन मठों की तलाश का अभियान शुरू किया है और सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, यह प्रयास भी नफरत और विभाजन के रास्ते पर ले जाता है, जो देशहित में नहीं है.
ALSO READ धर्मस्थलों की खुदाई का नया अध्याय: बौद्ध अनुयायी उठाने लगे 84,000 मठों का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद कट्टरपंथी संगठन लगातार अदालतों में जाकर मस्जिदों और दरगाहों के नीचे मंदिर होने का दावा करते हुए खुदाई की मांग कर रहे हैं. निचली अदालतों द्वारा बिना ठोस सोच-विचार के खुदाई की अनुमति देने से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा है. अक्सर यह घटनाएं तब होती हैं जब किसी राज्य में चुनाव नजदीक होते हैं, जिससे इस तनाव के पीछे राजनीतिक चालों का संकेत मिलता है. इन चालों ने देश के माहौल को बुरी तरह बिगाड़ दिया है और विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास को बढ़ावा दिया है.
दुनिया में सबसे ज्यादा मूर्तियां बुद्ध की हैं, लेकिन एक बड़ी संख्या में ये मूर्तियां जमीन के नीचे दबी हुई मिली हैं। यह सवाल उठता है कि आखिर किसने बुद्ध की पहचान मिटाने की कोशिश की? इतिहास के कई प्रमाण बताते हैं कि मनुवादी ताकतों ने सुनियोजित तरीके से बुद्ध के संदेश और उनकी विरासत… pic.twitter.com/rZmaVKjRSW
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) December 4, 2024
अब बौद्ध और अंबेडकरवादी समूह इस अभियान के खिलाफ सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं. ये समूह सवाल उठा रहे हैं कि बौद्ध और जैन मठों को तोड़कर मंदिर क्यों बनाए गए ? इस अभियान में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हंसराज मीना, सुदीप जैन, और गारवी रावत जैसे लोग भी शामिल हैं, जो एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो और बयान जारी कर रहे हैं.
चोर कौन है आप जानते हैं
— Lakhan meena (@Lakhanmeena1950) December 4, 2024
सम्राट अशोक ने 84 हजार बौद्ध मठ बनवाए थे,
अब मठ कहा गये ?
इनके वेदो में तो मुर्ति पूजा नहीं थी अब यह कैसे हुआ है।
विडियो देखो 👇 👇 👇 pic.twitter.com/1Y6sA9lCl6
एक उपयोगकर्ता लिखते हैं, “दुनिया में सबसे ज्यादा मूर्तियां बुद्ध की हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ये मूर्तियां जमीन के नीचे मिली हैं. यह सवाल उठता है कि आखिर किसने बुद्ध की पहचान मिटाने की कोशिश की?”
इतिहास से जुड़े तथ्य बताते हैं कि मनुवादी ताकतों ने बुद्ध की शिक्षाओं और उनकी विरासत को मिटाने की कोशिश की. बुद्ध, जो समानता और करुणा के प्रतीक थे, उनकी मूर्तियों और संदेशों को खत्म करने के लिए योजनाबद्ध प्रयास किए गए.
खोदो खूब खोदो… ऊपर ऊपर से नहीं पूरा खोदो… और सब खो दो… क्योंकि नीचे दबी हुई श्रमण संस्कृति ही मिलेगी… मतलब जैन और बौद्ध
— Sudeep Jain (@Sudeep_Jain_Mrt) December 4, 2024
और खोदने की जरूरत भी नहीं… केवल मूर्ति के ऊपर का आवरण हटा दो… श्रृंगार हटा दो… मूर्ति स्वयं बोल पड़ेगी … किसकी है।
सोशल मीडिया पर इस अभियान के तहत लोग पूछ रहे हैं:सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए 84,000 बौद्ध मठ कहां गए?वेदों में मूर्ति पूजा का उल्लेख नहीं है, फिर यह परंपरा कैसे शुरू हुई?
कई पोस्टों में लिखा गया है कि “नीचे केवल श्रमण संस्कृति मिलेगी। खोदने की जरूरत नहीं, केवल आवरण हटाने से ही सच्चाई सामने आ जाएगी.”
आज यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस दबी हुई सच्चाई को सामने लाएं और बुद्ध के विचारों को पुनर्जीवित करें। pic.twitter.com/MREM52Bbci
— Garvi Rawat (@garvirawat) December 4, 2024
बुद्ध के विचारों को पुनर्जीवित करने और समानता व न्याय के संदेश को फैलाने की मांग बढ़ती जा रही है. यह प्रयास न केवल अतीत की सच्चाई को उजागर करने का है, बल्कि वर्तमान में सामाजिक न्याय और शांति स्थापित करने का भी है.