व्यापार, उग्रवाद और अफगानिस्तान से रिश्तों पर क्या बोले पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा मुख्यमंत्री अमीन गंडापुर
Table of Contents
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,पेशावर
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति और अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक मार्गों के बंद होने से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि प्रांतीय अर्थव्यवस्था भी गहरे संकट का सामना कर रही है. पेशावर में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने विदेशी मीडिया के साथ बातचीत करते हुए इस गंभीर मुद्दे पर अपने विचार साझा किए.
अफगानिस्तान के साथ व्यापार रुकने से आर्थिक संकट
मुख्यमंत्री गंडापुर ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ व्यापार मार्ग बंद होने का मुख्य कारण खराब कानून व्यवस्था है. उन्होंने चिंता जताई कि इस स्थिति ने प्रांत की आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है.
गंडापुर ने कहा,”अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी देश है. अब पूरी दुनिया ने इसे मान्यता दे दी है. ऐसे में, हमें भी उनके साथ संवाद स्थापित करना चाहिए,” उनका मानना है कि अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में सुधार से प्रांतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सकती है.
उग्रवाद: सीमा पर बड़ी चुनौती
उग्रवाद पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि सीमा पर हालात जटिल और चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं. उन्होंने खुलासा किया कि वर्तमान में लगभग 16 से 18 हजार उग्रवादी तत्व पाकिस्तान की सीमा के अंदर सक्रिय हैं, जबकि 22 से 24 हजार उग्रवादी तत्व सीमा के उस पार हैं.
उन्होंने कहा,”यह एक जटिल स्थिति है. लोग यहां से वहां जाते हैं और वहां से यहां आते हैं. इस स्थिति को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो गया है. हमारे पास सीमा पार कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. इसका खामियाजा हमारे लोग भुगत रहे हैं,”
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर स्थिरता और शांति तभी संभव है जब अफगानिस्तान के साथ बातचीत की जाए. उन्होंने कहा, “इतनी लंबी सीमा पर शांति स्थापित करना बिना बातचीत के संभव नहीं. हमें व्यावहारिक कदम उठाने होंगे..
संघीय सरकार और प्रांतीय जिम्मेदारियां
गंडापुर ने खुलासा किया कि संघीय सरकार ने अब इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार होने का संकेत दिया है. हालांकि, उन्होंने यह भी शिकायत की कि संघीय नेतृत्व की ओर से गंभीरता की कमी है.उन्होंने कहा,”यह समस्या केवल कहने से हल नहीं होगी। इसके लिए व्यावहारिक कदम उठाने की आवश्यकता है.”
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनके प्रांत के लोग मर रहे हैं . अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में यह प्रांतीय मुद्दा बनकर नहीं रह सकता.
विरोध प्रदर्शनों पर फासीवाद का आरोप
तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में मुख्यमंत्री गंडापुर ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, “लाखों की संख्या में लोग फासीवाद के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं.”उन्होंने पुलिस के आंसू गैस के इस्तेमाल पर चुटकी लेते हुए कहा, “अब आंसू गैस हमारे लिए मजाक बन गई है. यह तो परफ्यूम और बॉडी स्प्रे बन गई है.”
गंडापुर ने आरोप लगाया कि पीटीआई के कई कार्यकर्ता अब भी लापता हैं. सरकार द्वारा उनकी आवाज दबाई जा रही है. उन्होंने दावा किया, “हमारे पास 68 से अधिक लोग हैं जिन्हें अस्पतालों से लाया गया है. क्या यह राज्य का काम है कि वह किसी पार्टी को विरोध करने का अधिकार भी न दे?”
समस्या का समाधान: संवाद और व्यावहारिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत किए बिना, खैबर पख्तूनख्वा के हालात सुधरना मुश्किल है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.
खैबर पख्तूनख्वा की वर्तमान स्थिति एक जटिल तस्वीर पेश करती है, जहां एक ओर सीमा पर उग्रवाद और व्यापार रुकने से प्रांतीय अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, तो दूसरी ओर राजनीतिक अस्थिरता और विरोध प्रदर्शनों पर हो रही कार्रवाई ने माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है.
मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर का यह बयान स्पष्ट करता है कि प्रांत को वर्तमान संकट से निकालने के लिए केवल वक्तव्य नहीं, बल्कि ठोस और व्यावहारिक कदमों की जरूरत है. अफगानिस्तान के साथ व्यापार बहाल करना, उग्रवाद पर नियंत्रण और राजनीतिक संवाद ही इस समस्या का समाधान हो सकता है.