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केंद्रीय बजट 2025-26 में क्या बदलाव चाहता है जमात-ए-इस्लामी हिंद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

45% युवाओं के बेरोजगार होने, 20% जनसंख्या के गरीबी में जीवन यापन करने और कृषि विकास दर के 2.8% पर स्थिर रहने (सीएमआईई) के आंकड़े इस संकट के गवाह हैं.”

शहरी बेरोजगारी:

  • मनरेगा के बजट में कटौती को वापस लिया जाए. शहरी बेरोजगारी के लिए समानांतर योजना बनाई जाए.
  • नवीकरणीय ऊर्जा, जैविक खेती और कृषि प्रसंस्करण में “ग्रामीण रोजगार केंद्र” की स्थापना हो.
  • ग्रामीण टाउनशिप को शहरी सुविधाओं के साथ विकसित किया जाए.
  • स्वास्थ्य व्यय को GDP के 4% तक बढ़ाया जाए.
  • आयुष्मान भारत योजना को सार्वभौमिक कवरेज तक विस्तारित कर मध्यम वर्ग को भी लाभान्वित किया जाए.
  • शिक्षा के लिए GDP का 6% आवंटित करते हुए “मिशन शिक्षा भारत” की शुरुआत हो.
  • आरटीई के अंतर्गत माध्यमिक शिक्षा को शामिल किया जाए. अल्पसंख्यक छात्रवृत्तियों को पुनर्जीवित किया जाए।
  • एमएसपी गारंटी, ब्याज मुक्त ऋण और डिजिटल भूमि रिकॉर्ड जैसी योजनाओं को लागू किया जाए.
  • एससी/एसटी समुदायों के लिए “भूमि सशक्तिकरण कार्यक्रम” लाया जाए.

सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने का आह्वान

जमाअत के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने बताया कि संगठन ने 2025 को “सांप्रदायिक सद्भाव, विश्वास और समझ का वर्ष” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, “हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता हमारी ताकत है, लेकिन कुछ स्वार्थी तत्व इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. अब समय है कि हम इस चुनौती को पहचानें और मिलकर एक शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करें.”

संभल में मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार और राजनीतिक दबाव के मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए जमाअत के उपाध्यक्ष मलिक मोहतशिम खान ने कहा, “पुलिस की गोलीबारी के बाद निर्दोष युवकों की मौत और 1978 के पुराने दंगों के मामले फिर से उठाए जाने से तनाव बढ़ रहा है.” उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से इन लक्षित कार्रवाइयों को रोकने और न्यायपालिका से संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की अपील की.

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