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संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद और पुलिस प्रशासन की भूमिका: सांप्रदायिक तनाव का नया अध्याय

मुस्लिम नाउ, संभल ( उत्तर प्रदेश)

शाही जामा मस्जिद और उसके आसपास के विवाद ने हाल के दिनों में संभल को राजनीतिक और सांप्रदायिक बहस का केंद्र बना दिया है. मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व, कानूनी विवादों, पुलिस प्रशासन की भूमिका, और सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे मामले को गंभीर बना दिया है.

धारा 144 का उल्लंघन और पुलिस अधिकारी की भूमिका

संभल में धारा 144 लागू होने के बावजूद, एक धार्मिक जुलूस में स्थानीय पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी को वर्दी में गदा लेकर भाग लेते देखा गया.सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए.

एआईएमआईएम के राज्य अध्यक्ष, शौकत अली ने ट्वीट कर इस घटना पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “एक ओर धारा 144 लागू है, तो दूसरी ओर एक पुलिस अधिकारी वर्दी में धार्मिक जुलूस का नेतृत्व कर रहे हैं. ऐसे में क्या हम इनसे न्याय की उम्मीद कर सकते हैं?”

शाही जामा मस्जिद विवाद और कानूनी पहलू

संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला तब चर्चा में आया जब कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया.

  • तिथियां: सर्वेक्षण 19 और 24 नवंबर को किया गया.
  • रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण: कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने विस्तृत रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में पेश की। यह रिपोर्ट 40-45 पृष्ठों की है और इसमें वीडियोग्राफी का भी समावेश है.
  • मस्जिद पर दावा: मस्जिद के स्थान पर पहले एक हरिहर मंदिर होने के दावों के कारण यह मामला कानूनी विवाद में फंसा हुआ है.

सर्वेक्षण के दौरान हिंसा

  • 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वेक्षण के समय हिंसा भड़क उठी, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। इसके बाद शहर में तनाव बढ़ गया.
  • सांप्रदायिक राजनीति और प्रशासन की भूमिका
    इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिए.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर हिंसा को जानबूझकर भड़काने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “संभल की घटना भाजपा सरकार ने षड्यंत्रपूर्वक कराई। प्रशासन निर्दोष लोगों की हत्या कर रहा है और अधिकारियों पर दबाव बनाकर काम करवा रहा है.”

कांग्रेस का बयान

कांग्रेस ने 26 दिसंबर को अपनी सीडब्ल्यूसी बैठक में इस मुद्दे का उल्लेख किया. पार्टी ने आरोप लगाया कि आरएसएस-भाजपा जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने “उपासना स्थल अधिनियम, 1991” पर बेवजह बहस का विरोध किया और इसे लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने धार्मिक स्थलों से संबंधित विवादों में नई याचिकाएं स्वीकार करने और लंबित मामलों में किसी भी प्रकार के अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी.

संभल की वर्तमान स्थिति और आगे की राह

शहर में अभी भी तनाव का माहौल है। शाही जामा मस्जिद पर कानूनी विवाद और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर उंगलियां उठ रही हैं। इस मामले का कानूनी और राजनीतिक समाधान क्या होगा, यह देखना बाकी है.

विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए पारदर्शिता, निष्पक्ष प्रशासन, और सांप्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है.