CulturePolitics

कुमार विश्वास और अमीष देवगन से लोगों ने पूछा, जब तैमूर के माता-पिता पीएम मोदी से मिल रहे थे तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया ?

मुस्लिम नाउ विशेष

भारत का संविधान हर नागरिक को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है. इन अधिकारों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी मामलों में हस्तक्षेप न करने का सिद्धांत भी शामिल है. इसके बावजूद, कुछ लोग संविधान और लोकतंत्र की आड़ लेकर समाज में नफरत और भेदभाव फैलाने का काम कर रहे हैं. खासतौर पर, ये लोग ऐसे नामचीन व्यक्तियों को निशाना बनाते हैं जिनका संबंध मुसलमान और इस्लाम से है.

हाल ही में, इसी प्रवृत्ति के तहत, कुमार विश्वास और अमीष देवगन जैसे लोग चर्चाओं में आए हैं. दोनों की मौजूदा स्थिति यह है कि न उनकी लोकप्रियता है और न ही उनकी कथित “दुकानदारी” चल रही है. कुमार विश्वास, जो कभी अपनी शायरी के लिए जाने जाते थे, अब कथावाचन और कुकरी शो में हाथ आजमा रहे हैं. वहीं, अमीष देवगन एक ऐसे न्यूज़ चैनल के एंकर हैं, जिसे लोग देखना भी पसंद नहीं करते. इन दोनों ने सुर्खियों में आने के लिए एक नया तरीका अपनाया है: मुस्लिम समुदाय और उससे जुड़े विषयों पर विवाद खड़ा करना.

कुमार विश्वास का विवादित बयान

कुमार विश्वास, जो कभी आम आदमी पार्टी के सदस्य थे, पार्टी छोड़ने के बाद से ही निरंतर सुर्खियों में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं.अब उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा की शादी और उनके मुस्लिम पति पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी कर सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया है. यही नहीं, उन्होंने सैफ अली खान और करीना कपूर के बेटे तैमूर अली खान को भी निशाना बनाया.

कुमार विश्वास का कहना था कि “तैमूर लंग जैसे विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर कोई अपने बच्चे का नाम कैसे रख सकता है.” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी. लोगों ने इसे सीधे-सीधे नफरत फैलाने की कोशिश करार दिया.

अमीष देवगन का समर्थन और विवाद

अमीष देवगन ने कुमार विश्वास का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “शायद ही कोई होगा जो तैमूर लंग के आतंक के बारे में न जानता हो. उसने 15 दिनों में दिल्ली को तहस-नहस कर दिया था. अब सोचिए, कोई अपने बच्चे का नाम तैमूर कैसे रख सकता है.” उनके इस बयान पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आईं.

वरिष्ठ पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने जवाब में लिखा, “तैमूर इस दुनिया का एक बहादुर शासक था. तुम चाहो तो आसाराम, गुरमीत सिंह, या नित्यानंद जैसे बाबाओं के नाम पर अपने बच्चों का नाम रख सकते हो. वैसे तुम्हारा गुल्लू नाम बड़ा प्यारा है..”

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

कुमार विश्वास और अमीष देवगन के इन बयानों पर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई. कुलराजन वाधवा ने कुमार विश्वास का एक वीडियो पोस्ट कर उन्हें तंज कसते हुए कहा, “चुल्लू भर पानी में डूब मरो.” एक अन्य यूजर ने लिखा, “तैमूर के माता-पिता हाल ही में प्रधानमंत्री से मिले थे. तब आपने यह सवाल क्यों नहीं उठाया कि प्रधानमंत्री ऐसे लोगों से कैसे मिल सकते हैं जिन्होंने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा है?”

मणिपुर मुद्दे पर सवाल

कई लोगों ने कुमार विश्वास और अमीष देवगन को मणिपुर हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछने की चुनौती दी. लोगों का कहना है कि ये दोनों केवल नफरत फैलाने वाले विषयों पर ही बयान देते हैं, जबकि असली मुद्दों पर चुप्पी साधे रहते हैं.

कुमार विश्वास और अमीष देवगन की विश्वसनीयता पर सवाल

कुमार विश्वास और अमीष देवगन की यह रणनीति उन्हें और अधिक आलोचनाओं का शिकार बना रही है. कुमार विश्वास, जो कभी एक शायर के रूप में सम्मानित थे, अब अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं. दूसरी ओर, अमीष देवगन, जो पत्रकारिता के नाम पर विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं, भी अपनी छवि को और खराब कर रहे हैं.

यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे कुछ लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए समाज में नफरत और भेदभाव फैलाने का काम करते हैं. न केवल यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश भी है. ऐसे लोगों को यह समझने की जरूरत है कि नफरत की दुकानदारी लंबे समय तक नहीं चल सकती. जनता अब इनकी चालों को समझने लगी है और सोशल मीडिया पर इन्हें जवाब देने में पीछे नहीं रहती.